सिहांवलोकन-2023/आपदा-हादसे
वर्ष 2023 प्रदेश में आपदाओं को लेकर आया और जाते-जाते भी आपदा का दंश देकर ही गया। वर्ष के आरंभ में ही जनवरी महीने में जोशीमठ जैसी आपदा देखने को मिली तो वर्ष के अंतिम समय में सिलक्यारा सुरंग हादसा सामने आया। पौराणिक नगरी जोशीमठ में आए भू-धंसाव से जहां तकरीबन आधा नगर प्रभावित रहा तो वहीं उत्तरकाशी का सिलक्यारा टनल हादसा देशभर में चर्चाओं में रहा। साथ ही प्रदेश के अनेक नगरों में अत्यधिक बरसात से बाढ़ जैसे हालातों से दो-चार होना पड़ा। पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े-बड़े भूस्खलनों के चलते भी आम जनता के साथ-साथ तीर्थयात्रियों को भी जूझना पड़ा। उत्तराखण्ड के लिए 2023 जिस तरह से भारी प्राकृतिक आपदा से त्रस्त रहा ठीक वैसे ही पूरे वर्ष सड़क दुर्घटनाआंे ने पीछा नहीं छोड़ा। प्रदेश के सड़क परिवहन विभाग के नवंबर 2023 तक के आंकडों को देखें तो इस वर्ष सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिसमें सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं तो घायलों की संख्या भी बहुत ज्यादा रही है
उत्तराखण्ड के लिए 2023 भारी आपदा के नाम रहा। वर्ष 2023 प्रदेश में आपदाओं को लेकर आया और जाते-जाते भी आपदा का दंश देकर ही गया। वर्ष के आरंभ में ही जनवरी महीने में जोशीमठ जेैसी आपदा देखने को मिली तो वर्ष के अंतिम समय में सिलक्यारा सुरंग हादसा सामने आया। पौराणिक नगरी जोशीमठ में आए भू-धंसाव से जहां तकरीबन आधा नगर प्रभावित रहा तो वहीं उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में हुए बड़े भूस्खलन से देश भर में चर्चाओं में रहा। साथ ही प्रदेश के अनेक नगरों में अत्यधिक बरसात से बाढ़ जेैसे हालातों से दो-चार होना पड़ा। पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े-बड़े भूस्खलनों के चलते भी आम जनता के साथ-साथ तीर्थयात्रियों को भी जूझना पड़ा।
जोशीमठ आपदा: साल 2023 को दो जनवरी की रात विख्यात पोैराणिक नगर जोशीमठ में तेज धमाके के साथ भारी भूस्खलन हुआ। हालांकि भू-धंसाव की घटना सितंबर 2022 में ही हो चुकी थी लेकिन इसे एक सामान्य भू-धंसाव की घटना माना जाता रहा जिसे सरकार के साथ-साथ प्रशासन और भू – वैज्ञानिक भी हल्के में ले रहे थे। लेकिन दो जनवरी की रात को जोशीमठ में अनेक स्थानों में जमीन धंसने लगी। नगर के एक बड़े भू-भाग में बड़ी-बड़ी दरारे बनने लगी जो निरंतर बनती ही चली गई। सैकड़ों आवासीय और व्यावसायिक भवनों में दरारें इस कदर पड़ गई थी कि उनमें रहने वाले नागरिकांे को आवासों से हटाकर अन्यत्र सुरक्षित स्थानों में भेजा गया। इस भू-धंसाव से पोैराणिक नरसिंह मंदिर के साथ ही प्राचीन भवनों को भी नुकसान पहुंचा। इतनी बड़ी आपदा के बाद राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी जोशीमठ में राहत और बचाव कार्यों के साथ ही पुनर्वास में पूरी ताकत झोक दी। तकरीबन आधे जोशीमठ को आपदाग्रस्त घोषित कर राहत कार्यों लिए तैनात करना पड़ा।
सिलक्यारा टनल हादसा: उत्तराखण्ड के साथ-साथ सिलक्यारा टनल हादसा 2023 का सबसे बड़ा हादसा बन उभरा है। दीपावली के दिन टनल में निर्माण कार्य के दौरान जबदस्त भूस्खलन होने के चलते तकरीबन 72 मीटर सुरंग में मलवा भर गया जिससे कार्यरत 41 श्रमिक टनल में ही फंस गए। जिन्हें निकालने के लिए देश-विदेश के विशेषज्ञों की टीम बचाव कार्य में जुटी रही। 17 दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस रेस्क्यू
