कनाडा के तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय शिक्षा कारोबार में भारत कनाडा के वैश्विक छात्रों का अब तक का सबसे बड़ा स्रोत रहा है, यह स्टडी परमिट धारकों का लगभग 40 प्रतिशत है। हर वर्ष भारत से कनाडा पढ़ाई के लिए गए छात्रों की संख्या तीन लाख से अधिक देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडाई अर्थव्यवस्था में लगभग 14.6 अरब डॉलर से अधिक का योगदान दिया जाता है यह एक बहुत बड़ी संख्या है जिसके चलते कनाडा को काफी मुनाफा भी होता है लेकिन कनाडा और भारत के बीच बिगड़ते रिश्तों का असर कनाडा रह रहे छात्रों के ऊपर भी पड़ रहा है। वहाँ रह रहे छात्र अपनी शिक्षा पूरी किये बिना भारत नहीं आ सकते और वहां मौजूद खिस्तानी समर्थकों ने उन्हें देश वापसी का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में छात्रों के ऊपर भयावह संकट बना हुआ है।
भारतीय कंसल्टेंट्स के अनुमान के मुताबिक भारत के एक लाख से अधिक छात्र अंग्रेजी भाषा में दक्षता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और अगले साल कनाडा में पढ़ाई करने के लिए फाइनेंस का इंतजाम भी कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच जारी विवाद के बीच कनाडा के टॉप विश्वविद्यालय प्रति वर्ष कनाडाई डॉलर 40,000 तक की लागत वाले कोर्स की पेशकश कर रहे हैं, जबकि कॉलेज छात्रों से जुड़ने के लिए शॉर्ट ड्यूरेशन कोर्स और सस्ते कोर्स की पेशकश कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनयिक विवाद कनाडा के बेहतर ज्ञात निर्यातों में से एक को नुकसान न पंहुचा सके।
रॉयटर्स ने कनाडा और भारत के एक दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों और सलाहकारों से बात की जिन्होंने कहा कि वे छात्रों को आश्वस्त करने के लिए उपाय अपना रहे हैं। टोरंटो यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष जोसेफ वोंग ने कहा, ‘हमने भारत में विभिन्न साझेदारों से भी संपर्क किया है, जिनमें कई शैक्षणिक संस्थान और फाउंडेशन हैं। हमने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
सुरक्षा पर सवाल
कनाडाई विश्वविद्यालयों का कहना है कि गतिरोध कम समय के लिए हो सकता है, लेकिन नए सेमेस्टर और छात्रों के भविष्य के बारे में सवाल बने हुए हैं। छात्र कनाडा में अपनी सुरक्षा के बारे में पूछ रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज के अध्यक्ष अशोक कुमार भाटिया ने कहा कि कई भारतीय छात्र बढ़े हुए राजनयिक तनाव की पृष्ठभूमि में अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं।
अब इन चिंताओं के जवाब में आईडीपी एजुकेशन जैसी कंसल्टेंसी छात्रों को वीडियो मैसेज भेजकर उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। कनाडा ने हाल के सालों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की आमद में मजबूत बढ़ोतरी देखी है। कनाडा का शिक्षा उद्योग अब ऑटो पार्ट्स, विमान के पुर्जे आदि जैसे निर्यात क्षेत्रों को पीछे छोड़ चुका है. पिछले हफ्ते कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को “बहुत आकर्षक संपत्ति” बताया था।
लेकिन भारत में परिवार और कनाडा जाकर पढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे छात्र परेशान हैं, खासकर पंजाब में जहां के हर चौथे परिवार का एक सदस्य या तो कनाडा में पढ़ाई कर रहा है या फिर वहां जाकर पढ़ने की तैयारी में जुटा है। पिछले साल अमृतसर से 5,000 छात्र कनाडा पढ़ने के लिए गए थे। टैक्सी ड्राइवर जीवन शर्मा इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या उनके बेटे के लिए हाल ही में बुक की गई कनाडा की फ्लाइट में सवार होना सही फैसला होगा?
काफी समय से चल रहे भारत और कनाडा के बीच तनाव में कमी के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। मंगलवार को कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कनाडा भारत के साथ “निजी बातचीत” चाहता है। इससे पहले भारत ने कनाडा से कहा था कि वह भारत में अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला ले, जिसको लेकर भारत ने 10 अक्टूबर तक कनाडा को राजनयिकों की वापसी का समय दिया है।
अमृतसर में कॉमर्स के छात्र गुरबख्शीश सिंह ने कहा वह इस बात से निराश हैं कि छात्रों का स्वागत करने वाले कनाडा जैसे देश के साथ संबंध खराब खराब हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार ने हमारा भविष्य खतरे में डाल दिया है।