राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला सोमवार से दिल्ली में शुरू हो रही है. कार्यक्रम का शीर्षक ‘भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण’ रखा गया है. इसमें कई गणमान्य लोगों के भाग लिए जाने की उम्मीद है, जिनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति और विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं.चर्चा है की कई राजनितिक दलों को भी निमंत्रण भेजा गया है. इस कार्यक्रम में विपक्ष के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना कम है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी व समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस समारोह में शामिल नहीं होंगे.
इस कार्यक्रम की विशिष्टता तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक विषयों पर संघ का विचार प्रस्तुत किया जाना है. बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में करीब 700-750 मेहमान आ सकते हैं. इनमें से 90 फीसदी लोग संघ से नहीं हैं. मोहन भागवत शुरुआती दो दिन में कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. आखिरी दिन वह जनता के सवालों का जवाब देंगे. मोहन भागवत इस दौरान करीब 200 से अधिक सवालों का जवाब देंगे.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना फैसला बता दिया है, जबकि सीपीएम ने कहा कि येचुरी यात्रा पर हैं और आरएसएस की तरफ से कोई आमंत्रण भी नहीं आया है. कांग्रेस ने इसे लेकर आरएसएस पर कटाक्ष किया. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं, जैसे मानो यह किसी सम्मान का कोई मेडल हो.
आरएसएस की स्थापना साल 1925 में हुई थी और यह सत्तारूढ़ बीजेपी के विचारधारा का स्रोत है. आरएसएस के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम हमारे विचार को प्रस्तुत करने के लिए है. यह बताने के लिए है कि हम उन मुद्दों को कैसे देखते है, जिसे विपक्ष हमें और सरकार को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. आरएसएस के प्रमुख प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि आज भारत अपना दुनिया में विशेष स्थान फिर से हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. व्याख्यानमाला का आयोजन विज्ञान भवन में किया जा रहा है