भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेली जा रही तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला हारने के बाद भारतीय टीम के सामने अपने घर में साख बचाने और लगातार 18 सीरीज जीत के विश्व रिकॉर्ड को बचाए रखने की भी चुनौती है। इसके लिए उसे 24 अक्टूबर से खेला जाने वाला दूसरा मुकाबला हर हाल में जीतना होगा। अगर हार गया तो वह साल 2012 के बाद अपने ही घर में पहली बार सीरीज गंवा देगा जिसका खामियाजा उसे विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मुकाबले से बाहर होकर भुगतना पड़ सकता है
विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत खेली जा रही भारत और न्यूजीलैंड के बीच 3 मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले में भारत को कीवी टीम ने बड़ा झटका देते हुए 8 विकेट से शिकस्त दी। न्यूजीलैंड सीरीज में 1-0 से आगे हो गया है। 36 साल में पहली बार न्यूजीलैंड की टीम ने भारत में टेस्ट मैच जीता है। अब भारत के सामने सीरीज में बने रहने, अपने घर में साख बचाने और लगातार 18 सीरीज जीत के विश्व रिकॉर्ड को बचाए रखने की भी चुनौती है। इसके लिए भारत को 24 अक्टूबर से खेला जाने वाला दूसरा मुकाबला हर हाल में जीतना होगा। भारत अगर हार गया तो वह साल 2012 के बाद अपने ही घर में पहली बार कोई टेस्ट सीरीज गंवा देगा।
मैच के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने कहा, ‘हमने नहीं सोचा था कि पहली पारी में हम 46 रन पर ऑलआउट हो जाएंगे लेकिन इसका श्रेय न्यूजीलैंड को जाता है। हमें सकारात्मक चीजों को आगे लेकर चलना होगा। हमने पहले भी ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है। हम पहले भी घर में हारे हैं। खेल में ऐसा होता रहता है।’ अभी दो टेस्ट बाकी हैं, हम जानते हैं कि हमें क्या करना है और अगले दो टेस्ट में हम सब कुछ झोंक देंगे। वहीं न्यूजीलैंड के कप्तान टॉम लैथम अपनी टीम की इस ऐतिहासिक जीत से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘हम बल्लेबाजी करना चाहते थे मगर टॉस हारना अच्छा साबित हुआ। पहली पारी में हमारी टीम ने शानदार गेंदबाजी की और उसे उसका पुरस्कार मिला।’
गौरतलब है कि मैच के आखिरी दिन 107 रनों का लक्ष्य न्यूजीलैंड के लिए कहां मुश्किल था। कप्तान रोहित शर्मा और कोच गौतम गंभीर सहित पूरी टीम पवेलियन में बैठकर चाय-पकौड़ों के साथ दिनभर बारिश का लुत्फ उठाना चाह रही थी। बारिश हुई भी लेकिन तकरीबन एक घंटे की देरी हुई मैच शुरू हुआ तो बुमराह ने शानदार कौशल और नियंत्रण दिखाया और टॉम लैथम को जल्दी आउट किया तो सिराज ने भी कसी हुई गेंदबाजी की। लेकिन डेवन कॉनवे और विल यंग ने सूझबूझ से बल्लेबाजी की। यंग और रचिन रविंद्र ने आखिरकार, 36 साल का सूखा खत्म कर दिया। आखिरी बार न्यूजीलैंड ने भारत में नवंबर 1988 में कोई टेस्ट जीता था।
टेस्ट इतिहास में पहली पारी में 50 से कम स्कोर पर ऑल आउट हो जाने के बाद टेस्ट ड्रॉ कराने का कारनामा सिर्फ एक बार देखने को मिला है। 122 साल पहले मई 1902 में बर्मिंघम टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की टीम महज 36 रन पर आउट हो गई थी मगर ऑस्ट्रेलियाई टीम टेस्ट ड्रॉ कराने में कामयाब रही थी।
भारत के हार के कारण
पहले टेस्ट में भारत के लिए टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला गलत साबित हुआ। जिसे कप्तान रोहित शर्मा ने स्वीकार भी किया। एक गलत फैसले के कारण टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में अपने सबसे बुरे दिनों में से एक का सामना करना पड़ा। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच पर मजबूत भारतीय बल्लेबाजी ताश के पत्तों की तरह ढह गई।
मैच का पहला दिन बारिश की भेंट चढ़ गया तो दूसरे दिन रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। ये भारतीय टीम मैनेजमेंट की तरफ से बड़ी चूक थी। पिच और परिस्थितियां तेज गेंदबाजी के लिए अनुकूल थीं। ऐसे में न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों ने भारतीय टीम को महज 46 रनों पर ढेर कर दिया।
ये टेस्ट इतिहास में भारत का तीसरा सबसे छोटा स्कोर है और घरेलू मैदान पर सबसे कम स्कोर है। साल 2020 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विराट कोहली की अगुवाई में टीम 36 रन पर ऑल आउट हो गई थी। 1974 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम दूसरी पारी में 42 रनों पर ऑल आउट हो गई थी तब कप्तान थे अजीत वाडेकर।
टीम चयन में भी चूक
