वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में प्राध्यापक, सह प्राधयापक एवं सहायक प्राट्टयापक के पदों पर भर्ती में अनियमितताओं का बड़ा प्रकरण सामने आया है। जिसमें नियम-कानूनों के विपरीत कार्य किए गए हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि प्रदेश में उद्यान घोटाले की तरह ही वानिकी विश्वविद्यालय में भर्ती घोटाले के बीज रोपण किए गए हैं
औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में कुलपति एवं कुछ अन्य आला-अधिकारियों द्वारा अपने चहेतों और उनके परिवारजनों की विश्वविद्यालय में प्राट्टयापक, सह प्राट्टयापक एवं सहायक प्राट्टयापक के पदों पर नियम विरुद्ध नियुक्तियों की बात सामने आई है। इस प्रकरण का खुलासा चर्चित उद्यान घोटाले को सामने लाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने किया है। मुख्यमंत्री को मय प्रमाण पत्र भेजे अपने पत्र में करगेती ने विश्वविद्यालय में कई प्रकार की अनियमितताओं पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए तत्काल कोई ठोस कार्यवाही की मांग की है।
करगेती के अनुसार वर्तमान में भरसार विश्वविद्यालय में जो नियुक्तियां की गई हैं उसमें विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखण्ड शासन की बिना अनुमति के 2019 में जारी भर्ती रोस्टर को पूरी तरह से बदलकर 2023 में नया भर्ती रोस्टर विज्ञापित किया गया था जो पूर्ण रूप से गलत था। करगेती का कहना है कि पुराने रोस्टर अनुसार जिन पदों के लिए नियुक्तियां की जानी थी उसको पूरी तरह बदल दिया गया जिसके चलते योग्य अभ्यार्थी जो पिछले कई वर्षों से पूर्व में विज्ञापित पदों के विषयों के अनुसार अपनी-अपनी तैयारी कर रहे थे उनसे उनका हक छीन लिया गया और अपने चहेतों के अनुरूप बदले गए रोस्टर के हिसाब से भर्तियां करवा दी।
आरोप है कि विश्वविद्यालय कुलपति एवं कुछ अन्य अधिकारियों द्वारा ये रोस्टर अपने चहेतों और उनके परिजनों को फायदा पहुंचाने और मोटी कमाई के लिए बदला गया। जबकि उत्तराखण्ड शासन का रोस्टर संबंधित नियम ये कहता है कि एक बार रोस्टर तैयार किए जाने के बाद किसी भी दशा में आरक्षित पदों में कोई बदलाव नहीं हो सकता है। साथ ही रिक्ति की दशा में आरक्षित पद पुनः उसी श्रेणी में विज्ञापित किया जाएगा।
दीपक करगेती के अनुसार उत्तराखण्ड शासन के कृषि अनुभाग द्वारा भी शासन के कार्मिक विभाग से परिक्षण कराने के उपरांत विज्ञप्ति रोस्टर में आरक्षण नियमों के उलंघन एवं संशोधन के संबंध में समय-समय पर विश्वविद्यालय से पत्राचार किए गए। पूरा मामला विश्वविद्यालय के सम्बंधित अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद भी अपने राजनीतिक रसूखों का फायदा उठाते हुए बदले गए रोस्टर के अनुसार अपनो को लाभ पहुंचाने के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया गतिमान रखी गई।
विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व में विज्ञापित पद जिन विषयों के लिए आवंटित थे उन सबको बदल कर पूरी भर्ती प्रक्रिया को धुमिल कर दिया। पदों के विज्ञापन तक सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने हेतु विश्वविद्यालय के चार ऐसे सहायक प्राधयापकों (डॉ.एस.पी. सती, डॉ. वी.पी. खण्डूडी, डॉ. अरविंद बिजल्वाण एवं डॉ. अमोल वशिष्ठ) को (जिन पर माननीय उच्च न्यायालय में उनकी अपनी भर्ती जो 2018 में हुई थी पर अभी भी जांच विचाराट्टाीन है), अनेकानेक उच्च एवं महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया गया है ताकि उन महत्वपूर्ण पदों के नाम का सहारा लेकर उनसे ही सभी अनियमितता कराई जाए। ऐसे में जबकि इन चारों के अपने पद भी भविष्य में सुरक्षित रहेंगे या नहीं इसका फैसला भी उच्च न्यायालय से आना बाकी है।
विश्वविद्यालय में वर्तमान में शैक्षणिक पदों पर जो भर्तियां चल रही हैं उसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी. रेगुलेशन 2018) एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आई.सी.ए.आर.) के तय मानकों को भी पूरा नहीं किया गया, क्योंकि गैर शैक्षणिक पदों के आवेदकों को सह
प्राधयापक के पद पर बुलाया गया था।
यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार साक्षात्कार के लिए बनाई जाने वाली कमेटी में सम्बंधित महाविद्यालय के अधिष्ठता और संबंधित विभाग के विभागायक्ष को रखा जाना चाहिए था, लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा ऐसा नहीं किया। अनुदान आयोग (यू.जी.सी. रेगुलेशन 2018) के अनुसार ये सभी चार लोग सह प्राट्टयापक, प्राध्यापक पद के लिए योग्यता नहीं रखते हैं। प्राध्यापक पद लिए कम से कम एक पीएचडी स्टूडेंट गाइड किया होना चाहिए जिसको यह पूरा नहीं करते हैं।
बताया जा रहा है कि कुलपति ने सर्वप्रथम रोस्टर के साथ बदलाव किया तथा उसके बाद नियम विरुद्ध जाकर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए भर्ती प्रक्रिया में सभी नियमों की धज्जियां उड़ा दी।
विश्वविद्यालय का सिलाकुई में कैम्प कार्यालय होने के बाद भी नियुक्ति हेतु साक्षात्कार के लिए दो नामी होटलों को चुना गया इससे सरकारी ट्टान का खूब दुरुपयोग किया गया जबकि पूर्व में सारी भर्तियों के साक्षात्कार विश्वविद्यालय के कैंप कार्यालय से ही हुए हैं। डॉ. आलोक गुलाब राओ येवले जो वर्तमान में कृषि विज्ञान केंद्र रानीचौरी में विषय वस्तु विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं जोकि एक प्रसार का पद है एवं उनका टीचिंग रिसर्च के पद पर चयन कर दिया गया जबकि इनकी एक वर्ष की भी सेवा नहीं है। वर्तमान कुलपति द्वारा नियमों को ताक में रख एवं यू.जी.सी. रेगुलेशन 2018 को पूर्णतः अनदेखा करके तीन से अधिक सह प्राध्यापक पद हेतु साक्षात्कार में डॉ. आलोक को बुलाया गया।
जबकि यू.जी.सी. रेगुलेशन 2018 के अंनुसार सह प्राध्यापक पद हेतु टीचिंग एवं रिसर्च के पद पर कम से कम आठ साल का अनुभव अनिवार्य है उन सभी पदों पर डॉ. आलोक गुलाबराओं येवले की केवल योग्यता यह है कि उनके द्वारा अपनी पीएचडी की उपाधि हिमाचल प्रदेश से ली गई।
जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा विगत एक वर्ष में सम्पन्न कराई गई शैक्षणिक परिषद एवं प्रबंध परिषद् की बैठकों में मनचाहे निर्णय लिए गए हैं। जिसमे पूर्व वर्षों में जारी भर्ती रोस्टर को बदलकर नया भर्ती रोस्टर जारी करना मुख्य है। जबकि महत्वपूर्ण बैठकों के संबंध में राज्यपाल/कुलाट्टिापति के स्पष्ट निर्देश हैं कि पारदर्शिता हेतु संबंधित सभी बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग करके रखी जाए। लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं की जा रही है अपितु मनचाहे मिनट्स निकाले जा रहे हैं।
डॉ. वी.पी. खण्डूड़ी जिन पर भी माननीय उच्च न्यायालय में उनकी पूर्व की भर्ती हेतु जांच विचाराधीन है को वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में मुख्य कार्मिक अट्टिाकारी की भूमिका में रखा गया है। उनके द्वारा रोस्टर को बदलते वक्त अपने चहेतों का ख्याल कर रोस्टर एवं पूर्व में विज्ञापित पदों के विषयों को भी पूरी तरह से बदल दिया गया। जिसमें दो पदों के विषय जो कभी विज्ञापित नहीं हुए थे। उन पदों को केवल इसलिए जोड़ा गया की उनके चहेते डॉ. मनोज रियाल (जो वर्तमान में वानिकी महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं) की धर्मपत्नी डॉक्टर एकता बेलवाल को वानिकी महाविद्यालय में ह्यूमन न्यूट्रीशियन के पद पर जिसे उत्तराखण्ड महिला के लिए विज्ञापित किया गया एवं डॉ. तौफीक अहमद (जो वर्तमान में वानिकी महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं) की द्दार्मपत्नी डॉ. रिफत अहमद को वानिकी महाविद्यालय में स्किल एंटरप्रेंयूर्शिप जैसे पदों पर जिसे ओ.बी.सी. के अंतर्गत वर्तमान में विज्ञापित किया गया है उन पदों पर नियुक्ति देने के लिए अधिकृत किया गया ताकि उन पदों पर उन्हें आसानी से बिना किसी संघर्ष के नियुक्ति दिलाई जा सके।
बात अपनी-अपनी
इस मामले की मुझे जानकारी नहीं है। अगर नियुक्तियों में अनियमितता हुई है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
गणेश जोशी, उद्यानमंत्री, उत्तराखण्ड
जिनकी नियुक्ति की गई है वे सभी नियम के सापेक्ष की गई है। किसी को कोई शंका है तो वह जांच करा सकते हैं।
प्रोफेसर प्रबिद्र कौशल, कुलपति, वीरचंद्र गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्योगिक एवं वानिकी विश्वविद्यालय