Uttarakhand

गढ़वाल की सियासी तपिश

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए उत्तराखण्ड में पाचों सीटों पर 63 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की हो रही है। चमोली की नीति माणा घाटी से लेकर तराई के रामनगर तक फैले इस क्षेत्र में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों ने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जिनकी जनता के बीच पर्याप्त स्वीकार्यता है। यहां कांग्रेस के गणेश गोदियाल और भाजपा के अनिल बलूनी के बीच कड़ा मुकाबला होता नजर आ रहा है। नामांकन के दौरान जहां अनिल बलूनी ने स्मृति इरानी के रोड शो के साथ ही राजनाथ सिंह और अमित शाह ने यहां अपना स्टारडम दिखाया है तो वहीं गणेश गोदियाल ने अकेले अपने बूते समर्थकों का हुजूम जुटाकर भाजपा की परेशानियां बढ़ा दी हैं। भाजपा के लिए चुनौती बन चुका गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र फिलहाल अंकिता भंडारी हत्याकांड सहित कई मुद्दों को लेकर सुलग रहा है जिसकी तपिश से भाजपा बेचैन नजर आ रही है

लगभग एक दशक बाद पहली बार प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को हाशिए पर डाल दिया है। जबकि कांग्रेस उत्तराखण्ड के स्थानीय मुद्दों जिनमें मजबूत भू-कानून और मूल निवास, भर्ती घोटाला के साथ-साथ बढ़ती बेरोजगारी और अंकिता भंडारी हत्याकांड को अपने चुनावी प्रचार में जमकर उपयोग कर रही है। इसके विपरीत भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर राष्ट्रीय मुद्दों को ही अपना चुनावी हथियार बनाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास करती नजर आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हल्द्वानी और ऋषिकेश में हुई दोनोें रैलियों में जिस तरह से अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को जतना के सामने रखा गया उससे साफ है कि भाजपा का पूरा फोकस राष्ट्रीय मुद्दों पर ही रहा है। धारा 370 हटाने, तीन तलाक और महिला आरक्षण के साथ-साथ मजबूत केंद्र सरकार जैसे मुद्दों के साथ-साथ उत्तराखण्ड में पूर्व सैनिकों के वर्ग को साधने के किए ‘वन रैक, वन पेंशन’ सहित सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट जैसे अहम बातों को उन्होंने अपने संबोधन में प्रमुखता से रखा और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की नाकामियों को देश के विकास के लिए घातक बताया। विकास के मुद्दों पर ऑल वेदर रोड, रेल मार्ग परियोजना और रोपवे के निर्माण को भी प्रमुखता से रखते हुए प्रदेश को पर्यटन क्षेत्र में आगे करने का रोड मैप रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी जनता से अपनी पार्टी के लिए मतदान करते नजर आए।

उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में निमंत्रण को ठुकराने और हिंदू शक्ति को नष्ट करने जैसे बयानों को लेकर कांग्रेस पर कड़े प्रहार तो किए ही साथ ही परिवारवाद पर भी प्रहार करने से वे नहीं चूके। जबकि इसके उलट कांग्रेस पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी की रामनगर और रुड़की में हुई रैली के दौरान कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस प्रदेश के स्थानीय मुद्दांे पर रहा। प्रियंका गांधी ने भाजपा को उन्हीं मुद्दों पर घेरने का प्रयास किया जिन पर बोलने से भाजपा के हर वक्ता के साथ-साथ स्टार प्रचारक भी कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के एक भी स्टार प्र्रचारक और मुद्दों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्थानीय मुद्दों पर बोलने की बजाय राष्ट्रवाद पर बोलना ही उचित समझा यही नहीं बल्कि चुप्पी साधे रहे। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे जनता के मुद्दांे की नब्ज पकड़ने में सबसे माहिर हैं, भी अपनी ही सरकार द्वारा अग्निवीर योजना जिसका सबसे ज्यादा विरोध प्रदेश में हो रहा है पर एक भी शब्द नहीं बोले न ही स्टार प्रचारक इस मसले में बोलने का साहस कर पा रहे हैं। जबकि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अंकिता भंडारी हत्याकांड, भर्ती घोटाला, बेरोजगारी और अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों को अपने चुनावी भाषण में प्रमुखता से रखते हुए किसानों की बदहाली और उद्योगपतियों को कर्ज माफी जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेरने का प्रयास किया।

बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा दलित और पिछड़े वर्ग को साधने का प्रयास किया गया लेकिन उनके भाषण में भी स्थानीय मुद्दों का पूरी तरह से अभाव दिखा। जबकि टिहरी सीट से निदर्लीय उम्मीदवार बॉबी पवार मजबूती से भर्ती घोटाले, मजबूत भू-कानून और मूल निवास जैसे मुद्दों को अपने हर चुनावी सभा में हते नजर आए जिसका बड़ा असर चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकता है। बॉबी पवार को इसका भरपूर समर्थन भी मिल रहा है। गढ़वाल सीट पर मतदाताओं में सबसे ज्यादा समर्थन मूल निवास और भू कानून के साथ अंकिता भंडारी हत्याकांड के मसले पर मिल रहा है। राजनीतिक जानकार भी चुनाव में इन मुद्दों का बड़ा प्रभाव पड़ने की बात कह रहे हैं जिनमें टिहरी, गढ़वाल संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा प्रभाव देखा जा रहा है।

