पहाड़ों में बादलों के फटने का सिलसिला जारी है। भारी बारिश के चलते जगह-जगह पुल टूट गए हैं। इससे लोग अपने गांवों में कैद होकर रह गए हैं। रसोई गैस और खाद्यान जैसी जरूरी चीजें उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं। सबसे ज्यादा दिक्कतें बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों तक पहुंचाने की है, क्योंकि पैदल मार्ग भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में लोग खुद नदियों पर लकड़ी के पुल बांधकर और सड़कें बनाकर जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। आसमान आफत बरसाकर उनके इस काम को भी बाधित कर रहा है

 

बरसात के मौसम में इस बार भी पहाड़ हिल चुके हैं। भारी बारिश ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। सड़कों, पुलों के टूटने पर लोग देश-दुनिया से कट गए हैं। पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली जैसे सीमांत जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। सीमांत जनपद चमोली के थराली ब्लॉक की सोल घाटी, घाट की कुंडी, मोख और देवाल ब्लॉक के बगरीगाड, वाण, कुलिंग आदि गांवों में ग्रामीणों को बादल फटने पर भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मां नंदा और ‘लाटू’ की थाती वाण गांव और कुलिंग अलग-थलग पड़ गए हैं। लोहजंग-वाण सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। भारी बारिश से दो सड़क, पुल और 5 पैदल पुल बह गए हैं। जिस वजह से वाण के लोगों को लोहजंग तक 22 किमी का पैदल सफर जान जोखिम में डालकर तय करना पड़ रहा है। सड़क मार्ग अवरुद्ध होने से गांव में खाद्यान्न, रसोई गैस, और सब्जियों की आपूर्ति पूर्ण रूप से बाधित हो गई है। आने वाले 2 महीने तक शायद ही सड़क सुचारु हो पाएगी। इस अवधि में गर्भवती महिलाओं और बीमार व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाना एक चुनौती होगी, क्योंकि पैदल मार्गों की स्थिति भी दयनीय है।

भारी बारिश से कुलिंग गांव पर संकट गहरा गया है। गांव के नीचे और दाहिनी ओर से भारी कटाव हो रहा है। जिस कारण ग्रामीण बेहद चिंतित दिखाई दे रहे हैं। आने वाले दिनों में कुलिंग गांव में भूस्खलन का संकट गहरा सकता है। वाण और कुलिंग के ग्रामीणों ने लकड़ी की बल्लियों के सहारे गधेरों को पार करने के लिए वैकल्पिक पुल बनाए हैं, जिसमें जान हथेली पर रखकर आवाजाही कर रहे हैं। बरसात के मौसम में इन गांवों तक खाद्य- रसद, रसोई गैस सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाना बेहद मुश्किल भरा कार्य है। ग्रामीणों का कहना है कि तत्काल पैदल मार्ग और सड़क मार्ग को आवाजाही के लिए खोला जाए।

पहाड़ जैसे बुलंद हौसलों की वजह से आखिरकार हिमालय के अंतिम गांव और मां नंदा, लाटू की थाती वाण गांव के मांझियों की मेहनत रंग लाई और क्षतिग्रस्त मोटर पुल की जगह ग्रामीणों ने पैदल आवाजाही के लिए लकड़ी का अस्थायी पुल तैयार कर दिया गया। चार दिनों की मेहनत के उपरांत पुल तैयार हुआ। पुल बनाने के लिए वाण गांव के सारे ग्रामीण गए थे। बीच-बीच में बारिश ने लोगों के काम में बाधा भी डाली है। अस्थायी पुल बनाने में जवाहर सिंह, नरेंद्र सिंह, पदम सिंह, पार सिंह, पदम सिंह, बालक सिंह, रणजीत सिंह, हिम्मत सिंह, किशन सिंह, हिम्मत सिंह, कृष्णा सिंह, उम्मेद सिंह सहित समस्त ग्रामीणों ने बड़ी मशक्कत की।

सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लॉक के वाण गांव की 13 तोकों में सड़क अवरुद्ध होने से राशन, कैरोसिन, गैस, सब्जियों की आपूर्ति पूर्ण रूप से बंद हो गई है। जिस कारण ग्रामीण बेहद चिंतित हैं। अभी बारिश का मौसम शुरू ही हुआ है। ऐसे में आने वाले दिन बेहद मुश्किलों भरे हो सकते हैं। खासतौर पर बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन स्थिति में अस्पताल ले जाना बेहद कठिनाइयों भरा हो सकता है। जिस कारण वैकल्पिक पुल बनाना बेहद जरूरी था। पहाड़ जैसे बुलंद हौंसले लिए वाण गांव के ग्रामीणों ने दिन रात एक करके अस्थायी पुल बना डाला।

भारी बारिश से देवाल ब्लॉक को बहुत नुकसान हुआ। सड़क टूटने और पुल बह जाने से वाण गांव अलग-थलग पड गया है। गांव को जोड़ने वाली वाण-लोहजंग पर बने दो पुल आपदा में बह गए हैं, जबकि सड़क जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है। वहीं पैदल मार्ग भी दयनीय हालत में है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। 15-16 जून को आई मूसलाधार बारिश ने सीमांत जनपद चमोली में व्यापक तबाही मचाई। देवाल ब्लॉक के बगरीगाड, हरनी सहित कुलिंग गांव को बहुत नुकसान हुआ। कुलिंग गांव में तो भूस्खलन की वजह से मकानों पर दरारें आ गई हैं जिस वजह से ग्रामीणों में भारी दहशत है। कुलिंग के ग्राम प्रधान भुवन सिंह दानू एवं महिपत सिंह, देव सिंह, मदन सिंह, लक्ष्मण सिंह, गोविंद सिंह, थान सिंह, महिपाल सिंह, भजन सिंह, शेर सिंह आदि ग्रामीणों ने बताया कि रात में ग्रामीणों को अपने मकानों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाना पड़ता है। रातभर जागना पड़ता है, क्योंकि भूस्खलन की वजह से घरों के टूटने का खतरा है। ऐसे में इन मकानों में रहना खतरे से खाली नहीं है। उन्होंने इसकी सूचना शासन- प्रशासन को दे दी है। गौरतलब है कि लगभग 50 परिवारों के इस गांव की जनसंख्या 250 के आस-पास है। बरसात के इस मौसम मे अब वे जाए भी तो कहां?

कुलिंग गांव के नीचे 100 मीटर पहले देवाल की ओर बना मोटर पुल बादल फटने से टूट गया है। इस गांव के करीब एक किलोमीटर ऊपर वाण गांव की ओर बना मोटर पुल भी नदी में समा चुका है। जिस कारण कुलिंग गांव के लोग न नीचे जा सकते हैं और न ही ऊपर। उनकी स्थिति त्रिशंकु जैसी है। इस गांव के लोग चारों तरफ से फंसे हुए हैं। गांव में करीब 50 परिवार और 300 के करीब आबादी बीच मझधार में फंसी हुई है। उसी प्रकार अंतिम गांव वाण जो 13 तोक और करीब 13 किलोमीटर में फैला हुआ है, वह भी देश-दुनिया से कट गया है। इस गांव में 350 से ज्यादा परिवार रहते हैं। गांव की आबादी 1300 से ज्यादा बताई जाती है।

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