झारखंड में बेरोजगारों, श्रमिकों को रोजगार देने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है। आज शाम चार बजे प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री श्रमिक योजना की शुरुआत करेंगे। इसके लिए नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के तहत श्रमिकों के लिए विशेष प्रोग्राम चलाए जाएंगे। जिनसे श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
कोरोना महामारी के कारण लोगों के रोजगार बंद हो गए हैं। लोगों को दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हुए हैं। क्योंकि प्रवासी मजदूरों में ज्यादातर लोग झारखंड, यूपी, बिहार के ही बड़े शहरों में रोजगार की तलाश में जाते हैं। परंतु कोरोना वायरस के कारण देश में लगे लाॅकडाउन के दौरान लोगों को वापस अपने गांव में पलायन करना पड़ा। जहां उनके लिए सबसे बड़ी समस्या रोजी- रोटी कमाने की आई। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री श्रमिक योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत लोगों को महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की तरह कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाएंगी।
झारखंड के शहरी प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए मनरेगा की तरह जाॅब कार्ड प्रदान किया जायेगा। योजना के माध्यम से शहरों में रहने वाले अकुशल प्रवासी मजदूर को रोजगार प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को हुई बैठक में कहा कि स्थानीय नीति की त्रुटियां दूर की जाएंगी। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। पिछली सरकार द्दारा बनाई गई नीतियों पर कई तरह के सवाल उठे थे, और प्रदेश में इनको लेकर कई आंदोलन भी हुए थे। अब राज्य सरकार उनकी समीक्षा करेगी और जांचेगी की कहां क्या त्रुटियां हैं। और क्या बदलाव किया जा सकता है।

