में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने तेलंगाना चुनाव से पहले चुनाव लड़ने की बजाय कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया था। शर्मिला और उनकी पार्टी ने कांग्रेस की मदद की थी, जिसका फायदा पार्टी को हुआ। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनकी पार्टी का विलय कांग्रेस में होगा और उनको तेलंगाना से राज्यसभा भेजा जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस उनका कद बढ़ाएगी ताकि वे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती दिला सकें। राजनीतिक पंडितों की मानें तो उनको किसी उत्तर या पश्चिमी राज्य का प्रभारी बनाने की बात भी हो रही है लेकिन उनकी मुख्य भूमिका आंध्र प्रदेश में होगी। यह भी सवाल है कि क्या शर्मिला और उनकी मां किसी तरह से जगन मोहन को तैयार कर सकती हैं कि वे फिर से कांग्रेस के साथ आएं? जगन मोहन ने 10 साल से ज्यादा मेहनत करके अपनी पार्टी को स्थापित किया है और अगर वे अगले साल लगातार दूसरी बार चुनाव जीत जाते हैं तो फिर वे क्यों कांग्रेस के साथ जाएंगे? कांग्रेस ने उनको जैसे मुकदमों में फंसाकर जेल में रखा उसे देखते हुए संभव नहीं लगता है कि वे कटुता भूल जाएंगे।

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