वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार को जड़ से नेस्तनाबूद करने का इरादा लिए अन्ना आंदोलन देशभर में फैल गया था। इसी आंदोलन के गर्भ से जन्मी आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आज भ्रष्टाचार के आरोपों की जद में है और अन्ना हजारे के शिष्यों के समक्ष अस्तित्व बचाए रखने का संकट मुंह बाएं आन खड़ा है। आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को यदि केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी गिरफ्तार करती है तो सरकार और पार्टी नेतृत्व विहीन हो जाएगी। आजाद भारत के इतिहास में आम आदमी पार्टी एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल है जो जितनी तीव्र गति से सत्ता शिखर पर पहुंचा उतनी ही तेजी से रसातल की तरफ जाता नजर आ रहा है

अरविंद केजरीवाल ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुए राजनीति में दस्तक दी थी तब सालों बाद लोगों को उम्मीद जगी कि देश से अब भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। लेकिन समय का चक्र ऐसा चला कि अब वह स्वयं भ्रष्टाचार के आरोपों की चपेट में आ गए हैं। केजरीवाल सरकार के कई मंत्री कथित भ्रष्टाचार मामलों में जेल में हैं। दिल्ली की आबकारी नीति अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए गले की फांस बन गई है। शराब घोटाले में पार्टी के दो दिग्गज नेता पहले ही हिरासत में हैं और अब पार्टी का मुख्य चेहरा यानी अरविंद केजरीवाल की किस्मत दांव पर है।

दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई भी एक बार सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में अब तक पार्टी के कई बड़े नेताओं पर शिकंजा कस चुका है। अब जांच की आंच सीधे पार्टी प्रमुख तक पहुंच गई है। मनीष सिसोदिया को इसी साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था और अब तक उन्हें जमानत नहीं मिली है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी जेल में हैं और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

इस पूरे घटनाक्रम और शराब घोटाले के आरोपों ने आम आदमी पार्टी को अब तक के सबसे मुश्किल संकट में डाल दिया है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि अगर दिल्ली के सीएम केजरीवाल को भी ईडी गिरफ्तार करती है तो पार्टी ही हाशिए पर चली जाएगी क्योंकि आप में नंबर टू की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया और केजरीवाल के संकट मोचक कहे जाने वाले संजय सिंह भी जेल में हैं। ऐसे में ईडी-केजरीवाल का आमना-सामना होना किसी बड़े खतरे की ओर इशारा है। खतरा सिर्फ ये नहीं कि केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है, बल्कि यह भी है कि अगर इस मामले में केजरीवाल फंसे तो आम आदमी पार्टी का क्या होगा?

आम आदमी पार्टी ये मानकर चल रही है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तय है तो ऐसे में सवाल उठता है कि फिर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार कैसे चलेगी। आम आदमी पार्टी का फाइनल प्लान तो अभी सामने नहीं आया है लेकिन पार्टी के भीतर जो चर्चा चल रही है उसके मुताबिक अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार भी कर लिया जाता है तो भी केजरीवाल अपने पद पर बने रहेंगे।

कानूनी बाध्यता भी नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री अगर गिरफ्तार हो जाए तो उसको पद छोड़ना पड़ता हो। लेकिन अगर ऐसा हुआ भी तो आप नेताओं ने तय कर लिया है कि केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो दिल्ली की सरकार जेल से चल सकती है। केजरीवाल सरकार में मंत्री और आप के सीनियर लीडर सौरभ भारद्वाज से जब इन कयासों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, ”अगर सारे नेताओं को इस तरह से ही जेल में डाला जाएगा तो जाहिर है जेल से ही सरकार और पार्टी चलेगी।’’ जिस तरह के बयान आप पार्टी की ओर से आ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि शायद पार्टी पहले से ही पूरी तैयारी कर रही है।

मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गिरफ्तार होना आसान नहीं है। नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट दी गई है। हालांकि यह छूट आपराधिक मामलों के लिए नहीं है ये केवल दीवानी मामलों पर लागू होती है। इससे पहले तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता को पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार में कोई विभाग अपने पास नहीं रखा है ऐसे में रोजमर्रा के काम के निपटारे, फाइलों पर दस्तखत करने का मसला उनके साथ नहीं लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर नियमित रूप से जो फैसले लेने होते हैं या मंत्रियों और अफसरों के साथ चर्चा करनी होती है वो केजरीवाल जेल में रहते हुए कैसे ऐसा कर सकेंगे, ये भी देखने की बात है।

वैसे ये कयास हैं लेकिन चर्चा ये भी है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी की सूरत में पार्टी और सरकार का दारोमदार अतिशी अथवा सौरभ भारद्वाज को सौंपा जा सकता है। आतिशी इस समय दिल्ली सरकार के ज्यादातर विभाग संभाल रही हैं और पार्टी का सबसे बड़ा महिला चेहरा भी आतिशी हैं तो पार्टी में भी उनका अहम रोल हो सकता है। सौरभ भारद्वाज के पास दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय जैसा बेहद अहम मंत्रालय है। इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय इसके तहत दिल्ली नगर निगम आता है वो भी सौरभ के पास है। सौरभ भारद्वाज अब भी पार्टी की काफी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और आगे भी पार्टी में काफी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आने की संभावना है। सौरभ को मीडिया मैनेज करने में भी माहिर माना जाता है।

