केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून में संशोधन किए जाने की आलोचना करते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि वह किसी भी कीमत पर राज्य में एनआरसी व संशोधित नागरिकता अधिनियम लागू नहीं होने देंगी। इसके खिलाफ जन आंदोलन का आह्वान करते हुए तृणमूल प्रमुख ने राज्य में नो एनआरसी आंदोलन का आह्वान किया और कहा कि मैं जेल जाने को तैयार हूं लेकिन सीएबी और एनआरसी को स्वीकार कर देश नहीं बटने दूंगी।
वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने ममता पर पलटवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी यदि पश्चिम बंगाल को पाकिस्तान या बांग्लादेश समझ रही है तो यह उनकी भूल है, पूरे देश के लिए कानून बना है, राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किया है और बंगाल में भी लागू होगा। उन्होंने कहा कि कानून के जरिए सभी योग्य नागरिकों को मान्यता मिलेगी और इससे किसी को भी भयभीत होने की जरुरत नहीं है। घोष ने कहा कि कानून को लेकर बंगालियों अथवा किसी अन्य को डराने की सियासत बंद होनी चाहिए।
बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्र्रेस शुरू से ही नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) का विरोध कर रही थी। इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मुखर रही हैं। उन्होंने सीएबी के साथ एनआरसी को एक ही सिक्के का दो पहलू करार दिया था। 13 दिसंबर ,शुक्रवार को इसके खिलाफ राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन कार्यक्रम का आह्वान किया और महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती समारोह पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अपनी सहभागिता को भी रद्द कर दिया।
एनआरसी, सीएबी के खिलाफ 15 दिसंबर ,सोमवार दोपहर 1 बजे महानगर में भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा से एक विरोध रैली निकाली जाएगी जो जोड़ाशांकु तक जाकर समाप्त होगी, इस रैली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हिस्सा लेंगी। मंगलवार को भी दक्षिण कोलकाता में 8बी बस स्टैंड से विरोध जुलूस निकाला जाएगा जबकि बुधवार को जिलों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।