पेट्रोलियम समृद्ध देश कहे जाने वाले वेनेजुएला में तनाव और अराजकता का माहौल बना हुआ है। राष्ट्रपति के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अंदेशा लगाया जा रहा है कि वेनेजुएला के हालात ऐसे ही रहे तो वहां गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 29 जुलाई को निकलोस मादुरो को राष्ट्रपति घोषित किए जाने के बाद देश के अलग- अलग हिस्सों में उनके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए, मादुरो के तीसरी बार चुनाव जीतने से विपक्ष समेत जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। जनता मादुरो के शासन से आजादी की मांग करते हुए नारे लगा रही है
पेट्रोलियम समृद्ध देश कहे जाने वाले वेनेजुएला में तनाव और अराजकता का माहौल बना हुआ है। राष्ट्रपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अंदेशा लगाया जा रहा है कि वेनेजुएला के हालात ऐसे ही रहे तो वहां ग्रह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 29 जुलाई को निकलोस मादुरो को राष्ट्रपति घोषित किए जाने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए, मादुरो के तीसरे बार चुनाव जीतने से विपक्ष समेत जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। जनता मादुरो के शासन से आजादी की मांग करते हुए नारे लगा रही है। वेनेजुएला की नेशनल इलेक्ट्रोल अथॉरिटी के द्वारा मादुरो को विजयी घोषित किए जाने की आलोचना दुनिया भर में की जा रही है। वेनेजुएला के विपक्षी दलों के नेताओं को अब भारी हिंसा की आशंका सता रही है।
खबरों के अनुसार पूर्व राजनयिक एवं विपक्षी उम्मीदवार गोंजालेज और सरकार की ओर से चुनाव लड़ने से रोकी गईं विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो ने अपनी गिरफ्तारी व हत्या की आशंका जताई थी। मादुरो और उनके समर्थकों द्वारा गोंजालेज और मचाडो को गिरफ्तारी की ट्टामकी दिए जाने के बाद उन्होंने सप्ताह का अधिकांश समय छिपकर बिताया था। लेकिन सप्ताह के अंत तक उन्होंने खुलकर यूरोपीय संघ और उनके देश फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन, समेत वाशिंगटन और लैटिन अमेरिकी देशों का लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए और उनके समर्थन का स्वागत करते हुए,एक्स पर वेनेजुएला के लोगों की ओर से धन्यवाद किया। इन देशों ने आरोपों से घिरे हालिया चुनाव में उनकी जीत को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में राष्ट्रपति निकलोस पर अंतराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है। यह दबाव ऐसे समय में बढ़ा जब विपक्ष ने विवादित राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को प्रकाशित करने के लिए बाहरी समर्थन का आ९ान किया। यूरोपीय संघ के अनुसार मतदान रिकॉर्ड को अगर पुनः प्रकाशित करने में देरी होती है तो यह उनकी विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न करेगा। सोशल मीडिया पर चल रहे इसी तरह के विवादों को रोकने के लिए ही संभवतः राष्ट्रपति मादुरो द्वारा 8 अगस्त को 10 दिन तक एक्स को बंद करने के लिए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया गया।
असल में हाल ही में 28 जुलाई को वेनेजुएला में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ था। जिसमें मादुरो के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी विपक्षी उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज थे और ज्यादातर चुनावी सर्वेक्षण में उन्हें आसानी से जीतता हुआ बताया जा रहा था। लेकिन परिणाम इसके विपरीत आए। इसके बाद से ही वेनेजुएला के विभिन्न क्षेत्रों में हिंसक प्रदर्शन होने लगे। इसी दौरान विपक्ष ने राष्ट्रपति मादुरो की जीत को मानने से इनकार करते हुए उन पर चुनावी धांधली का आरोप लगाया। सैकड़ों लोग राष्ट्रपति के खिलाफ सड़कों पर उतर आएं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति के आदेश पर हिरासत में लिया गया है। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो द्वारा कहा गया कि सरकार ने दो हजार से अधिकांश विरोधियों को गिरफ्तार किया है।
राजधानी काराकस में आयोजित एक रैली के दौरान मादुरो ने और अधिक लोगों को हिरासत में जेल भेजने का संकल्प भी लिया था। आम लोगों के बीच मादुरो शासन का भय इतना बढ़ गया है कि उन्होंने अपने फोन से मैसेजिंग एप्स तक हटा दिए। उन्हें डर है कि सुरक्षा बल असहमति के सबूत के रूप में उनके मैसेजों को उपयोग कर सकता है। वहीं मानवाट्टिाकार एनजीओ लैबोरेटोरियो डी पाज़ के सह-निदेशक राफेल उजकाटेगुई के अनुसार मादुरो के जाल में ऐसे कई लोग फंस चुके हैं जिनका कोई राजनीतिक संबंट्टा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि वेनेजुएला के लोगों को डराकर उन्हें अपने अधीन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसी अफवाहें थीं कि मादुरो चुनावी पर्यवेक्षकों को निशाना बना रहे थे, लेकिन हमने गिरफ्तारियों की जांच की और पाया कि वे इतनी बड़ी संख्या में हैं कि कोई वास्तविक पैटर्न नहीं दिख रहा है।