ऑपरेशन में पहली बार रेैट माइनर्स का उपयोग हुआ जिन्होंने लगातार 24 घंटे काम करके श्रमिकांे को सुरक्षित बाहर निकाला। सिलक्यारा टनल हादसा ओैर इसमें बचाव के लिए चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन अपने आप में पहली बार देखने को मिला। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार की पूरी मशीनरी ने अपनी ताकत झोंक दी जिससे सभी सुंरग में फंसे श्रमिको को सुरक्षित निकालने में सफलता मिली।
मानसूनी आपदा: वर्ष 2023 में मानसून सीजन ने भारी आपदा से प्रदेश को हकलान करके रखा। बरसात के मौसम में प्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई जिससे भूस्खलन और बाढ़ के हालात पैदा हो गए और अनेकों सड़कांे और पुलों को भारी क्षति पहंुची, साथ ही जानमाल की भी क्षति हुई। आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष मानसूनी आपदा के चलते प्रदेश को 14 सौ करोड़ का भारी नुकसान तो हुआ ही साथ ही 169 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का 100 मीटर हिस्सा पूरी तरह समाप्त हो गया। टिहरी के चंबा में पहाड़ी से भूस्खन हुआ जो इस क्षेत्र में पहली बार हुआ जिसमें पांच लोगांे की मौत हुई। रूद्रप्रयाग जिले में आपदा के चलते सबसे ज्यादा 21 लोगों की मौतें हुई हैं।
कोटद्वार में करोड़ांे की लगात से मालन नदी पर बना पुल का एक हिस्सा धराशाई तो हुआ ही साथ ही कोटद्वार में भारी तबाही हुई। हरिद्वार, देहरादून, जिले में भी जमकर अतिवृष्टि से अनेक स्थानों पर बाढ़ के हालात पैदा हुए। ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भारी जलभराव से जनजीवन प्रभावित हुआ। देहरादून के कई नगरीय क्षेत्रांे में भारी जल भराव से आम जनता को भारी समस्याएं हुई। रायपुर, कांठबांग्ला और मालदेवता क्षेत्रांे में नदी- नालों में जलस्तर बढ़ने से हाहाकार मच गया। पूर्व में भी मालदेवता और कुमल्डा क्षेत्रांे में भारी अपदा आ चुकी है।
उत्तरकाशी जिले के यमनोत्री मार्ग पर डबर कोट के पास भारी लैंड स्लाइड हुआ। नरेंद्र नगर के समीप गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऑल वेदर रोड को भारी क्षति हुई औेर लैंड स्लाइड के चलते यह क्षेत्र स्थाई भूस्खलन क्षेत्र बन गया।
सड़क दुर्घनाओं का अंबार
उत्तराखण्ड के लिए 2023 जिस तरह से भारी प्राकृतिक आपदा से त्रस्त रहा ठीक वैसे ही पूरे वर्ष सड़क दुर्घनाआंे ने पीछा नहीं छोड़ा। प्रदेश के सड़क परिवहन विभाग के नवंबर 2023 तक के आंकडों को देखें तो इस वर्ष सबसे ज्यादा सड़क दुर्घनाएं हुई हैं जिसमें सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं तो घायलों की संख्या भी बहुत ज्यादा रही है।
वर्ष 2023 में प्रदेश में कुल 1367 सड़क दुर्घनाएं हुई हैं। इनमें जहां 838 लोगों की मौतें हुई है तो वहीं 1260 लोग घायल हुए। प्रदेश के सभी तेरह जिले सड़क दुघटनाओं से दो-चार होते रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं देहरादून, हरिद्वार,
ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में ही हुई हैं। इसी तरह से इन चारों जिलों में 1219 सड़क दुर्घटनाओं में 709 लोगों की मौतें हुई हैं तो 1061 लोग इन सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए हैं।
अन्य जिलों की बात करें तो गढ़वाल मंडल के पहाड़ी जिलों में उत्तरकाशी में 15 सड़क दुर्घटनाओं में 24 लोगों की मृत्यु हुई है तो 42 लोग घायल हुए हैं। वहीं टिहरी जिले में 42 सड़क दुर्घटनाओं में 35 लोग मारे गए और 51 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह से चमोली जिले में 14 घटनाओं में 11 लोग मारे गए और 44 घायल हुए। रूद्रप्रयाग जिले में भी इस वर्ष 10 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिसमें 9 लोगों की मृत्यु हुई है और 6 लोग घायल हुए हैं। पौड़ी जिले में 22 सड़क दुर्घटनाओं में 10 लोग मारे गए हैं तो 16 लोग घायल हुए हैं।
