प्रवासी लोगों को उत्तराखंड घर वापसी के लिए पिछले एक माह से जी तोड मेहनत कर रही प्रवासी सहयोगी टीम की मुहिम अब रंग लाने लगी है। जिसकी सदस्य सोशल वर्कर श्वेता मासी मान ने मुंबई में उत्तराखंड के करीब 2600 प्रवासियों को उत्तराखंड घर वापसी के लिए अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत प्रवासी सहयोगी टीम महाराष्ट्र और उत्तराखंड सरकार के बीच फसे लोगों को घर पहुंचाने के लिए वचनबद्ध है।
पिछले एक महीने से प्रवासी सहयोगी टीम कभी महाराष्ट्र तो कभी उत्तराखंड सरकार से संपर्क साध कर लोगों को सकुशल उनके घर पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें महाराष्ट्र सरकार तो सहयोग कर रही है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार अपने ही लोगों को उनके घर लाने में लापरवाही दिखा रही हैं। जिसके चलते प्रवासी सहयोगी टीम की सदस्य स्वेता मासीवाल ने हाई कोर्ट नैनीताल में हस्तक्षेप याचिका दायर कर दी है।
जिसमें याचिका का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट नैनीताल में राज्य सरकार और भारतीय रेलवे से मुंबई में फंसे ढाई हजार से अधिक प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने की त्वरित कार्य योजना बनाने को कहां है। यही नहीं बल्कि इसके लिए उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट में 2 दिन का समय देते हुए कहा है कि वह 17 जून को न्यायालय में इस बाबत जवाब दाखिल करें।
गौरतलब है कि प्रवासी सहयोगी टीम की सदस्य स्वेता मासीवाल मुंबई में रहती है। जहां से वह उत्तराखंड के प्रवासी लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। बकायदा श्वेता मासीवाल और उनके साथी लोगों ने प्रवासी सहयोगी टीम का गठन करके इस मुहिम को जारी किया हुआ हैं।
पिछले एक माह से प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने की मुहिम जारी है । इस बाबत श्वेता मासीवाल ने पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके भतीजे युवराज आदित्य ठाकरे को यह जानकारी दी कि मुंबई में उत्तराखंड के ढाई हजार से अधिक लोग फंसे हुए हैं । जिन्हें बार-बार उनके घर पहुंचाने का आश्वासन उत्तराखंड सरकार और महाराष्ट्र सरकार दे रही है।
यही नहीं बल्कि श्वेता ने इस बाबत सोशल मीडिया में भी यह मामला उजागर किया। जिसमें उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के प्रवासी लोग किस तरह नारकीय जीवन जी रहे हैं। ना उनके पास खाने को रोटी है और ना रहने को घर है। फिलहाल उनकी हालत चिंताजनक है। ऐसे बहुत से लोग श्वेता मासीवाल से बराबर संपर्क साधे हुए हैं।
श्वेता मासीवाल उनकी इस समस्या को महाराष्ट्र सरकार और उत्तराखंड सरकार के समक्ष रखकर अपने घर पहुंचाने की अपील करती रही है। लेकिन उत्तराखंड सरकार के अधिकारी इस मामले में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । यहां तक की महाराष्ट्र सरकार के द्वारा भेजे गए पत्रों का जवाब भी देना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।
प्रवासी सहयोगी टीम के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली के द्वारा हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका की सुनवाई की गई। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार अपने लोगों की घर वापसी कराएं। याचिकाकर्ता श्वेता मासीवाल ने हाईकोर्ट के समक्ष बताया कि उनकी टीम पिछले महीने से लोगों को घर वापस के लिए दोनों प्रदेशों की सरकार से अपील कर रही थी। ऐसे करीब 2600 लोग हैं जो 30 अप्रैल से पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर घर वापसी का इंतजार कर रहे थे । लेकिन दोनों सरकारों में आपसी सामंजस न होने के कारण प्रवासी लोग जहां के तहां फंसे हुए हैं।
बावजूद इसके कि प्रवासी टीम के लोग बार-बार संपर्क करने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा इस मामले में महाराष्ट्र को एनओसी नहीं दी जा रही है। जबकि दूसरी तरफ महाराष्ट्र के अधिकारियों ने उत्तराखंड के नोडल अधिकारियों से लगातार 26 मई से कई बार संपर्क कर उत्तराखंड सरकार से अनुरोध किया था । लेकिन उनके अनुरोध को अनसुना कर दिया गया। मजबूरन प्रवासी सहयोगी टीम को हाई कोर्ट नैनीताल में हस्तक्षेप याचिका दायर करनी पड़ी है।