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यह आकाशवाणी का महिला शोषण केंद्र है

देश-दुनिया को अपनी मधुर आवाज के जरिए खबरो और मनोरंजन से रूबरू कराने वाली आॅल इंडिया रेडिया (आकाशवाणी) उद्घोषिकाओ ने भी अब मीटू अभियान के तहत अपने साथ हो रहे यौन शोषण की आवजा को उठा दिया है। लेकिन महिला सशक्तीकरण की बात करने वाली सरकार में भी रेडियो उद्घोषिकाओ की आवाज को अनसुना कर दिया गया है। आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों में ऐसी दर्जनों टेªनी महिलाए आज अपने साथ हुए शोषण से बेहद खफा है। फिलहाल उन्होंने आॅल इंडिया रेडियो के आरोपी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ न केवल मोर्चा खोला है बल्कि अपने साथ हुए मानसिक और शारीरिक शोषण की आवाज को पत्र के जरिए प्रसार भारती के चीफ एक्जीक्यूटिव तक पहुंचा दिया है। सांसद एवं केंद्रीय मंत्री मेनका

गांधी ने भी उन की व्यथा सुन उनका साथ देने का वादा किया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इस मामले में पत्र लिखकर मामले का स्पष्टीकरण मांगा है। आॅल इंडिया रेडियो की कर्मचारी यूनियन का कहना है कि धर्मशाला, ओपरा, सागर, रामपुर, कुरूक्षेत्र और दिल्ली समेत छह आॅल इंडिया रेडियो के स्टेशनों पर उद्घोषिकाओं के यौन शोषण मामले में आरोपियों को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। फिलहाल अपने साथ यौन शोषण की शिकार हुई महिलाओं को वापिस नौकरी पर रखने का वादा करके मामले को मैनेज किया जा रहा है। गौतलब है कि गत माह 31 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के शहडोल स्थित आॅल इंडिया रेडिया में 9 महिलाओं को सिर्फ इसलिए बर्खास्त कर दिया गया कि उन्होंने गत वर्ष स्टेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर (प्रोग्रामिंग) रत्नाकर भारती के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इस मामले में रत्नाकर भारती के खिलाफ न सिर्फ एफआईआर दर्ज हुई बल्कि आॅल इंडिया रेडियो की जांच कमेटी भी बनाई गई थी। जिसमें उनको दोषी पाया गया था। बावजूद इसके रत्नाकर भारती आज भी आॅल इंडिया रेडियो में कार्यरत है। जबकि यौन शोषण  का आरोप लगाने वाली सभी नौ महिलाओं की सेवाए समाप्त कर दी गई थी।

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