बीते दिनों जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री के दौरे के बाद से ही घाटी में विपक्षी दलों के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं। जहां सुबह से लगातार नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते नहीं थक रहे है, वहीं अब पीडीपी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग भी पीएम मोदी के हर कदम की सरहाना करते दिखाई दिए हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा फारूक अब्दुल्ला को लेकर हो रही है। कहा जा रहा है कि क्या भाजपा के प्रति अब्दुल्ला परिवार के सुर बदलने लगे हैं? असल में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने पीएम मोदी को पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाने पर मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा पीएम मोदी ने जम्मू के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया है और मैं इसके लिए पीएम और रेल मंत्रालय को मुबारकबाद पेश करता हूं। वहीं उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला ने विपक्षी नेताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि वे नरेंद्र मोदी पर निजी हमला न करें। गौरतलब है कि फारूक और उमर अब्दुल्ला ने ही गुपकर एलायंस की पहल की थी और भाजपा विरोधी पार्टियों को एक मंच पर इकट्ठा किया था। लेकिन अब नेशनल कॉन्फ्रेंस उससे दूर हो गई है। उसने विपक्षी गठबंधन को एक तरह से तोड़ दिया है। नेशनल कांफ्रेंस जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की छह लोकसभा सीटों के लिए एकतरफा तरीके से फैसला किया है। साथ ही उमर अब्दुल्ला ने विपक्षी नेताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि वे नरेंद्र मोदी पर निजी हमला न करें। उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी पर हमला करने का फायदा उनको ही मिलता है। फारूक अब्दुल्ला की पार्टी ने कहा है कि कश्मीर घाटी की तीन सीटें श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग से उनका उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। यानी कांग्रेस और पीडीपी के लिए घाटी में एक भी सीट नहीं छोड़ी जाएगी। कांग्रेस को तो पहले ही बाहर कर दिया गया था लेकिन कहा जा रहा था कि दो सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और एक सीट पर पीडीपी लड़ेगी। जबकि जम्मू की दो सीटें कांग्रेस को मिलेंगी। मगर अब घाटी की तीनों सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से तीनों ही पार्टियों का गठबंधन खत्म हो गया है। अगर तीनों पार्टियां हर सीट पर चुनाव लड़ती हैं तो उसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।

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