कुमाऊं मंडल में भी साल 2023 में अनेक सड़क दुर्घनाएं हुई हैं। अल्मोड़ा में 13 सड़क दुर्घटनाओं में 5 लोगों की मौतें हुई और 10 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह से पिथौरागढ़ में 15 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिसमें 16 लोगों की मौत हुई और 16 घायल हुए हैं। चंपावत जिले में 14 घटनाओं में 13 लोग मारे गए और 10 लोग घायल हुए। बागेश्वर जिला भी सड़क दुर्घटनाओं से अछूता नहीं रहा है। इस वर्ष जिले में 3 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिसमें 6 लोग मारे गए और 4 लोग घायल हुए हैं। पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़क दुघटनाओं के मामले चार जिलों में सामने आए। नैनीताल जिले में 2023 में 168 सड़क दुर्घटनाओं सामने आई हैं जिसमें 97 लोग मारे गए और 173 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह से ऊधमसिंह नगर जिले में सबसे ज्यादा 342 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। इन दुर्घटनाओं में 236 लोग मारे गए और 302 लोग घायल हुए हैं। हरिद्वार जिले में 336 सड़क दुघटनाओं के मामले हुए हैं, जिनमें 225 लोगों की मौत हुई है तो 264 लोग घायल हुए हैं। देहरादून जिला भी 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में अग्रणी जिला रहा है। इस वर्ष जिले में 373 सड़क दुर्घटनाएं सामने आई हैं। इन दुर्घटनाओं में 151 लोग मारे गए और 351 लोग घायल हुए हैं।
2022 में भी इन चारों जिले में 1223 सड़क दुर्घटनाएं सामने आई थी जिसमें 649 लोग मारे गए थे, साथ ही 935 लोग घायल हुए थे। जबकि इस वर्ष नवंबर तक 1219 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और पिछले वर्ष से ज्यादा 709 लोग मारे गए हैं।
साल 2023 के सड़क दुर्घटनाओं के कुछ मामले सबसे ज्यादा चर्चित रहे हैं इनमें कालाढूंगी बस हादसा जिसमें हरियाणा के शिक्षकों का एक दल नैनीताल भ्रमण पर आया और वापसी में उनकी बस कालाढूंगी के पास गहरी खाई में गिर गई जिसमें 7
लोगों की दुर्घनास्थल पर ही मौत हो गई और 23 लोग घायल हुए। दूसरा मामला पिथोैरागढ़ जिले में धारचूला लिपुलेख राष्ट्रीय राजमार्ग में आदी कैलाश के दर्शनार्थियों की जीप के ऊपर भारी चट्टान गिर गई जिसमें सभी 8 लोगों की दर्दनाक मौत हुई।
मई के माह में टिहरी जिले में सेंदुल-किरोथ मोटर मार्ग में एक कार गहरी खाई में गिर कर दुर्घनाग्रस्त हो गई जिसके चलते कार में सवार सभी पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वाले सभी यात्री हिमाचल प्रदेश के निवासी थे। टिहरी जिले के चमियाला से घनशाली जा रही बारात की जीप गहरी खाई में गिर गई जिसमें 5 लोगों की मृत्यु हुई और 12 लोग घायल हुए। इसी तरह से उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर तीर्थयात्रियों की बस गंगा नदी में जा गिरी जिससे 7 तीर्थयात्री घटनास्थल पर ही मारे गए शेष 27 लोग बुरी तरह से घायल हो गए। पिथौरागढ़ में भी बड़ा हादसा सामने आया है जिसमें यात्रियों से भरी बुलेरो जीप 500 मीटर गहरी खाई में जा गिरी। इस दुर्घटना में 9 लोग मारे गए और 2 बुरी तरह से घायल हुए।
मई में ही हरिद्वार में रोडवेज बस हादसा हुआ जिसमें बस कंडक्टर के साथ 10 माह की एक बच्ची की भी मौत हुई। इस दुर्घटना में 39 यात्री घायल हुए जिसमें 4 गंभीर तौर पर घायल हुए। दुर्घटनाग्रस्त रोडवेज की बस 41 सवारियों को लेकर
नजीबाबाद से हरिद्वार आ रही थी। चंडीघाट चौक से करीब 200 मीटर पहले बस अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी।

