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संकट में नेबरहुड फर्स्ट नीति

पड़ोसी मुल्क मालदीव के संग भारत के रिश्ते हालिया समय में बेहद तनावपूर्ण हो चले हैं। हालांकि यह एशिया का सबसे छोटा देश है लेकिन सामरिक दृष्टि से यह भारत के लिए खासा महत्व रखता है। भारतीय विदेश नीति हमेशा से ही मालदीव के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की रही है। 1988 में जब यहां के तत्कालीन राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम की सरकार का तख्ता पलटने की कोशिश कुछ विद्रोही सैनिकों ने की थी तो भारत अकेला ऐसा देश था जिसने गयूम के अनुरोध पर तत्काल भारतीय सेना भेज इस विद्रोह को असफल कर दिया था। तभी से भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी मालदीव में तैनात रहती आई है। मुख्यतः इस टुकड़ी का काम मालदीव के आस-पास के समुद्री इलाकों की निगरानी करना और इस द्वीप समूह में आपदा के समय में राहत उपलब्ध करानी है। वर्तमान में लगभग 88 भारतीय सैनिक मालदीव में तैनात हैं। गत् वर्ष सितंबर में मालदीव में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। तब तक भारत के मालदीव संग संबंध खासे प्रगाढ़ थे। तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह भारत समर्थक थे और उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान चीन के बजाए भारत को तवज्जो दी थी। सितंबर, 2023 में सोलेह राष्ट्रपति चुनाव हार गए और चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्ज़ू देश के नए राष्ट्रपति बने।

चीन के कट्टर समर्थक हैं मुइज्ज़ू
मोहम्मद मुइज्ज़ू प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के नेता हैं जो चीन समर्थक पार्टी है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मुइज्ज़ू ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। उन्होंने राष्ट्रवाद की भावनाओं को सुलगाते हुए कहा था कि वह मालदीव की धरती से विदेशी सेना को बाहर निकालने का काम करेंगे। दूसरी तरह तत्कालीन राष्ट्रपति सोलेह ने ‘इंडिया फर्स्ट’ के नारे तले चुनाव लड़ा था। राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद ही मोहम्मद मुइज्ज़ू़ ने भारत से तत्काल अपने सैनिक वापस बुलाने की बात कह डाली थी।

दिसंबर, 2023 में उन्होंने 2019 में भारत संग हुए ‘हाइड्रोग्राफिक सर्वे’ समझौते को रद्द कर द्विपक्षीय संबंधों को निम्नतम स्तर तक पहुंचाने का काम कर डाला। इस समझौते के अंतर्गत भारत और मालदीव मिलकर मालदीव के जल क्षेत्र तथा सामुद्रिक लहरों का अध्ययन करते थे। नए राष्ट्रपति ने दशकों से चली आ रही एक और परंपरा को तोड़ते हुए पद संभालने के बाद अपनी पहली यात्रा भारत की नहीं की। वे पहले तुर्की गए और उसके बाद उन्होंने चीन की यात्रा कर यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि वे भारत के बजाए चीन संग नजदीकियां बढ़ाने के पक्षधर हैं।

मुइज्ज़ू का चीन दौरा
मालदीव के राष्ट्रपति को चीन ने हाथों हाथ लिया है। उनकी इस यात्रा के दौरान 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। चीन से वापस लौटते ही मुइज्ज़़ू ने भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक मालदीव छोड़ने का
अल्टीमेटम दे डाला। राष्ट्रपति का कहना है कि उनके देश में विदेशी सैनिकों का होना, मुल्क की संप्रभुता के खिलाफ है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि मुइज्ज़़ू सरकार चीन के साथ रिश्तों को इसलिए भी ज्यादा प्रगाढ़ बनाना चाहती है क्योंकि मालदीव पर चीन का भारी कर्ज है जिसे चुकाना वर्तमान में संभव नहीं है। कुल मिलाकर मालदीव में नए राष्ट्रपति की ताजपोशी के बाद से ही भारत संग मालदीव के संबंधों में भारी तनाव आने लगा है जो आने वाले समय में और गहरा सकता है।

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