आज की इस फास्ट्रैक दुनिया में सोशल मिडिया इतना तेज हो गया है कि लोगों ने कब इसका गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया कि उन्हें पता भी नही चला। जस्टिस दीपक गुप्ता ने इस पर चिन्ता जाहिर की हैं। उनका यह मानना हैं कि विधार्थियों के निजी जीवन को सोशल मिडिया बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। सुबह उठते ही और रात को सोने जाने से पहले तक इन वैबसाइटों को ऐक्सैस करने की आदत ने बच्चों को वास्तविक दुनिया से जैसे परे ही कर दिया हैं।
सोशल मीडिया के चलते लोगों को भड़काना, जातिवाद पर कथित टिप्णिया, अन्य ऐसी घटनाओं को सोशल पर वायरल कर देना जिससे हमारे आस-पास के माहौल में गंभीर तनाव बना दिया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार से जवाब माँगा हैं कि वो तीन हफ्ते के अंदर बताए कि वो कितने समय के अंदर सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए दिशा निर्देश बनाने जा रही है।
सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर जस्टिस दीपक गुप्ता ने टिप्पणी करते हुए कहा, ”लोग सोशल मीडिया पर AK-47 भी खरीद सकते हैं जबकि मुझे लगता है कि स्मार्टफोन छोड़ देना चाहिए और फिर से फीचर फोन की तरफ लौट जाना चाहिए।
”इसके अलावा उन्होंने कहा ‘मेरी प्राइवेसी सुरक्षित नहीं है, मैं तो स्मार्टफोन छोड़ने की सोच रहा हूँ। सरकार को इससे निपटने के लिए तुरंत जरुरी कदम उठाना चाहिए। जस्टिस दीपक गुप्ता ने आगे कहा,”यह कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है कि वह इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए गाइडलाइन जारी करे। सरकार के पास पर्याप्त ताकत है। सरकार को हमारे आने वाले कल के बारे में सोचना चाहिए।”