Country

भारत-कनाडा के बीच तनाव से महंगी हो जाएगी मसूर दाल !

कनाडा

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का गंभीर आरोप लगाया है। ट्रूडो के इस दावे से भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक संबंधों में तनाव आ गया है। हालांकि भारत ने ट्रूडो के आरोप को खारिज कर दिया है। इन दोनों देशों ने एक-दूसरे के उच्च पदस्थ अधिकारियों को अपने-अपने देश से निकाल दिया है। मामले पर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी प्रतिक्रिया दी है। इस बीच अब भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंधों से भारत में मसूर की कीमतें बढ़ सकती हैं। आख़िर इसकी वजह क्या है?

कनाडा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता

दाल व्यापारी और ट्रेडर्स कनाडा और भारत के बीच मौजूदा स्थिति और घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं। इन दोनों देशों के रिश्ते के हिसाब से देश में मसूर दाल महंगी होगी या नहीं? ये होने वाला है। क्योंकि कनाडा भारत को दाल की आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। खबरों के मुताबिक यह आयात 4 से 5 लाख टन प्रति वर्ष है। अगर कनाडा से मसूर दाल का आयात बंद हो जाता है तो भारत इस दाल को ऑस्ट्रेलिया से आयात कर सकता है। हालांकि सप्लाई चेन बाधित होने से दाल की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है।

चने की दाल के बाद मसूर सबसे सस्ती दाल है। इस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में मसूर दाल 91 से 95 रुपये प्रति किलो बिक रही है। चना दाल की कीमत 75 से 80 रुपये प्रति किलो है। मूंग और अरहर दाल का रेट अपेक्षाकृत अधिक है। मूंग दाल 110 रुपये प्रति किलो है जबकि तूरदाल 150 रुपये प्रति किलो है। मसूर के कुल घरेलू उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में होता है। भारत को हर साल लगभग 18 से 20 लाख टन मसूर दाल की आवश्यकता होती है।

क्यों बढ़ी दाल की खपत?

इस साल भारत ने करीब 11 लाख टन मसूर दाल का आयात किया है। वर्तमान समय में मसूर दाल की खपत काफी बढ़ गई है। इंदौर में दाल मिलर और ट्रेडर कंपनी मयूर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष हर्ष राय ने इस पर टिप्पणी की है। उनके मुताबिक मौजूदा समय में अरहर दाल की कीमत काफी बढ़ गई है। इसलिए लोग तुअर दाल की जगह मसूर दाल खरीद रहे हैं। वर्तमान समय में दाल की खपत भी बढ़ गई है। राय ने कहा, इसलिए भविष्य में इस दाल की दर भी बढ़ने की संभावना है।

यह भी पढ़े: साख पर दाग

4.85 लाख टन मसूर दाल का आयात

 

ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भारत में दाल के दो सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया से 3.5 लाख टन और कनाडा से 4.85 लाख टन मसूर दाल का आयात किया। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया से 2.67 लाख टन और कनाडा से 1.90 लाख टन मसूर दाल का आयात किया।

एक महीने में 100 डॉलर महंगी हुई मसूर दाल

 

हालाँकि वर्तमान में कनाडा में दाल का उत्पादन कम होने जा रहा है। चालू सीजन के दौरान कनाडा में मसूर का उत्पादन करीब 15.4 लाख टन होने की संभावना है। पिछले साल यही आंकड़ा 23 लाख टन था। चूंकि मसूर दाल का उत्पादन घटने की संभावना है, इसलिए संभावना है कि भविष्य में यह दाल महंगी हो जायेगी। फिलहाल मसूर दाल की कीमत 760 से 770 डॉलर प्रति टन है। पिछले एक महीने में ये रेट 100 डॉलर बढ़ गया है। इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। इस समय भारत और कनाडा के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। ऐसे में मसूर दाल की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका है। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले समय में भारत में मसूर दाल महंगी होने की आशंका है।

कनाडा-भारत विवाद का कारण क्या है?

 

कुछ दिन पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान का समर्थन करने वाले हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर टिप्पणी की थी। इसी साल जून में कनाडा में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भारत ने उसे आतंकवादी घोषित कर दिया है। ट्रूडो ने दावा किया है कि उनकी हत्या के पीछे भारत का हाथ है। हालाँकि, भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया है।

भारत ने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। इस मुद्दे पर फिलहाल भारत और कनाडा के बीच तनाव बना हुआ है। भारत द्वारा आरोपों को खारिज करने के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद भारत ने भी कनाडाई समकक्ष को देश छोड़ने के लिए कहा। फिलहाल भारत ने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।

ऑस्ट्रेलिया से मसूर दाल आयात कर सकता है भारत !

इस बीच अगर इन दोनों देशों में यही स्थिति बनी रही तो मसूर की आपूर्ति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। लेकिन कनाडा की जगह ऑस्ट्रेलिया ले सकता है। यानी भारत कनाडा से मसूर दाल का आयात ऑस्ट्रेलिया से कर सकता है। भारत के पास ऐसा विकल्प है। लेकिन मसूर दाल पर ऑस्ट्रेलिया का एकाधिकार भारत के लिए उपयुक्त नहीं है। कनाडा दाल का सबसे बड़ा निर्यातक है। इसलिए इस बाज़ार पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचना कनाडा के हित में है। लेकिन मौजूदा घटनाओं पर नजर रखना ही एकमात्र विकल्प है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD