पौड़ी जनपद के काला दम्पत्ति की समाज सेवा ने अनाथ बच्चों के भविष्य में उजाला भरने का काम किया है। वे उन बच्चियों को शैक्षिक स्तर पर मजबूती प्रदान कर रहे हैं जो मातृ- पितृविहीन हैं। एडवोकेट कालिका प्रसाद काला और उनकी पत्नी पूर्व शिक्षा निदेशक पुष्पा मानस काला ने इस बाबत बकायदा एक ‘श्री कंडोलिया देवता मातृ- पितृविहीन कन्या शिक्षा ट्रस्ट’ बनाया है। पिछले आठ सालों में इस ट्रस्ट के जरिए वे 608 अनाथ बेटियों को छात्रवृत्ति देकर शैक्षिक मसाल जला रहे हैं
जिन बेटियों के माता-पिता किसी हादसे में गुजर गए हों, उनके सामने किस तरह की चुनौतीपूर्ण स्थितियां पेश होती होंगी? इन मातृ- पितृविहीन बच्चियों की परवरिश, शिक्षा व सुनहरे भविष्य के सवाल को सुलझाना किसी पहाड़ सरीखी समस्या से कम नहीं। लेकिन समाज में कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं, जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ना सिर्फ इस तरह के अनाथ बच्चों की मदद को आगे आते हैं, बल्कि वह वंचित तबके के बालिकाओं व महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अधिकारों की भी वकालत करते हैं, वह समाज के लिए संवेदना रखने वाले लोगों को संगठित करने में भी प्रेरक भूमिका निभाते हैं।
मूलतः उत्तराखण्ड के पौड़ी जनपद के रहने वाले एक दम्पत्ति अपनी सामर्थ्ययानुसार समाज सेवा के कार्यों में जुटा हुआ है। यह दम्पत्ति उदाहरण पेश कर रहा है कि कैसे व्यक्ति अपनी कर्तव्यनिष्ठा व प्रगतिशीलता के चलते समाज को सशक्त बनाने में अपना योगदान दे सकता है। यह दम्पत्ति जमीन पर उतरकर एक प्रेरक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वह उन बच्चियों की शिक्षा के लिए आगे आए हैं जो किसी न किसी हादसे में अपने माता-पिता को खो चुके हैं। यह दंपत्ति हैं- एडवोकेट कालिका प्रसाद काला व उनकी पत्नी पूर्व शिक्षा निदेशक रही पुष्पा मानस काला।
पौड़ी शहर व इसके आस-पास के गांवों की गरीब माता-पिता विहीन बेटियों को शैक्षिक मदद देने के लिए उन्होंने ‘श्री कंडोलिया देवता मातृ- पितृविहीन कन्या शिक्षा ट्रस्ट’ बनाया है। दिसम्बर 2019 में स्थापित इस ट्रस्ट में अब तक 73 मातृ-पितृविहीन बेटियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जा चुकी है। पूर्व में सुमाड़ी गांव, की कुमारी प्रिंयाशी पाण्डे कक्षा 12 में उत्तराखण्ड बोर्ड के मेरिट सूची में शामिल 20 विद्यार्थियों में से 12वें स्थान पर रही। प्रिंयाशी पाण्डे हाईस्कूल बोर्ड में भी मेरिट सूची में दूसरे स्थान पर रही। इस मेघावी बिटिया को ‘श्री कंडोलिया देवता मातृ-पितृविहीन मेधावी कन्या ट्रस्ट’ पौड़ी से तीन वर्षों तक प्रोत्साहन स्वरूप छात्रवृत्ति मिलती रही।
समाज हित में काला दम्पत्ति किस तरह अनुकरणीय भूमिका निभा रहे हैं इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि उन्होंने देवलगांव कोट विकासखण्ड के प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर में भी एक ऐसा ही ट्रस्ट बनाया है। इसी तरह चमोली, गढ़वाल के पोखरी ब्लॉक की मातृ-पितृविहीन मेधावी बेटियों की शैक्षिक मदद के लिए पार्वती देवी गंगाराम भट्ट ट्रस्ट, पोखरी, चमोली (पीडीजीआरबी) ट्रस्ट बनाया है, जो हर साल छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। पिछले आठ सालों में अब तक इस ट्रस्ट के तहत 608 मातृ- पितृविहीन मेधावी बेटियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जा चुकी है। उनके इस मिशन में कई सामर्थ्यवान दानवीर भी मदद करते रहते हैं। काला दम्पत्ति के सुपुत्र श्रीकांत मानस काला जो जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, ने