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भारत से तनाव के बीच मालदीव के संसद में चले लात घूंसे

संसद

भारत और मालदीव में लगातार बढ़ते तनाव के बीच मालदीव के संसद में सांसदों के बीच जमकर हुए लात घूंसों की खबर सामने आई है। जहाँ 27 जनवरी, रविवार को सत्तारूढ़ दल और विपक्षी सांसदों के बीच झड़प हो गई, जिसकी वजह से संसद की कार्यवाही बाधित हो गयी। रिपोर्ट्स के अनुसार यह झड़प राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की ओर से बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान हुई।

मोहम्मद मुइजू से पहले मालदीव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) सत्ताधारी थी। परन्तु बीते साल 2023 के अंत में हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद एमडीपी को हराकर पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) की गठबंधन सरकार सत्ता में आई है। जिसकी अध्यक्षता मोहम्मद मुइजू द्वारा की जा रही है। संसद में झड़प भी इन्हीं दो पक्षों के बीच हुई है।

दरअसल, सत्ताधारी गठबंधन सरकार कैबिनेट में चार नए सदस्यों को लाना चाहता है। जिसका विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, जिसमें मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एमडीपी प्रमुख है। इन दलों ने कैबिनेट पर मतदान से पहले ही मंत्रिमंडल के चार सदस्यों की संसदीय मंज़ूरी रोकने का फ़ैसला किया। जिसके बाद मुइज़्ज़ू सरकार का समर्थन का समर्थन करने वाले सांसदों ने विपक्ष का विरोध शुरू कर दिया। यह झड़प इस हद तक बढ़ कि सांसदों के सर फट गए या चोटें भी आई हैं। इस झड़प में सांसद अब्दुल्ला शहीम, अब्दुल हकीम शहीम और सांसद अहमद ईसा के बीच हाथापाई हुई। जिसमे शहीम अब्दुल ने ईसा का पैर पकड़ा जिसके कारण वे नीचे गिए गए। जिसके बाद अपना बचाव करते हुए ईसा ने शहीम की गर्दन पर लात मारी और उनके बाल खींचना शुरू कर दिया। यह हाथापाई इतनी बढ़ गयी की दूसरे सांसदों को बीच बचाव के लिए आना पड़ा और हाथापाई के दौरान चोट खाये सांसदों को अस्पताल ले जाना पड़ा। जिसके कारण कैबिनेट के सदस्यों को मंज़ूरी देने के मामले में वोटिंग नहीं हो पाई। हालाँकि मुइज्जू समर्थकों की मांग है कि कैबिनेट के नए सदस्यों को मंज़ूरी दी जाए।

 

मालदीव और भारत के बिगड़ते सम्बन्ध

 

भारतीय सेना हटाने का ऐलान : हाल ही में COP29 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान मालदीव राष्ट्रपति द्वारा एक ऐलान किया गया था कि भारत मालदीव से अपने सेना हटाने को तैयार हो गयी है। मालदीव और भारत के बीच पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के कार्यकाल के दौरान नज़दीकियां बढ़ी थी। जो अब कम होती नज़र आ रही हैं। भारत और चीन दोनों के लिए मालदीव सामरिक और रणनीतिक दोनों ही दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। जिसके लिए भारत न सिर्फ मालदीव में अच्छा निवेश करता है बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर तमाम चीजें डेवलप करने में मदद करता है। चीन भी लगातार मालदीव में अपने पांव ज़माने का प्रयास करता रहा है।

भारत ने मालदीव को 2 हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर एयरक्राफ्ट भी डोनेट किये जो इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज, रेस्क्यू और समुद्र की निगरानी और पैट्रोलिंग के काम आते हैं। इन विमानों के देखरेख के लिए कई भारतीय टेक्नीशियन और पायलट मालदीव में रहते हैं। एक रिपोर्ट्स के अनुसार यहाँ के लामू और अद्दू द्वीप पर साल 2013 से ही भारतीय सैनिक तैनात हैं। साथ ही भारतीय नौसैनिक भी मालदीव में तैनात हैं। पूरे मालदीव में भारतीय नौसेना ने 10 एकीकृत तटीय निगरानी प्रणाली का प्रबंधन कर रखा है।

मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के प्रमुख जनरल अब्दुल्लाह शमाल और रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी का कहना है कि मालदीव में 75 भारतीय सैनिक तैनात हैं। भारतीय सेना ने पहली बार वर्ष 1988 में मालदीव में प्रवेश किया जब मालदीव में हुए सत्ता पलट के विरोध में तात्कालिक राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से सैन्य मदद मांगी। मालदीव भारत के लिए बहुत अहम है जिसके कारण भारत किसी भी स्थिति में इस देश से संबंध खराब नहीं करना चाहता। इसलिए भारत सरकार बेझिझक उनकी मदद के लिए आगे आई । यह पहली बार था जब भारतीय सेना ने मालदीव में प्रवेश किया।

 हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौता खत्म : मालदीव ने साल 2019 में भारत के साथ हुए हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौते को भी खत्म कर दिया गया है। यह समझौता भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के बीच जल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए हुआ था। जिसके तहत भारतीय नौसेना को मालदीव के साथ नौसंचालन की सुरक्षा, आर्थिक विकास, सुरक्षा और रक्षा सहयोग, पर्यावरण संरक्षण, तटीय क्षेत्र प्रबंधन और वैज्ञानिक अनुसंधान के सुधार में मदद के लिए मालदीव में व्यापक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति थी। दरअसल जून, 2019 में दोनों देशों बीच यह समझौता पांच वर्षों के लिए हुआ था। जो आने वाले वर्ष 2024 के जून माह में ये खत्म हो रहा है और इसे फिर से रिन्यू किया जाना है लेकिन अब मोइज्जू ने इस द्विपक्षीय समझौता को आगे बढ़ाने के बजाय खत्म करने का फैसला ले लिया है।

 

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