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चुनाव आयोग में नतीजों से पहले घमासान, आयुक्त अशोक लवासा की मांग ख़ारिज

चुनाव आयोग ने आयुक्त अशोक लवासा की आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में पैनल के किसी सदस्य की असहमति को सार्वजनिक किए जाने की मांग खारिज कर दी है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में असहमति या अल्पमत के विचारों को रेकॉर्ड में रखा जाएगा, लेकिन उन्हें फैसलों में शामिल नहीं किया जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा की राय थी कि चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में फैसले न्यायिक नहीं होते। ऐसे में इन फैसलों में अल्पमत की राय या फिर असहमति को आदेश में शामिल नहीं किया जा सकता। हालांकि दोनों इस बात पर सहमत थे कि अल्पमत या असहमति के विचार को जरूर सुना जाना चाहिए, लेकिन इसे सिर्फ रिकॉर्ड में ही रखा जा सकता है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा, ‘आरटीआई ऐक्ट के तहत लोग चुनाव आयोग की फाइल नोटिंग्स के बारे में जान सकते हैं। चुनाव आयोग हमेशा से पारदर्शी रहा है और आगे भी रहेगा।’

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