सुमाड़ी व इसके आस-पास के गांवों के विद्यालयों के गरीब बच्चों की छोटी-मोटी सहायता के लिए ‘मानस फाउंडेशन फॉर गर्ल और फेंस’ नाम से एक ट्रस्ट स्थापित किया है, जो समय-समय पर गरीब छात्र-छात्राओं को कपड़े प्रदान करता है। इस ट्रस्ट के माध्यम से सुमाड़ी, बुधाणी और देवलगढ़ गांवों में ठंठ से बचने के लिए एक स्वैटर, एक जोड़ी जूते और एक-एक ऊनी टोपी बांटते हैं। कभी-कभी किसी गरीब मेधावी बेटी को छात्रवृत्ति भी प्रदान करते हैं। इसमें सुमाड़ी गांव के ही पूर्व एसपी प्रबोध घिल्डियाल व पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. शैलबाला चमोली, इ. स्नेहलता जैसे व्यक्ति भी इस पुनीत काम में अपना भरपूर सहयोग देते हैं।
कालिका प्रसाद काला पेशे से वकील हैं। वह वर्ष 1993 से 1997 तक पौड़ी जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में भी उन्हांेने सक्रिय भूमिका निभाई थी। फेसबुक के माध्यम से भी वह हर उस मुद्दे को बेवाकी व दो टूक तरीके से उठाते हैं, जो आज के संदर्भ में प्रासंगिक व जरूरी होते हैं। घर के सवालों से लेकर समाज के तमाम मुद्दों पर उनकी साफगोई साफ तौर पर दिखती है। इनकी पत्नी पुष्पा मानस काला उत्तराखण्ड से शिक्षा निदेशक, विद्यालयी शिक्षा से सेवानिवृत्त हैं, जो उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव, भारतीय बाल कल्याण परिषद की एक्जीक्यूटिव कमेटी की सदस्य रही हैं। वह अपनी सभी सेवाएं अवैतनिक तौर पर देती हैं।
वह पार्वती देवी गंगाराम भट्ट ट्रस्ट, पोखरी, चमोली की सहसंस्थापक व ट्रस्टी हैं। यह दम्पति अपनी वैवाहिक वर्षगांठ, जन्म दिन, पुत्र श्रीकांत का जन्मदिन भी देहरादून के लक्ष्मण चौक, कांवली रोड के पास स्थित अखिल भारतीय महिला आश्रम में मनाते हैं। इस दिन वह गरीब बेटियों को लंच भी कराते हैं। पिछले 10 सालों से इसे वह निरंतर करते रहे हैं। यहां जन्मदिन व शादी की सालगिरह मनाने के पीछे का उनका उद्देश्य यह होता है कि आर्य समाज का यह महिला आश्रम अपनी स्थापना काल से अब तक हजारों गरीब मेधावी बेटियों का पालन-पोषण कर चुका है। यहां हजारों बेटियों का जीवन संवर चुका है। इस आश्रम का अपना कक्षा 8 तक का जूनियर हाईस्कूल भी है। यह आश्रम बहुत गरीब परिवारों की मेधावी बेटियों व माता-पिताविहीन मेधावी बेटियों की शिक्षा को लेकर हमेशा से संकल्पित रहा है।
एडवोकेट कालिका प्रसाद काला मानते हैं कि विद्यालय की गतिविधियों में, संचालन और प्रबंधन में समाज की सहभागिता बहुत जरूरी है। वह कहते हैं कि ‘समाज को अपने बच्चों के विद्यालयों से जुड़ना चाहिए। आंखिर इन विद्यालयों में हमारे ही बच्चे तो पढ़ते हैं। इसलिए समाज को विद्यार्थियों के हित में अपने ही गांव के विद्यालय को अपनी सेवाएं देनी चाहिए। इसे कृपा या मेहरबानी समझकर नहीं, बल्कि लोकऋण समझ कर चुकाना चाहिए। हर बात पर सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।’ वह बड़ी मजेदार व सार्थक बात करते हुए कहते हैं कि ‘आज के नेताओं ने हमें ये सिखा दिया है कि जो भी करेगी सरकार करेगी, समाज को कुछ नहीं करना है। यह मानसिक बीमारी हमारे नेताओं ने हमें दी है जिसने सारे भारतीय समाज को अपाहिज बना दिया है। मदद करने की शुरुआत अपने गांव से करनी चाहिए।’ इनकी अपील उन सभी सामर्थ्यवान लोगों से यह है कि अपने गांव के विद्यालय और उसमें पढ़ने वाले गरीब छात्र-छात्राओं के हितार्थ कुछ श्रेष्ठ काम करें। कुल मिलाकर काला दम्पत्ति एक बेहद प्रशंसनीय काम कर रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि उन्होंने अपने काम से एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।