फीफा विश्वकप के सेमीफाइनल मैग्नेटिक मैच में क्रोशिया ने यह साबित कर दिया है कि कुल 32 टीमों में से फ्रांस के सिवाय उसके टक्कर की कोई नहीं हैं। अर्थात अब यह तय हो गया है कि विश्वकप के आखिरी योद्धा क्रोशिया और फ्रांस ही हैं। फलस्वरूप विश्वकप फाइनल अब इनके बीच रविवार 15 जुलाई को खेला जाएगा।
वुध-वृहस्पतिवार वाली रात को रोंगटे खड़े कर देने वाले इस मैच में क्रोशिया ने 2-1 से इंग्लैंड को हराकर इतिहास रच दिया। शुरुआत में इंग्लैंड एक गोल दाग कर क्रोशिया पर दबदबा बना लिया। लेकिन दूसरे हाफ में क्रोशिया ने वापसी की। 68वें मिनट में क्रोशिया की तरफ़ से इवान पेरिसिट्स ने साइम व्रासल्जको से मिले पास को गोल पोस्ट में पहुंचा दिया। यहीं से क्रोशिया के हौसले बुलंद हो गए। फिर क्या कहना! क्रोशिया ने गेंद पर अपना कब्जा जमाए रखा। इसके बाद मैच का तय समय पूरा होने तक दोनों टीमें कोई गोल नहीं कर सकीं और मुक़ाबला अतिरिक्त समय तक खिंच गया। 108वें मिनट में हेडर से मिले पास पर मारियो मांद्ज़ुकित्श ने मौक़ा नहीं गंवाया और क्रोशिया को विजयी बढ़त दिला दी। इंग्लैंड के प्रतिभावान गोलकीपर जॉर्डन पिकफोर्ड भी इस बार गेंद को गोल पोस्ट में जाने से नहीं रोक सके।
आंकड़ों के आधार पर भी क्रोएशियाई टीम इंग्लैंड की टीम से बीस साबित हुई। मैच के दौरान 55 फीसदी समय तक गेंद क्रोशियाई खिलाड़ियों के क़ब्ज़े में रही। क्रोशियाई टीम ने गोल पोस्ट को निशाने पर लेकर सात शॉट लगाए, जबकि इंग्लैंड सिर्फ दो बार ऐसा कर सका। क्रोशियाई टीम को कुल आठ और इंग्लैंड की टीम को चार कॉर्नर मिले।
सेमीफाइनल का मैग्नेटिक मैच जब रूस के स्टेडियम शुरू हुआ तो इंग्लैंड के समर्थकों ने ‘‘इट्स कमिंग होम’’ के नारे लगाने लगे। क्योंकि साल 1966 में एकमात्र बार इंग्लैंड ने फीफा विश्वकप जीता था। मैच के फर्स्ट हॉफ में इंग्लैंड के आक्रामक प्रदर्शन से भी लगने लगा कि इस बार लंदन की फ्लाइट पकड़ेगा। लेकिन 52 साल बाद इंग्लैंड के फाइनल में पहुंचने का सपना टूट गया।
करीब 42 लाख की आबादी वाला क्रोशिया को आसानी से यकीन ही नहीं हो पा रहो होगा कि एक इतिहास रचकर दूसरे इतिहास की दहलीज पर खड़ा है।
जब भारत में बाजार को मुक्त करने की बात चल रही थी तो क्रोशिया अपने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था। विश्व के मानचित्र में स्वतंत्र देश के रूप में दर्ज हुए क्रोशिया को करीब 3 दशक हो गए हैं इसके बावजूद इस देश को बहुत कम लोग जानते हैं। हालांकि भारत जनसंख्या के मामले में सिर्फ चीन से कम है तो ऐसे में भारत में करीब 2 हजार क्रोशिया के आकार की आबादी वाले देश बनाए जा सकते हैं और करीब-करीब उतनी ही फुटबॉल टीम भी।
क्रोशिया ने भारत के लिए यह आइना दिखाया है कि स्वतंत्रा संघर्ष के उपरांत वह फुटबॉल को हर बार अपने पूराने और नए जख्मों पर मरहम की तरह इेस्तमाल करता रहा है। लेकिन विकास की बात करने वाला भारत में फुटबॉल को प्रोत्साहन कब मिलेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like

MERA DDDD DDD DD