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क्या दिल्ली फतह कर पाएगा ऐके – पीके का गठजोड 

पीके यानि प्रशांत किशोर को राजनीति का आधुनिक चाणक्य कहा जाता है। उनका कोई भी राजनीतिक शस्त्र खाली नही जाता है। अब तक के राजनीतिक  सर्वेक्षण बताते है कि वह जहाँ रहे जीत उसके पाले में रही। हालांकि  यह बात कांग्रेस के मामले में फिट नही बैठी थी। फिलहाल जनता दल यू के मुखिया नीतिश कुमार के साथ वह बिहार में ना केवल राजनीतिक गोटिया फिट करने में लगे थे बल्कि पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि अब पीके नीतिश का साथ छोड दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राजनीति का पहाडा पढायेंगे। इस तरह एके और पीके का साथ आने वाले विधानसभा चुनावों में कोई नया गुल खिलाएगा।
बताया जाता है कि अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर के बीच इसको लेकर काफी समय से बात चल रही थी। प्रशांत किशोर ने हाल ही में नागरिकता कानून को लेकर जदयू प्रमुख और सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। प्रशांत किशोर के बयान पर जदयू में घमासान छिड़ गया है।
याद रहे कि पीके यानि प्रशांत किशोर पहले भी कई दलों के साथ काम कर चुके हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी।
 प्रशांत किशोर ने इसके बाद 2015 के बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए काम किया। यहीं नहीं, उन्होंने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी चुनावी रणनीति बनाई थी।
इसी साल संपन्न हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने जगनमोहन रेड्डी के चुनाव प्रचार की कमान भी अपने हाथों में ली थी। इसके अलावा प्रशांत किशोर ने 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए काम किया था। इस चुनाव में कांग्रेस ने सपा के साथ हाथ मिलाया था।
यूपी के अलावा बाकी सभी चुनावों में प्रशांत किशोर को बड़ी कामयाबी मिली है। बता दें कि प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के लिए लिए भी चुनावी रणनीति बना रहे हैं। वे नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

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