गौ पर अपना ज्ञान साझा कर उत्तराखण्ड के मुखिया त्रिवेंद्र रावत आभासी दुनिया में खासी चर्चाएं बटोर चुके हैं। अब चर्चा है कि मुखिया जी अचानक विधानसभा अध्यक्ष के देहरादून स्थित सरकारी आवास में पहुंच गए और डेढ़ घंटा दोनों में खुसर-फुसर भी हुई। बताया गया कि ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों पर दोनों के बीच बातचीत हुई है औेर जैसे कि हर राजनीतिक मीटिंग के आखिर में यह कहा जाता है कि बातचीत सुखद रही, वैसा ही मैसेज इस मीटिंग के बाद भी बड़े-बड़े कलमकरों तक फैला दिया गया। लेकिन राजदरबारी का कुछ और ही कहना है। विकास कार्य तो एक बहाना भर है। असल कारण तो सोमरस ही है। पहले ही शैल शिखर यानी हिलटाॅप पर मुखिया जी अपनों के ही निशाने पर आ चुके हैं और अब तो तीर्थ स्वनाम धन्य रहे माननीय सांसद जो कि कड़क और सैनिक छवि के मुखिया के राजनीतिक शिष्य माने जाते हैं, वे भी तीर्थ स्थलों के आस-पास स्थापित शैल शिखर हिलटाॅप के मामले में मुखिया जी को सलाह दे चुके हैं। कोढ़ में खाज तो तब हुआ कि जब स्वयं विधानसभा अध्यक्ष भी मुखिया जी को इशारों-इशारों में तीर्थ स्थलों पर मदिरा के कारखाने न खोले जाने की सलाह दे बैठे। इसको प्रदेश के धार्मिक और सांस्कøतिक छवि के खिलाफ तक बता डाला। यही नहीं अध्यक्ष जी का कहना है कि वे और उनका परिवार मदिरा से हमेशा दूर ही रहा है। इसलिए वे इसे ठीक नहीं मानते।
राजदरबारी का कहना है कि मुखिया जी की परेशानी इसलिए अब औेर बढ़ गई है क्योंकि हरि के द्वार में भी मुखिया जी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार ने दो मदिरा के कारखाने खोले जाने के लिए हरा झंडा लहरा दिया है।

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