हिरासत में लिए गए लोगों में कई लोग ऐसे हैं जिनका कोई राजनीतिक जुड़ाव नहीं है और उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में भाग भी नहीं लिया है। केवल आतंक का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 33 वर्षीय एडनी लोपेज को पूछताछ के लिए तीन बार उसके हिरासत केंद्र से दूसरे केंद्र में ले जाया गया है, लेकिन उसके परिवार को अभी तक नहीं पता चला कि उसपर क्या आरोप हैं। उनके परिवार के अनुसार लोपेज वेनेजुएला के केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रबंधन की कक्षाएं पढ़ाती हैं और मानवीय संगठनों को परामर्श देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोपेज का किसी राजनीतिक संगठन से कोई संबंध नहीं है और न ही उन्होंने विरोध-प्रदर्शनों में भाग लिया है।
अन्य देशों द्वारा की जा रही आलोचनाओं के बीच अमेरिका ने मादुरो प्रशासन द्वारा की जा रही गिरफ्तारियों से देश में बड़े पैमाने पर अशांति फैलने की चिंता जाहिर की है। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने बाइडन के हवाले से कहा कि ‘अगर गिरफ्तारियां जारी रहीं, तो हम अस्थिरता की आशंकाओं को लेकर चिंतित हैं। वहीं चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने भी मादुरो पर ‘गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन’ करने का आरोप लगाते हुए उनकी निंदा की और ग्वाटेमाला, अर्जेंटीना और पेरू जैसे देशों के साथ मिलकर मादुरो की ‘स्वघोषित’ जीत को मानने से इनकार कर दिया।
मादुरो के प्रति सहानुभूति रखने वाली ब्राजील, मैक्सिको और कोलंबिया जैसी अन्य सरकारों ने वेनेजुएला के नेता से मतगणना का ब्यौरा प्रकाशित करने को कहा है, जिसे वो अब तक अस्वीकारते रहे हैं। नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल कंप्यूटर हैकिंग का शिकार होने की वजह से चुनावी नतीजों का विवरण पुनः प्रकाशित न कर पाने का दावा कर रहा है। लेकिन विपक्ष का मानना है कि यह सही नतीजों को प्रकाशित न करने का हथकंडा है। विपक्ष ने प्रत्येक मतदान केंद्र के मिनट्स को एक वेबसाइट पर प्रकाशित किया है, जिसमें दिखाया गया है कि गोंजालेज उरुतिया ने 67 प्रतिशत वोट जीते हैं। लेकिन मादुरो ने उनकी वैट्टाता अस्वीकार कर दी है। ऐसे में विपक्ष नेता सुश्री मचाडो ने अंतरराष्ट्रीय और स्वतंत्र स्तर पर प्रस्तुत किए गए मिनट्स के सत्यापन के अनुरोध का समर्थन मांगा था। विपक्ष ने एक खुला पत्र लिखते हुए सेना और सुरक्षा बलों से अपील की, कि वे ताकतवर नेता और उनके घृणित हितों को त्याग ‘लोगों के खिलाफ शासन की संयमहीनता को रोकें’।
वेनेजुएला में बढ़ता विरोध-प्रदर्शन
बीबीसी की एक रिपोर्ट मुताबिक राजधानी काराकस में जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रहे थे तब उन्हें रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। विरोध-प्रदर्शन करते हुए वेनेजुएला के नागरिकों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि तानाशाह को मार गिराओ। इस हिंसक प्रदर्शन में टायर जलाने से लेकर गोलियां तक चलाई गई। अबतक इस हिंसा प्रदर्शन में करीब 16 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। खबरों के मुताबिक प्रदर्शन में शामिल 41 वर्षीय पाओला सरजालेजो का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव में ट्टाोखादड़ी हुई थी। हम 70 फीसदी से जीते हैं, लेकिन उन्होंने फिर हमारा चुनाव छीन लिया। वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी ने अपने भविष्य की चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने बच्चों के लिए जीवन चाहते हैं।
इस चुनाव में मादुरो को विजेता घोषित करने के बावजूद लोग उन्हें राष्ट्रपति मानने से इनकार कर रहे हैं। राष्ट्रपति का चुनाव परिणाम बहुत निराशजनक था, मैं रोया, मैं चिल्लाया। मैंने अपनी बेटी को देखा, जो 13 साल की है, रो रही थी, मैंने उससे कहा, श्यह कब तक चलेगा? गौरतलब है कि मादुरो 11 साल से सत्ता में हैं और तब से देश में आर्थिक संकट गहराता चला जा रहा है। जनता उनके शासन से त्रस्त हो चुकी है। यही कारण है कि विपक्ष उन्हें हटाने के लिए एकजुट हुआ और अब लगातार तीसरी बार वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी ऑफ वेनेजुएला (पीएसयूवी) के उम्मीदवार और वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो तीसरी बार चुनाव लड़ रहे थे। उनका मुकाबला संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार, पूर्व राजनयिक एडमंडो गोंजालेज से था। राष्ट्रपति मादुरो को इस चुनाव में 51 फीसदी वोट मिले, जबकि एडमंडो गोंजाले को 44 फीसदी। इस प्रकार मादुरो को वेनेजुएला के राष्ट्रपति के रूप में तीसरी बार छह साल के के लिए घोषित किया गया।