आम आदमी पार्टी के नेताओं को केजरीवाल की गिरफ्तारी के पूरे आसार लग रहे हैं और इसलिए पार्टी नेताओं के बयान भी इस बारे में पहले ही आने लगे हैं। घोटालों की आंच में तप रही आम आदमी पार्टी के लिए पहली शुरुआत सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी से हुई थी। इसके बाद तो सिसोदिया और फिर संजय सिंह को ईडी ने गिरफ्तार किया। राघव चड्ढा का नाम भी उछलता रहा लेकिन इस बार तो निशाने पर सीधे-सीधे केजरीवाल हैं जिनके बगैर आप की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

शराब घोटाले पर देश की अलग-अलग अदालतों से अब तक सिसोदिया या संजय सिंह को कोई राहत नहीं मिल पाई है। सिसोदिया तो फरवरी से जेल में हैं जबकि संजय सिंह पर पिछले महीने चार अक्टूबर को शिकंजा कसा था। कानून अपना काम कर रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी इसे मोदी विरोध का खामियाजा मानती है। आम आदमी पार्टी का मानना है कि वही एक ऐसी पार्टी है जो नरेंद्र मोदी और बीजेपी को टक्कर दे सकती है और इसलिए एजेंसियां आप नेताओं को टारगेट कर रही हैं, निशाने पर केजरीवाल हैं जिन्हें राजनीतिक तौर पर खत्म करने के लिहाज से ये दांव चला गया है।

राजनीतिक विश्लेषणकों का मानना है कि अदालत बार-बार पूछ रही है कि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी से जुड़े मामले में ‘मनी ट्रेल’ के साक्ष्य कहां हैं। लेकिन अभी तक न तो सीबीआई और ना ईडी कोई ‘मनी ट्रेल’ पेश कर पाई है। अदालतों की सुनवाई में अब तक जांच एजेंसियों की ओर से कोई पुख्ता साक्ष्य सामने नहीं रखा गया है। ऐसे में केजरीवाल को ईडी के समन पर भी सवाल उठने लगे हैं। जाहिर है जब केजरीवाल पर गाज गिरेगी तो वो आधार ही हिल जाएगा जिस पर आम आदमी पार्टी का सियासी महल खड़ा है। यानी दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आप का भविष्य मझधार में फंस जाएगा।

ऐसे भी आरोप लगते रहे हैं कि आम आदमी पार्टी अक्सर बीजेपी की बी टीम की तरह बर्ताव करती रही है। एमपी और राजस्थान में उम्मीदवार खड़े करने के आप के फैसले के पीछे बीजेपी की बी टीम होने वाली थ्योरी है। यानी जिन राज्यों में आधार नहीं है वहां अगर आप उम्मीदवार उतारेगी तो इसका सीधा मतलब बीजेपी को इन डायरेक्ट तौर पर फायदा पहुंचाना है क्योंकि आप जो वोट काटेगी वो कांग्रेस का ही वोट कटेगा। ऐसे में सवाल ये है कि बीजेपी क्या अपनी ही बी टीम कही जा रही पार्टी को संकट में डालेगी? जाहिर सी बात है राजनीति में सत्ता की ताकत सबसे अहम होती है और चाहे बीजेपी हो या कोई भी पार्टी वो कभी अपने विरोधी दलों को मजबूत होते नहीं देख सकती। आम आदमी पार्टी की मुसीबत के पीछे भी यही वजह राजनीतिक विशेषज्ञ तलाश रहे हैं।

आम आदमी पार्टी की एक दलील ये भी है कि जो शराब नीति हरियाणा में चल रही है उसी पैटर्न पर दिल्ली में भी एक्साइज नीति बनाई गई थी। फिर हरियाणा सरकार को क्यों बख्श दिया गया। लेकिन सवाल ये है कि अगर आम आदमी पार्टी के पास कोई साक्ष्य हैं तो वो बजाय आरोप सामने लाने के उनको सामने क्यों नहीं लाती? यानी घूम फिरकर सवाल फिर से वही है कि अगर केजरीवाल भी फंसे तो आम आदमी पार्टी के पास चारा क्या है? आतिशी, सौरभ भारद्वाज या फिर केजरीवाल की पत्नी सुनीता भारद्वाज। केजरीवाल की गिरफ्तारी होती है अथवा नहीं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन इतना स्पष्ट नजर आ रहा है कि अन्ना आंदोलन के गर्भ से जन्मी पार्टी के समक्ष अपने अस्तित्व को बनाए रखने का भारी संकट मुंह बाएं खड़ा है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD