तराई में कभी हिंदुत्व का मुख्य चेहरा रहे रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल फिलहाल अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट कटने के साथ ही उत्तराखण्ड की राजनीति में ठुकराल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी थी। देखा जाए तो इसके जिम्मेदार खुद ठुकराल ही थे। उन्हें अपने बड़बोलापन और अभद्र भाषा शैली के चलते भाजपा के टिकट से हाथ धोना पड़ा था। दूसरी गलती ठुकराल ने निर्दलीय चुनाव लड़कर की। समर्थकों के उकसावे में आकर ठुकराल ने भाजपा से बगावत करके अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने का काम किया। जिसकी कीमत उन्हें आज चुकानी पड़ रही है। भाजपा हो या कांग्रेस ठुकराल दोनों तरफ से ठुकराए जा रहे हैं। ऐसे में जब उनका निकाय चुनाव में किया गया अपना और अपने भाई के नामांकन का पॉलिटिकल ड्रामा भी काम नहीं आया। भाजपा भीतर अब उनका विरोध इस कदर हो चला है कि मुख्यमंत्री दरबार से हरी झंडी मिलने के बाद भी पार्टी के जिला अध्यक्ष ने पार्टी के कार्यक्रमों में उनकी नो एन्ट्री कर दी है
हिंदूवादी चेहरे माने जाने वाले ठुकराल ने 2012 में कद्दावर कांग्रेस नेता तिलकराज बेहड़ को हराकर रुद्रपुर की राजनीति में रुतबा हासिल किया। एक बार फिर 2017 में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता तिलकराज बेहड़ को शिकस्त दी थी। इससे पहले वह पालिकाध्यक्ष और लगातार तीन बार छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे। लेकिन अक्सर अपनी बदजुबानी को लेकर चर्चा में रहने वाले ठुकराल के विवादों से पार्टी के लिए असहज स्थिति बनी। 2022 में टिकटों की घोषणा के दौरान कथित तौर पर ठुकराल के कई ऑडियो वायरल हुए, जिनमें से कुछ में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सांसद के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणियां की गई थीं। इसलिए हाईकमान ने ठुकराल को गंभीरता से लिया और 2022 में उनका टिकट काट दिया।
2022 में भाजपा से टिकट कटने के बाद ठुकराल ने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा। हालांकि वे चुनाव हार गए। ठुकराल को भाजपा ने बाहर कर दिया। फिर वे कांग्रेस में जाने की जुगत लगने लगाने। लेकिन यहां भी उनके पुराने प्रतिद्वंदी तिलकराज बेहड़ सामने थे। बेहड़ के विरोध के चलते वह कांग्रेस में भी शामिल नहीं हो पाए। फिलहाल निकाय चुनाव में ठुकराल ने अपना और अपने भाई का मेयर पद पर नामांकन कर प्रेशर पॉलिटिक्स का अंतिम हथियार फेंका जरूर लेकिन इसका भी असर नहीं होता देख वह आत्मसमर्पण की भूमिका में आ गए और भाजपा प्रत्याशी विकास शर्मा के पक्ष में नामांकन वापस ले लिया। तब बड़ी चर्चा यह शुरू हुई की वह जल्द ही भाजपा में शामिल हो जाएंगे लेकिन यहां वर्तमान विधायक शिव अरोड़ा उनकी राह में रोड़ा बन गए।
रुद्रपुर नगर निगम में मेयर पद के लिए पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल और उनके भाई संजय ठुकराल ने नामांकन कराया था। इसके बाद राजकुमार को भाजपा ने साधने की कोशिश की। इसका जिम्मा खुद प्रदेश अध्यक्ष और सीएम धामी ने लिया। राजकुमार सीधे मुख्यमंत्री धामी से मिलने देहरादून पहुंच गए। जहां प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत कई दिग्गज मौजूद रहे। जिसमें निकाय चुनाव को लेकर लंबी चर्चा हुई। ठुकराल ने समर्थकों से बातचीत कर फैसला लेने की बात की।
इसके बाद रुद्रपुर पहुंचते ही ठुकराल ने बैठक की। जहां से खबर आई कि नगर निगम में मेयर पद के निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व विधायक
राजकुमार ठुकराल और उनका भाई संजय ठुकराल अपना पर्चा वापस लेंगे। दोनों भाजपा प्रत्याशी विकास शर्मा को चुनाव लड़ाएंगे। समर्थकों से राय के बाद राजकुमार ठुकराल ने यह फैसला लिया है। ठुकराल ने सीएम को दिए आश्वासन के बाद ये फैसला लिया। अब माना जा रहा है कि ठुकराल जल्द भाजपा भी ज्वाइन करेंगे।
निकाय चुनाव को लेकर तेज हो रही सरगर्मियों के बीच पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल का एक और कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें हिंदुओं के लिए अपशब्द कहे जा रहे हैं। ऑडियो को लेकर शहर में एक बार फिर सियासत गरमा गई है। विधायक शिव अरोड़ा ने इस ऑडियो को लेकर ठुकराल के खिलाफ मोर्चा खोलते ठुकराल पर हिंदुओं के स्वाभिमान को चोट पहुंचाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घृणित विचारधारा वाले को चौराहे पर फांसी दे देनी चाहिए।
बता दें पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की एक ऑडियो बीते माह दिसम्बर में तब वायरल हुई थी जब वे कांग्रेस का हाथ थामने जा रहे थे। लेकिन इससे ठीक पहले ऑडियो वायरल होने के बाद सियासी घमासान मच गया था। ऑडियो को लेकर कांग्रेस नेत्री मीना शर्मा ने ठुकराल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिसके बाद ठुकराल की कांग्रेस में एंट्री रूक गई और उनकी कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। ठुकराल की जगहंसाई उस समय शुरू हुई जब भाजपा के जिला अध्यक्ष ने एक फरमान जारी किया कि ठुकराल पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे और भाजपा के नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे क्योंकि वह भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं।
ऊधमसिंह नगर से भाजपा के जिला अध्यक्ष कमल जिंदल ने इस बाबत एक पत्र जारी किया है। जिसके बाद ठुकराल की पार्टी वापसी को लेकर सस्पेंस खड़ा हो गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष कमल जिंदल ने जो लेटर जारी किया, उसमें स्पष्ट है कि पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की अभी तक भाजपा में ज्वाइनिंग नहीं हुई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि राजकुमार ठुकराल न घर के रहे न घाट के।
‘कॉरिडोर के मुद्दे पर होगा विचार’
हरिद्वार नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष रहे सुनील अग्रवाल से ‘दि संडे पोस्ट’ की संवाददाता बबीता भाटिया की बातचीत
अगर आप पुनः पार्षद चुने जाएंगे तो आपकी पहली प्राथमिकता क्या रहेगी?
हरिद्वार को स्वच्छ एवं सुंदर बनाना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा। इसके लिए हमें अपनी जनता को जागरूक बनाना पड़ेगा कि वह जगह-जगह कूड़ा न फेंके। हालांकि डोर टू डोर हमारे निगमकर्मी जाते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में आपकी क्या योजना है?
जो गरीब वर्ग के व्यक्ति अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं उनके लिए पूरे जिले में प्राइवेट स्कूलों की सुविधा भी मिले। हमारे जिले में 35 प्राइमरी स्कूल हैं। जिनमें सभी गरीब बच्चे पढ़ते हैं। उन्हें सीबीएसई वाली सुविधाएं मिले। आज भी निर्बल वर्ग के बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं उन्हें स्कूल भेजने की पहल करेंगे।
हरिद्वार नगर निगम और आप पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगते रहे हैं इस पर आपका क्या कहना?
जो लोग काम करने वाले होते हैं उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं। मैंने निगम की आय बढ़ाने हेतू कई प्रयास किए जिसमें ऊषा ब्रेक शामिल हैं। यह हमारे निगम की सम्पत्तियों में से एक है। उसका सालाना 58 हजार आता था। जिसकी आय बढ़ाकर हमने सालाना 50 करोड़ की। निगम की आय बढ़ाने के मद्देनजर कुछ पार्षद अगर कोई निर्णय लेते हैं तो उसमें लोग भ्रष्टाचार के आरोप लगा देते हैं। हालांकि बोर्ड में बहुमत हमारा था लेकिन महापौर कांग्रेस का होने के कारण कई अधूरे कार्य ऐसे थे जिनमें राजनीति की वजह से वह पूरे नहीं हो पाए थे।
कॉरिडोर को लेकर जनता खासकर व्यापारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उसे कैसे दूर करेंगे?
इस बार अगर पूर्ण बहुमत से हम निगम में आए तो हम इस मुद्दे को प्रमुखता से सरकार के समक्ष ले जाएंगे। इस मामले में लोगों में बहुत आक्रोश है। अगर कॉरिडोर बनता है तो बहुत से लोग घर से बेघर हो जाएंगे। हालांकि अभी डीपीआर नहीं आई है।
चुनाव नजदीक है। परंतु फिर भी आपकी पार्टी में विद्रोह की स्थिति है?
ऐसा नहीं है। जिनके टिकट कटे हैं वह पार्टी से नाराज हैं। लेकिन पार्टी सभी को मना लेगी।
हरिद्वार में सफाई व्यवस्था को बिगड़ी हुई है। इसे कैसे सुधारा जा सकता है?
निगम में सफाईकर्मियों की कमी की वजह से ऐसा होता है। इसके साथ ही कहीं न कहीं राजनीति भी आड़े आ जाती है।