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तीसरे विश्व युद्ध की ओर इजरायल-हमास जंग!

हमास पर इजरायल की कार्रवाई ने पश्चिम एशिया ही नहीं पूरी दुनिया को एक ऐसी स्थिति में डाल दिया है, जिसमें हर देश अपना अलग रुख अख्तियार कर रहा है। कुछ खुलकर इजरायल के साथ हैं तो कुछ हमास पर कार्रवाई के बीच फिलिस्तीन के मुद्दे पर इजरायल के खिलाफ। कुछ ऐसे भी हैं जो दोनों केे करीबी हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह युद्ध दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल सकता है?

पिछले तीन हफ्तों से जारी हमास और इजरायल के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। इस युद्ध में अब तक करीब पांच हजार लोगों की जान जा चुकी है वहीं ‘हमास के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई ने पश्चिम एशिया ही नहीं पूरी दुनिया को एक ऐसी स्थिति में डाल दिया है, जिसमें अलग-अलग देश अपना अलग-अलग रुख अख्तियार कर रहे हैं। कुछ देश खुलकर इजरायल के साथ हैं, तो कुछ हमास पर कार्रवाई के बीच फिलिस्तीन के मुद्दे पर इजरायल के खिलाफ हो गए हैं, और कुछ ऐसे हैं जो दोनों ही पक्षों से क़रीबी संबंध रखते हैं और इस मामले को सुलझाने के हिमायती हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या इजरायल- हमास युद्ध दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल सकता है?’ इस दौरान इजरायल की सेना ने अपनी उत्तरी सीमा पर लेबनान के अंदर हिजबुल्लाह (हिजबुल्लाह लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्धसैनिक संगठन है) के ठिकानों पर हमले किए। इजरायली सेना की बमबमारी में हिजबुल्लाह के फौजी ठिकानों को निशाना बनाया गया।

हिजबुल्लाह ने इजरायल को चेतावनी दी है कि अगर उसने गाजा में अपनी सैनिक कार्रवाई नहीं रोकी, तो वो जंग का नया मोर्चा खोल देगा। हिजबुल्लाह ने इस दौरान लेबनान के अंदर अपने ठिकानों से इजरायल पर रॉकेट दागे थे। इनके जवाब में इजरायल की कार्रवाई में वहां की सेना ने दावा किया कि उसने हिजबुल्लाह की कई इमारतों और सैनिक ठिकानों को तबाह कर दिया है। इजरायल अपने टैंकों और तोपखानों से बम दाग रहा है। हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन है और ईरान के विदेश मंत्री पिछले दिनों कह चुके हैं कि हिजबुल्लाह इजरायल के खिलाफ युद्ध में उतरने को मजबूर हो सकता है। इजरायल के रक्षा मंत्री ने कहा है कि हमास के पास अब सिर्फ दो विकल्प हैं। या तो हमास के लड़ाके जहां हैं, वहीं मारे जाएं या वो समर्पण कर दें। इस बीच इजरायल ने हमास के एक और कमांडर आयमन नोफाल को मार गिराया है। नोफाल अल कसाम ब्रिगेड की जनरल मिलिट्री काउंसिल का सदस्य था और हमास का सेंट्रल गाजा का मिलिट्री कमांडर था। हमास ने उसके मारे जाने की पुष्टि कर दी है। इजरायल का कहना है कि गाजा में करीब 200 इजरायली नागरिकों को हमास ने बंधक बनाया हुआ है। जानकारी के मुताबिक हमास इनके बदले 6000 फिलिस्तीनियों को इजरायल की जेलों से रिहा करने की मांग कर रहा है, जिसके लिए इजरायल तैयार नहीं है।

बाइडेन का इजरायल दौरा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गाजा अस्पताल विस्फोट मामले में बड़ा बयान दिया है। युद्ध के बीच इजरायल पहुंचे बाइडेन ने कहा कि गाजा पट्टी के अस्पताल में जो विस्फोट हुआ है, वह इजरायल के कारण नहीं हुआ था। अस्पताल में विस्फोट के समय काफी लोग थे। ऐसे में निश्चित नहीं है कि विस्फोट का असल कारण क्या था। बाइडेन ने एक बैठक के दौरान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा, ‘मैंने जो देखा है, उसके आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि इस हमले के पीछे इजरायल शामिल नहीं है। संभव है यह किसी और समूह ने कराया है। जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए हैं।’

