दिल्ली सरकार ने 13 नवंबर से दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम लागू करने की घोषणा करदी है। सरकार ने इस स्कीम के फायदों से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराते हुए, एफिडेविट दाखिल किया है। बीते शुक्रवार प्रदूषण के मुद्दे पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस पर संज्ञान ले सकता है। दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में सबसे पहले वर्ष 2016 में दो बार जनवरी और अप्रैल के महीने में ऑड-ईवन सिस्टम लागू किया गया था, लेकिन उस दौरान इसके प्रभाव का आकलन करने के लिए कोई वैज्ञानिक स्टडी नहीं हुई थी। लेकिन इसके बाद काफी स्टूडीज में इसे प्रदुषण और ट्रैफिक को लेकर प्रभावशाली देखा गया है।
चार साल पहले दिल्ली सरकार के अनुरोध पर वर्ष 2019 में लागू हुए ऑड-ईवन सिस्टम के दौरान ‘डिम्ट्स’ ने ऑड-ईवन स्कीम के ट्रैफिक पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक स्टडी की गई थी। इस दौरान इकट्ठा किए गए आंकड़ों से यह बात सामने आई कि ऑड-ईवन लागू होने के दौरान सड़कों पर प्राइवेट कारों की संख्या में 30 प्रतिशत की कमी भी देखी गई थी।
हालांकि, इस दौरान कुछ वाहनों में बढ़ोत्तरी भी देखि गई थी जिसमे टू व्हीलर्स के इस्तेमाल में साढ़े 6 प्रतिशत, टैक्सी के इस्तेमाल में साढ़े 19 प्रतिशत, ऑटो के इस्तेमाल में साढ़े 7 प्रतिशत की और बसों के इस्तेमाल में 4.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। जीटी रोड पर 18 प्रतिशत और दिल्ली नोएडा लिंक रोड पर 15 प्रतिशत से ज्यादा ट्रैफिक का दबाव कम हुआ था। इतना ही नहीं इस स्कीम से ईंधन की खपत में भी करीब 15 प्रतिशत की कमी आई, जो प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हुई है।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट के साथ डिम्ट्स की इस स्टडी के अलावा दो अन्य स्टडीज की रिपोर्ट भी दी है, जो कुछ अन्य संस्थानों ने अपने स्तर पर की थी और जिनको आधार बनाकर ट्रांसपोर्ट विभाग ने वर्ष 2016 में इस स्कीम को लागू करने का समर्थन किया था।