मोदी ने अपनी सरकार में अनुभवी नेताओं के साथ ही युवा शक्ति को भी महत्व दिया है। हर जाति, वर्ग और क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देकर संतुलित सरकार का मार्ग प्रशस्त किया है

तीन माह पहले दस फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में यह कहकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया था कि वे नरेंद्र मोदी को दोबारा देश का प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि मोदी ने सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की है। मैं चाहता हूं कि वे पहले से भी ज्यादा सीटें जीतकर दोबारा प्रधानमंत्री बनें। मुलायम सिंह की इस बात पर जहां भाजपा ने प्रसन्नता जाहिर की थी, वहीं विपक्षी दलों ने यहां तक कह डाला कि मुलायम वास्तव में सठिया गए हैं। हालांकि विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति के हिसाब से उचित स्टैंड लिया, लेकिन सच यही है कि 30 मई को मुलायम सिंह की भविष्यवाणी सही साबित हुई। मोदी ने 2014 से भी ज्यादा सांसदों की टीम का नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री की शपथ ली।

एक सुलझे हुए राजनेता को यह समझने की जरूरत होती है कि प्रचंड बहुमत के खास मायने होते हैं। इस बहुमत का आधार जनता की खास अपेक्षाएं होती हैं। ‘अच्छे दिन आने’ और ‘सबका साथ-सबका विकास’ जैसे नारे व्यवहार में एक संतुलित और सक्षम सरकार ही साकार कर सकती है। संभवतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जहां एक ओर अनुभव से परिपूर्ण पुराने नेताओं को शामिल किया है, वहीं नई पीढ़ी की उत्साही युवा शक्ति को भी जगह दी है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूर्व से लेकर पश्चिम तक हर क्षेत्र के प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। यही नहीं हर जाति और वर्ग का प्रतिनिधित्व मोदी सरकार में रहेगा। सहयोगियों को संतुष्ट रखना हालांकि चुनौतीपूर्ण काम है, फिर भी भाजपा की हर सहयोगी पार्टी को सरकार में शामिल करने की कोशिश की गई है। संभव है कि यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी।

उम्मीदें की जा रही हैं कि पुरानी पीढ़ी के नेताओं का अनुभव और नई पीढ़ी के मंत्रियों का उत्साह सरकार को विकास के एजेंडे पर बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, रामविलास पासवान आदि कई चेहरे पिछली सरकार में भी मंत्री थे, जबकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जैसे कुछ ऐसे नए मंत्री सरकार में शामिल किए गए जिन्हें अपने-अपने राज्यों में सरकार चलाने का अनुभव रहा है।

राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित भव्य शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों को खास तौर पर आमंत्रित किए जाने का यह अर्थ निकाला जा रहा है कि मोदी यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी सरकार देश के विकास के साथ ही पड़ोसी मुल्कों से बेहतर संबंध बनाने की दिशा में भी सजग रहेगी। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लालकøष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित पक्ष-विपक्ष के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। इसके अलावा कला, साहित्य, संस्कøति, फिल्म और उद्योग जगत की कई जानी-मानी हस्तियां भी इस शुभ अवसर की साक्षी बनीं।

मंत्रिमंडल को व्यवस्थित रूप देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से कई दौर की वार्ता की। अब नई सरकार से अपेक्षाएं रहेंगी कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने, सबको पक्का मकान देने, सभी घरों तक बिजली पहुंचाने, पेयजल संकट दूर करने, सिंचाई योजनाओं को पूरा करने आदि के संबंध में जो भी घोषणाएं भाजपा ने चुनाव के दौरान की थी, उन पर तेजी से अमल हो। दुनिया में भाजपा एक ताकतवर देश के रूप में सामने आए।

मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री

अमित शाह, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, मुख्तार अब्बास नकवी, सदानंद गौड़ा, नरेंद्र सिंह तोमर, अर्जुन राम मेघवाल, पीयूष गोयल, रामविलास पासवान, गिरिराज सिंह, गजेंद्र सिंह शेखावत, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, एस जयशंकर, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, अर्जुन मुंडा, डॉ हर्षवर्धन, पीयूष गोयल, महेंद्रनाथ पांडे, अरविंद सावंत।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

संतोष गंगवार, राव इंद्रजीत सिंह, श्रीपद नाइक, जितेंद्र सिंह, किरन रिजिजू, प्रहलाद पटेल, आरके सिंह, हरदीप पुरी, मनसुख मंडवाडिया।

राज्यमंत्री

फगन सिंह कुलस्ते, अश्विनी चौबे, अर्जुन मेघवाल, जनरल वीके सिंह, कøष्णपाल गुर्जर, राव साहब दानवे, किशन रेड्डी, पुरषोत्तम रूपाला, रामदास अठावले, साध्वी निरंजन ज्योति, बाबुल सुप्रियो, संजीव बालियान, संजय शाम राव, अनुराग ठाकुर, सुरेश आंगड़ी, नित्यानंद राय, रतन लाल कटारिया, वी मुरलीधरन, रेणुका सरुता, सोम प्रकाश, रामेश्वर तेली, प्रताप सारंगी, कैलाश चौधरी, देवाश्री चौधरी।

निशंक को निष्ठा का तोहफा

उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं। निशंक अनुभवी तो थे ही, लेकिन पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और धैर्यशीलता ने भी उन्हें केंद्र सरकार में जगह दिलाई है। अतीत का इतिहास गवाह है कि 2012 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले निशंक की जगह भुवन चंद्र खण्डूड़ी को राज्य की कमान दे दी गई। उस समय खण्डूड़ी, त्रिवेंद्र रावत, प्रकाश पंत आदि मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल बड़े नेता चुनाव हार गए थे। राज्य में भाजपा कांग्र्रेस के मुकाबले सिर्फ एक सीट से पिछड़़ गई थी। ऐसे में निशंक चाहते तो अपने राजनीतिक कौशल से सरकार बना सकते थे। लेकिन तब पार्टी आलाकमान ने उन्हें सरकार न बनाने का निर्देश दिया तो एक निष्ठावान कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने बड़े धैर्य का परिचय दिया और चुप बैठ गए। इसके बाद 2014 में हरिद्वार से सांसद बनने पर मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली तो तब भी धैर्य बरकरार रखा। संभवतः भाजपा आलाकमान ने उनकी इसी निष्ठा और धैर्य का इनाम अब उन्हें दिया है।

निशंक का एक शानदार राजनीतिक जीवन है। उनका जन्म उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ। 90 के दशक में पोखरियाल ने सियासत में कदम रखा और उत्तराखण्ड गठन से पहले 1991 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कर्णप्रयाग सीट से विधायक चुने गए। तब उन्होंने राजनीति के प्रखर दिग्गज डॉ शिवानंद नौटियाल को हराया था। इसके बाद 1993 और 1996 में भी निशंक ने कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से जीत दर्ज की।

वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद वे नित्यानंद स्वामी सरकार में मंत्री रहे। 2002 में विधानसभा चुनाव में निशंक थलीसैण सीट से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद 2007 में एक बार फिर इसी सीट से चुनावी रण में उतरे और विधायक चुने गए। इसके बाद जब 2007 में भाजपा की सरकार बनी तो निशंक
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और आयुष मंत्री बने। वर्ष 2009 में वे राज्य के मुख्यमंत्री बने और दो साल इस पद पर रहे।

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