उल्लेखनीय है कि हमास द्वारा संचालित गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि गाजा के अस्पताल में इजरायली हवाई हमले के कारण विस्फोट हुआ है। हालांकि इजरायली सेना ने इसमें शामिल होने से इनकार किया है। इजरायली सेना ने एक अन्य आतंकवादी समूह-फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के एक असफल रॉकेट को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, उस संगठन ने भी हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल- हमास युद्ध के 13वें दिन इजरायल पहुंचे। इस दौरान बाइडेन ने नेतन्याहू को देखते ही उन्हें गले लगा लिया। बाइडेन का स्वागत करने के लिए इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जाेग भी वहां मौजूद रहे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमास के आतंकियों ने इजरायलियों का बेरहमी से कत्ल किया है। ये न सिर्फ इजरायल के लिए, बल्कि अमेरिका के लिए भी मुश्किल घड़ी है। बाइडेन ने कहा कि हमास फिलिस्तीन का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। हम इस मुश्किल घड़ी में हर कीमत पर इजरायल के साथ हैं। दूसरी तरफ अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन पश्चिम एशिया के दौरे पर हैं। वो लगातार इस इलाके के सभी देशों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और इस युद्ध को फैलने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस बीच एंटनी ब्लिंकेन ने एक कूटनीतिक कामयाबी तब हासिल की, जब उन्होंने मिस्र को इस बात के लिए मना लिया कि वो गाजा में फंसे विदेशी नागरिकों को निकालने के लिए अपनी सीमा खोले। गाजा की एक सीमा मिस्र के साइनाई प्रायद्वीप से मिलती है और यहां रफा क्रॉसिंग को मिस्र ने बंद किया हुआ है। अब मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल सीसी के साथ मुलाकात के बाद इस रास्ते विदेशी नागरिकों को गाजा से बाहर निकालने का एक रास्ता मिल गया है।

एंटनी ब्लिंकेन की इन कोशिशों को अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर की 1974 की उस शटल डिप्लोमेसी से जोड़कर देखा जा रहा है। जब 1973 के इजरायल से मिस्र के युद्ध के बाद इस पूरे इलाके में हालात बहुत ही ख़राब हो गए थे। हेनरी किसिंजर की वो कोशिशें 1978 में इजरायल और मिस्र के बीच हुए ऐतिहासिक कैंप डेविड समझौते के तौर पर सामने आई थी। इस समझौते पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर, मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादात और इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री मेनाकेम बिगेन ने दस्तखत किए थे। इससे मिस्र और इज़रायल के बीच मार्च 1979 में हुए ऐतिहासिक शांति समझौते की बुनियाद तैयार हुई। इस समझौते के बाद 1982 में इजरायल ने साइनाई प्रायद्वीप का कब्जा मिस्र को सौंप दिया था और मिस्र ने इजरायल को संप्रभु राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी।

अब सवाल ये है कि क्या इस बार एंटनी ब्लिंकेन ऐसा कुछ हासिल कर पाएंगे। वह भी तब जब इज़रायल ने युद्ध विराम से साफ इनकार कर दिया है। इजरायल हमास को पूरी तरह सबक सिखाने की ठान चुका है, लेकिन समस्या ये है कि इस कोशिश में गाजा में जो हो रहा है, वो एक बड़ा मानवीय संकट बन गया है। जहां लाखों लोग इस लड़ाई का शिकार बन रहे हैं। उधर ईरान लगातार इजरायल हमास युद्ध को लेकर अपने तेवर दिखा रहा है और धमकी दे रहा है कि इजरायल गाजा पर हमले रोके, वर्ना उसे उसके नतीजे भुगतने होंगे। ईरान इजरायल को युद्ध अपराधी बता रहा है और उसका कहना है कि इजरायल बच्चों और महिलाओं को मार रहा है। इससे पहले कि देर हो जाए उसे अपनी हरकतों पर काबू करना होगा। ईरान हिजबुल्लाह को समर्थन देता है जो लेबनान से इजरायल पर हमले कर रहा है और खुलकर युद्ध में उतर आने की धमकी दे रहा है।

अमेरिका ने चीन से किया संपर्क
इस बीच ईरान युद्ध में न उतरे, इसलिए उसे रोकने के लिए अमेरिका चीन से भी संपर्क कर चुका है, जिसके ईरान से अच्छे संबंध रहे हैं। जर्मनी भी हमास पर कार्रवाई के मामले में इज़रायल के साथ है, लेकिन वो भी नहीं चाहता कि ये लड़ाई फैले। इस सिलसिले में अपना समर्थन देने और बातचीत के लिए जर्मन चांसलर ओलफ शुल्ज भी इजरायल गए और इसके बाद मिस्र जाएंगे। इस बीच इजरायल और हमास के बीच लड़ाई क्या विश्व युद्ध में तब्दील हो सकती है इसे लेकर अलग-अलग जानकारों की अलग-अलग राय है। कुछ का कहना है कि इजरायल हमास युद्ध के विश्व युद्ध में बदलने की संभावना 50 फीसदी है। उनके मुताबिक दो साल पहले ये संभावना 35 प्रतिशत थी। अगर ये विश्व युद्ध में तब्दील होती है तो कई और जगहों पर इस तरह की झड़पों की स्थिति पैदा हो जाएगी। कई जानकार कहते हैं कि ये विश्वयुद्ध में भले न बदले, लेकिन एक सीमित युद्ध पश्चिम एशिया में एक क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता है।

जानकारों का साफ मानना है कि ये युद्ध अगर फ़ैला तो दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक साबित होगा। इन हालातों के बीच इजरायल की सेना गाजा पट्टी पर जमीनी रास्ते से हमले के लिए तैयार है। उसके टैंक, तोप और तीन लाख से ज्यादा सैनिक मोर्चे पर डटे हुए हैं। लेकिन अभी तक इजरायल की सरकार का जमीनी कार्रवाई शुरू करने के लिए आदेश नहीं मिला है। इजरायल उत्तरी गाजा में हमास की उन सुरंगों को भी तबाह करना चाहता है जिन पर हमास का अस्तित्व काफी हद तक टिका हुआ है। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या हमास एक आतंकवादी संगठन है या नहीं? इजरायल के खिलाफ जैसी आतंकी कार्रवाई उसने की, उससे ये तो साफ है कि उसका काम किसी आतंकी संगठन जैसा ही है। इजरायल, अमेरिका जैसे कई देश उसे आईएसआईएस जैसा ही खतरनाक आतंकी संगठन बताते हैं, लेकिन भारत समेत दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने हमास को अभी तक आतंकवादी संगठन का दर्जा नहीं दिया है। कई देश हमास के समर्थन में भी हैं और कई ये भी मानते हैं हमास अपनी छवि बदलने की कोशिश भी कर रहा है।

गाजा अस्पताल पर हमला
इजरायल ने हमास और हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमले तेज करते हुए, बीते दिनों एक अस्पताल पर हवाई हमला कर दिया। जिसमें 700 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है। हमास का दावा है कि इस अस्पताल में सैकड़ों लोग शरण लिए हुए थे। जिस पर इजरायल ने मौका देखते हुए हमला कर उन बेसहारा लोगों की जान ले ली है। इजरायली सेना ने कतर में रह रहे हमास सरगना इस्माइल हानिये के घर को भी निशाना बनाया जिसमें 14 लोग मारे गए। इसके अलावा इजरायली सेना ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर भी ताबड़तोड़ हवाई हमले किए और उसके कई ठिकानों को नष्ट कर दिया। जिसको लेकर इजरायल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को सबूत देगा कि ये हमले उसने नहीं किए हैं। इजरायली विदेश मंत्री ने इसे लेकर बयान जारी किया है। इसके साथ ही अमेरिका ने हमास से जुड़े 9 सदस्यों और एक यूनिट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

ईरान ने इजरायल पर पाबंदियों की मांग
ईरान ने मुस्लिम देशों से इजराइल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। ईरान के विदेश मंत्री होनेन अनीरादुल्लाहियन ने इस्लामिक देशों के संगठन की आपात बैठक के दौरान सदस्य देशों को इजराइल पर तेल प्रतिबंध के साथ ही अनाज पर भी प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है। जेदर में उन्होंने सभी इजरायली राजदूतों को निष्कासित करने और अस्पताल पर घातक हमले के बाद गाजा में संभावित युद्ध अपराधों को रिकॉर्ड करने के लिए इस्लामी वकीलों के एक समूह की स्थापना करने का आह्नान किया है।

अमेरिका का अल्टीमेटम

हमास-इजरायल के लगातार बढ़ते टकराव के बीच अमेरिका ने अपने दो हजार सैनिकों को अलर्ट पर रखा है, अभी इनकी तैनाती पर पेंटागन ने कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने 17 अक्टूबर को कहा कि ‘मैं विस्फोट से बहुत दुखी हूं। संयुक्त राज्य अमेरिका इजरायल की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रूप से खड़ा है।’

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