कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद से ही गांधी परिवार शरद पवार के निशाने पर रहा। हालांकि यूपीए गठबंधन के केंद्र में दस बरस की सरकार के दौरान शरद पवार सरकार में शामिल रहे लेकिन उन्होंने कभी भी राहुल गांधी के नेतृत्व को नहीं स्वीकारा। यहां तक कि वे राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों के नेताओं की मीटिंग में शामिल होने से बचते रहे। अब लेकिन हालात बदल चुके हैं। पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र में अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है। यही कारण है वे कांग्रेस संग अपने गठबंधन को मजबूती देने में अभी से जुट गए हैं। पिछले तीन महीनों के दौरान वे राहुल संग कई मर्तबा बैठक कर चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद के नौ जुलाई को हुए चुनावों में कांग्रेस को एक एक्सट्रा सीट जीतवाने में भी पूरी मदद की। जानकारों की माने तो पवार के इस कांग्रेस प्रेम की असल वजह अपनी पार्टी में एका बनाए रखना है। पिछले कुछ अर्से के दौरान एनसीपी के कई वरिष्ठ नेता पार्टी को छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में यदि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस संग सम्मानजनक तालमेल नहीं होता तो एनसीपी के समक्ष वजूद का संकट पैदा हो जाएगा। यही कारण है शरद पवार गांधी परिवार संग अपने संबंध सुधारने में जुट गए हैं।

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