चुनाव आयोग, नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल (सीएनई) द्वारा निकोलस मादुरो को राष्ट्रपति घोषित किए जाने के बाद विपक्षी दल ने चुनावी धांधली का आरोप लगाते हुए नतीजों को खारिज कर दिया। जिसके बाद से ही वहां राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। विपक्ष मांग कर रहा है कि हर मतदान केंद्र के चुनावी नतीजों को प्रकाशित किया जाए। उनका मानना है कि उन्हें करीब 70 फीसदी वोट मिले हैं। वेनेजुएला में लगातार हो रहे हिंसा और असंतोष को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने वेनेजुएला सरकार से राष्ट्रपति चुनाव का मतदान डेटा जारी करने की अपील की है।
अपने खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रपति मादुरो ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे स्थिति का सामना और हिंसक लोगों को हराना जानती हैं। उन्होंने वेनेजुएला में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। मादुरो ने दावा किया है यह प्रदर्शन अमेरिका द्वारा रची गई साजिस है। अमेरिका ही नहीं वेनेजुएला के विवादित चुनावी नतीजों पर यूके, स्पेन समेत कई यूरोपीय देश चिंता जाहिर कर चुके हैं। इसके अलावा अर्जेंटीना, चिली, कोस्टारिका, पेरू, पनामा, डोमिनिकन गणराज्य और उरुग्वे समेत अन्य लैटिन अमेरिकी देशों ने वेनेजुएला राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और इटली सहित कई यूरोपीय देशों के नेताओं ने एक बयान में कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान सभी वेनेजुएला वासियों, विशेष रूप से राजनीतिक नेताओं के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
हम उन्हें गिरफ्तार करने या डराने-धमकाने के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं। मादुरो ने इन देशों को फासीवाद बताते हुए इन देशों पर आरोप लगाया है कि यह अमेरिका के अट्टाीन काम करते हैं। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने 31 जुलाई को चेतावनी देते हुए कहा है अगर उन्हें उत्तरी अमेरिका और फासीवादी अपराधियों द्वारा मजबूर किया जाता है तो वे नई क्रांति के लिए आह्वान करने में संकोच नहीं करेंगे। मैं क्रांति करने के अन्य तरीकों पर नहीं जाना चाहता, मैं राजनीतिक शक्ति से यह पूरी गंभीरता से कहता हूं, हम उस रास्ते पर चलना चाहते हैं जिसे ह्यूगो, शावेज ने रेखांकित किया था। गौरतलब है कि एक बस चालक के रूप में अपने कार्य जीवन की शुरुआत करने वाले मादुरो 2000 में नेशनल असेंबली के लिए चुने जाने से पहले एक ट्रेड यूनियन नेता बन गए थे। राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के कार्यकाल में उन्हें कई पदों पर नियुक्त किया गया, 2005 से 2006 तक वे नेशनल असेंबली के अध्यक्ष, 2006 से 2013 तक विदेश मंत्री और 2012 से 2013 तक शावेज के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे। 5 मार्च 2013 को शावेज की मृत्यु की घोषणा के बाद, मादुरो ने राष्ट्रपति पद संभाला। तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने को लेकर निकोलस मादुरो के करीबी माने जाने वाले देश चीन, ईरान, रूस और क्यूबा ने मादुरो को तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की बट्टााई दी है।
एक ही पार्टी के शासन से ग्रस्त वेनेजुएला
वेनेजुएला पर पिछले लगभग 25 वर्षों से यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी ऑफ वेनेजुएला (पीएसयूवी) पार्टी के दो ही लोगों का शासन चल रहा है। ह्यूगो शावेज 1999 से 2013 तक राष्ट्रपति रहे उनकी मृत्यु हो जाने पर उनके दाहिने हाथ कहे जाने वाले निकोलस मादुरो को राष्ट्रपति बनाया गया। मादुरो के तत्कालीन समय में सत्ताधीन होने के बाद से ही वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था का संकट गहराता चला गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2014-2021 के दौरान अर्थव्यवस्था 80 प्रतिशत सिकुड़ गई है। इसका मुख्य कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट रही जो वेनेजुएला का मुख्य निर्यात वस्तु है।
इसके बाद उन्हें साल 2018 में फिर देश का राष्ट्रपति चुना गया । उनकी समाजवादी पीएसयूवी पार्टी ने पिछले दो दशकों में न्यायपालिका, निर्वाचन परिषद और सर्वाेच्च न्यायालय सहित प्रमुख संस्थाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रपति मादुरो की भूमिका बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई। मादुरो का एक बार फिर राष्ट्रपति बनना जनता को रास नहीं आ रहा है। 2025-2031 की अवट्टिा के लिए राष्ट्रपति के रूप में पुनः चुना गया है। विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकलोस मादुरो को हिंसा को रोकने के साथ-साथ देश को संभालने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।