मूल निवास और भू-कानून पर भाजपा नेताओं की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। धामी सरकार द्वारा भू-कानून के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करके मामले को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप विपक्ष द्वारा लगाया जा रहा है लेकिन भाजपा इस मसले पर भी बचाव की मुद्रा में दिखाई दी। जबकि टिहरी से निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पवार इस मामले को पुरजोर तरीके से उठाते दिखे जिसका फायदा उनको रैलियों और जनसभाओं में जुटी भारी भीड़ में देखने को मिला। इसी तरह से गढ़वाल सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार गणेश गोदियाल भी मूल निवास और भू-कानून के साथ-साथ अग्निवीर योजना को लेकर खासे चुनाव प्रचार में मुखर दिखा। उनकी हर जनसभा और रैलियों में उमड़ी भीड़ से उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जन समर्थन को साफ तौर पर देखा जा सकता है जबकि भाजपा के अनिल बलूनी जिनके साथ पूरी प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के अनेक स्टार प्रचारक जोर लगाते दिखे। साथ ही बलूनी के पक्ष में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे स्टार प्रचारक भी दम लगाते दिखे लेकिन गोदियाल के पक्ष में मतदताओं की भीड़ कम नहीं हो पाई है।

हैरत की बात यह है कि इस बार गैरसैंण का मुद्दा पूरी तरह से गायब आया। जबकि हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गैरसैंण एक मुद्दा जरूर रहा है। कांग्रेस-भाजपा ने गैरसैंण को अपनी प्राथमिकता से ही हटा दिया है। गौर करने वाली बात यह हेै कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने वाली भाजपा की ही सरकार रही है बावजूद इसके भाजपा के चुनावी प्रचार में गैरसैंण को एक तरह से बाहर ही रखा गया है। कांग्रेस पार्टी भी गैरसैंण में अवस्थापना के निर्माण कार्यों में अपनी बड़ी उपलब्धि बताती रही है। उसने भी इस बार लोकसभा चुनाव में गैरसैंण को पूरी तरह से भुला दिया।

स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दे कितना प्रभाव डाल पाएंगे यह तो 4 जून को चुनाव परिणाम से ही पता चल जाएगा लेकिन इतना तो साफ है कि इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तराखण्ड के स्थानीय मुद्दों को चुनावी प्रचार में एक पार्टी स्थान दे रही थी तो दूसरी उनसे बचती नजर आई। हालांकि यह भी देखने में आया है कि भाजपा अपनी जनसभाओं में कभी भी स्थानीय मुद्दों को उतना तरजीह नहीं देती है जितना राष्ट्रीय मुद्दों को मिलता रहा है जिसमें कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही भाजपा के लिए एक मात्र ऐसे चेहरे बन चुके हैं जो उनके उम्मीदवारों की जीत तय करने का माध्यम है और मोदी के गुणगाण को ही भाजपा का मुख्य राष्ट्रीय मुद्दा भी माना जाता रहा है। 2014 से अब तक तो यही देखने में आ रहा है।

जोशीमठ में आंसुओं पर सियासत
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जोशीमठ में आयोजित एक जनसभा में 16 अप्रेल को अपने भाषण के दौरान पार्टी उम्मीदवार अनिल बलूनी समर्थन में अपील करते हुए जब रुआंसे हो गये। एक विडियो तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें वह आंखों में आसूं लेकर अपनी बात कहते नजर आ रहे हैं। तब से ही गढ़वाल की सियासत गर्म है। भाजपा और कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। इस दौरान मंच पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे।

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और गढ़वाल उम्मीदवार गणेश गोदियाल ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की भावुकता वाली अपील पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि महेंद्र भट्ट घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, लेकिन इनकी आंखों में तब आंसू नहीं आये जब जोशीमठ में लोग बेघर हो रहे थे और रो रहे थे। तब वो हमारे लोगों को माओवादी बता रहे थे। आज हार के डर से वो आंसू बहा रहे हैं। वहीं धर्मपुर भाजपा विधायक विनोद चमोली ने कहा कि जब कोई नेता अपनी जनता के साथ दिल से जुड़ा होता है तब कई बार भावुक भी हो जाता है। महेंद्र भट्ट पार्टी के जमीनी नेता हैं और वो बचपन से पार्टी जुड़े हुए हैं। जिस सभा को संबोधित करते हुए वह भावुक हुए हैं वह उनका क्षेत्र है। इसलिए वो भावुक हो कर अपनी पार्टी के उम्मीदवार को अधिक से अधिक मतों से जिताने की अपील कर रहे हैं। ये हमारा मजबूत पक्ष है।

विनोद चमोली ने कांग्रेस उम्मीदवार की ओर से किए गए कटाक्ष पर बयान देते हुए कहा कांग्रेस विपक्षी दल है, इसलिए हमारे प्रदेश अध्यक्ष के इस भावुकता जैसे मजबूत पक्ष को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी के नेता ही अपनी जनता के लिए आंसू बहा सकते हैं। कांग्रेस में या गणेश गोदियाल के पास ऐसा कोई नेता ही नहीं है जो अपनी जनता के लिए आंसू बहा सके।

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