जब अनुभवी टीम मैनेजमेंट पिच को ही नहीं पढ़ पाया तो प्लेइंग इलेवन में भी गलती होनी ही थी। फॉर्म में चल रहे मीडियम पेसर आकाश दीप की जगह कुलदीप यादव को टीम में रखा गया। रोहित शर्मा ने इस गलती को भी माना। उन्होंने कहा, ‘हमने देखा कि पिच पर घास नहीं थी, हमने सोचा कि पहले कुछ सत्रों में जो होगा सो होगा और जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ेगा यह बदल जाएगा। जब भी हम भारत में खेलते हैं, पहला सत्र महत्वपूर्ण होता है और फिर स्पिनर खेल में आते हैं। ’ कुलदीप को लाने का कारण यह था कि उन्होंने सपाट पिचों पर विकेट लिए हैं इसलिए हमें उम्मीद थी कि ‘पिच पहले से अधिक सपाट होगी। जाहिर है यह पिच का गलत आकलन था मैंने पिच को ठीक से नहीं पढ़ा।’ खेल समीक्षकों का कहना है कि जब न्यूजीलैंड की टीम बल्लेबाजी करने आई तब तक पिच अपेक्षाकृत बल्लेबाजी के लिए आसान हो गई थी। डेवन कॉनवे ने 91 रनों की पारी खेली तो बेंगलुरु से ताल्लुक रखने वाले रचिन रविंद्र ने 134 रन बनाकर कीवी टीम को 356 रनों की बढ़त दिला भारत की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया।
पहली पारी की नाकामियों के भुलाकर भारतीय बल्लेबाजों ने असंभव को संभव कर दिखाने की पूरी कोशिश जरूर की। दूसरी पारी में यशस्वी जयसवाल ने 35, रोहित शर्मा ने 52 और विराट कोहली ने 70 रनों की पारी खेली तो सरफराज खान और ऋषभ पंत के बीच 35.1 ओवर में 177 रनों की साझेदारी से लगा कि भारत मैच ड्रॉ करा कर 122 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ देगा। लेकिन दूसरी पारी में नई गेंद लेने के बाद न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने 62 रन देकर बाक़ी बचे सात विकेट चटका लिए। इसके बाद उनके सामने जीत के लिए 107 रनों का मामूली लक्ष्य था।
भारतीय टीम इससे पहले इस तरह के लक्ष्य की रक्षा कर चुकी है। साल 2004 में वानखेड़े में भारतीय टीम ने पहली पारी में 104 रन बनाए थे, लेकिन टीम ने ऑस्ट्रेलिया को जीतने नहीं दिया था। उस वक्त रिकी पॉन्टिंग की टीम दूसरी पारी में 93 रन पर सिमट गई थी। उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान थे राहुल द्रविड़।
सरफराज-पंत का शानदार प्रदर्शन
अंडर 19 टीममेट सरफराज ख़ान और ऋषभ पंत ने 35.1 ओवर में 177 रनों की साझेदारी की। सरफराज ने अपने पहले टेस्ट शतक को 150 में बदल दिया, यह प्रथम श्रेणी के उनके 16 शतकों में से 150 या उससे अधिक का 11वां स्कोर था तो वहीं ऋषभ पंत एक रन से शतक से चूक गए। उन्होंने 105 गेंदों पर 99 रन बनाए।
चोटिल शुभमन गिल की जगह लेते हुए सरफराज ने जबरदस्त पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया के बहुप्रतीक्षित दौरे के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है। इस मैच में सरफराज ने विराट कोहली के साथ 136 और पंत के साथ 177 रनों की साझेदारी की। सरफराज की इस पारी को लेकर पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने जमकर तारीफ की। उनका कहना है, जिस तरह से वह तेज गेंदबाजों को खेलते हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पहले भी तेज गेंदबाजों को खेला है। यह पिच उन विदेशी पिचों के समान थी जो हमें मिलती है, जहां थोड़ी गति और उछाल होती है। दिलचस्प बात यह है कि मैं ऑस्ट्रेलिया की एक सपाट पिच पर उसकी कल्पना कर रहा हूं, जहां बहुत अधिक सीम मूवमेंट नहीं है।
वह जो शॉट खेलते हैं उससे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को माइग्रेन होने वाला है। उनमें निश्चितता है, शांति है और अगर आप सरफराज का क्लोज-अप देखें, तो वह हमेशा अपने बल्ले पर गेंद को देखते रहते हैं। उनकी आंखों और हाथों के बीच जबरदस्त तालमेल है। उनकी तकनीक ऑस्ट्रेलिया के लिए खराब नहीं है। मैं चाहता हूं कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जाना चाहिए।
विश्व रिकॉर्ड बचाने की चुनौती
वर्ष 2013 से मौजूदा वक्त तक 18 सीरीज जीतकर भारत के पास घरेलू मैदान पर लगातार सबसे अधिक टेस्ट सीरीज जीतने का रिकॉर्ड है। ऑस्ट्रेलिया लगातार 10 जीत के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका ने 8 और 7 लगातार घरेलू श्ृंखला जीत हासिल की है।
हार कर भारत आए हैं कीवी
सितंबर में अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच इकलौता टेस्ट मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था। उसके बाद टीम श्रीलंका के दौरे पर गई जहां उन्हें 0-2 से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। वहीं सितंबर-अक्टूबर में खेले गए भारत-बांग्लादेश सीरीज को भारत ने 2-0 से क्लीन स्वीप किया था। लेकिन बीते दिनों के खेल में गेंद और बल्ले के जबरदस्त प्रदर्शन से न्यूजीलैंड ने बेंगलुरु टेस्ट जीतकर सीरीज की शानदार शुरुआत की है।
पहले मुकाबले में नई गेंद के सामने भारतीय बल्लेबाजी चरमरा गई। टीम मैनेजमेंट ने भी मैच में कई गलत फैसले लिए। अपने मैदान पर दमदार रिकॉर्ड रखने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बेंगलुरु टेस्ट काफी बड़े घाव दे गया।
भारत बनाम न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज का शेड्यूल
दूसरा टेस्ट मैच – 24 अक्टूबर से 28 अक्टूबर, पुणे
तीसरा टेस्ट मैच – 1 नवंबर से 5 नवंबर, मुंबई

