बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर आ खड़े हुए हैं। ऐसे में बिहार भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संग उनका गठबंधन पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल, कोरोनाकाल में नीतीश कुमार की कार्यशैली के चलते जनता में भारी नाराजगी पैदा हो चुकी है। पहले तो सुशासन बाबू ने घर वापसी की गुहार लगा रहे अप्रवासी बिहारियों को सलाह दे डाली कि वे जहां हैं वहीं रहें। फिर जब उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे अप्रवासियों को राज्य की बसों में भरकार बिहार भेजा तो वहां उन्हें भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। इन दिनों बाढ़ से बेहाल बिहार में भी राज्य सरकार की तैयारियां आधी-अधूरी नजर आ रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने अपने साथियों से लेकिन इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका मानना है कि बिहार के वर्तमान राजनीतिक हालातों में नीतीश बाबू का कोई विकल्प नहीं है। लालू परिवार आपसी लड़ाइ्र में फंसा हुआ है और लालू स्वयं जेल में हैं। हालांकि जल्द ही लालू यादव की सजा पूरी होने वाली है लेकिन वे स्वयं चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। दूसरी तरफ कभी भाजपा और नीतीश कुमार के रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर का राजनीतिक संगठन अभी तक बन नहीं पाया है। ऐसे में यदि सुशील मोदी की चली तो भाजपा का नीतीश संग गठबंधन जारी रहेगा।
नीतीश का गिरता ग्राफ
