इतिहास गवाह है कि युद्ध समस्या का समाधान नहीं बल्कि मानव संकट को जन्म देता है इसके प्रभाव से करोड़ों लोग झुलस कर रह जाते हैं। प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक बार फिर विश्वभर में चल रहे युद्धों से मानवता संकट में आ गई है। इन युद्धों में अधिकतर देश किसी न किसी पक्ष का समर्थन करते हुए आमने-सामने खड़े हैं। इजरायल-हमास युद्ध में जहां हमास के पक्ष में कई इस्लामिक देश हैं, वहीं इजरायल का समर्थन अमेरिका और यूरीपीय देश करते नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पिछले करीब दो साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की भी है। रूस का समर्थन चीन, पाकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, क्यूबा, बेलारूस और आर्मेनिया, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे अन्य देश कर रहे हैं तो यूक्रेन के पक्ष में अमेरिका समेत नाटो में शामिल अधिकतर देश आ खड़े हुए हैं। दुनियाभर में चल रहे इन युद्धों का असर अब वैश्विक स्तर पर नजर आने लगा है। इजरायल-हमास, रूस-यूक्रेन युद्ध और सूडान के गृह युद्ध से एक बार फिर दुनिया गरीबी, बीमारी, भुखमरी, पलायन की गंभीर समस्या से दो-चार होने लगी है। आलम यह है कि युद्धग्रस्त देशों के लोग बुनियादी चीजों के लिए तरस रहे हैं

फरवरी 2022 से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आठ करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना देश छोड़कर जाना पड़ा जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा पलायन बताया जा रहा है। इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष में भी उत्तरी गाजा में कम से कम 10 लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के अनुसार सूडानी सेना और अर्द्धसैनिक बलों के बीच युद्ध के सौ दिनों के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को उनके मूल स्थानों से बेदखल कर दिया गया है, जिनमें से लगभग 9 लाख 26 हजार लोगों ने विदेशों में शरण ली है और करीब 30 लाख लोग, देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। वहीं करीब तीन महीनों से जारी इजरायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध सैनिकों समेत सैकड़ों आम लोगों की मौत की वजह बना है। इस युद्ध के दौरान लगभग 20 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। वहीं इजरायल के करीब 121 से भी ज्यादा सैनिक मारे जाने की खबर है। इजरायली सेना लगातार गाजा पट्टी पर हमला कर रही है। जिसमें सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए हैं, लाखों परिवार बेघर हो चुकें हैं। उत्तरी गाजा में इजरायल द्वारा किए गए हमले से 23 लाख लोगों में 85 फीसदी से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। बेघर हो जाने के बाद 20 लाख लोग अस्थाई आवासों में रहने के लिए मजबूर हैं। शरणार्थी आवासों तक पर बम गिराए गए हैं जिनका शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे हो रहे हैं। इन सबसे मानवीय संकट और भी गहराता जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी गाजा की स्वास्थ्य सुविधाओं की दुर्दशा को लेकर कई बार चिंता जाहिर कर चुका है, लेकिन उससे स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। गाजा में राहत सामग्री और दवाओं का पहुंचना अभी भी मुश्किल बना हुआ है। गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के लोग अपनी जान बचाने में कामयाब भी हो जा रहे हैं तो भूख और प्यास उन्हें चैन से सोने नहीं दे रही है। इजरायल युद्ध की वजह से गाजा दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहा है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लोग अब गधों का मांस खाने के लिए और बच्चे रोटी की भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। यूनाइटेड नेशन की मानवीय मामलों पर नजर रखने वाली संस्था (ओसीएचए) दृ ऑफिस ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स के अनुसार फिलिस्तीनी शहर रफाह में बहुत सीमित संख्या में ट्रकों की आवाजाही हो पा रही है। इजरायल द्वारा दी गई चेतावनी के बाद उत्तरी गाजा से कमोबेश 11 लाख लोग दक्षिणी गाजा पहुंचे थे। इससे दक्षिणी हिस्से की आबादी दोगुनी हो गई है। हमले की वजह से उत्तरी गाजा के अधिकतर हिस्से में मानवीय मदद नहीं भेजी जा रही है।

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैंडी ने गाजा की स्थिति को एक बड़ी मानवीय आपदा बताते हुए कहा कि यह सुरक्षा परिषद की विफलता को दर्शाती है। उन्होंने और भी अधिक लोगों की मृत्यु, पीड़ा और विस्थापन की आशंका व्यक्त की, जिससे पूरे क्षेत्र को खतरा हो सकता है। उन्होंने तत्काल और निरंतर मानवीय युद्ध विराम लागू किए जाने, बंधकों की रिहाई और इजरायल-फिलिस्तीन टकराव के वास्तविक समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील दोहराई। फिलिस्तीन शरणार्थियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए के कमिश्नर-जनरल फिलिपे लजारिनी भी गाजा का हाल का दौरा करने के बाद, सीधे इस मंच पर मुखातिब हुए। उन्होंने मंच के प्रतिनिधियों से कहा कि गाजा के लोगों के पास समय और विकल्प खत्म होते जा रहे हैं, वे लगातार सिकुड़ते क्षेत्र में बमबारी, अभाव और बीमारी का सामना कर रहे हैं। वे 1948 के बाद से अपने इतिहास के सबसे काले अध्याय का सामना कर रहे हैं।

यूएनआरडब्ल्यूए प्रमुख ने कहा कि ‘हिंसा के चक्र को समाप्त करने के लिए वास्तविक राजनीतिक प्रक्रिया का कोई विकल्प नहीं है जिसमें दोनों पक्ष देश का दर्जा हासिल करके, शांति और स्थिरता के साथ रह सकें। उन्होंने ‘एकता का क्षण’ बनाने का आहवान किया, जिससे जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा को ख़तरा होने के कारण विस्थापित हो रहे लोगों को सुरक्षा मिल सके और यह भी कि उनके निर्वासन को यथाशीघ्र हल करने के लिए सब कुछ किया जाए।

हमास ने इजरायली नागरिकों को बनाया बंधक

लगातार बढ़ रहे मानवीय संकट के बावजूद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायल जब तक हमास आतंकवादियों के खिलाफ जीत हासिल नहीं कर लेता, तब तक वह गाजा पट्टी में युद्ध जारी रखेगा। इससे कोई भी देश उसे नहीं रोक सकता। मानवता पर संकट का एक दृश्य यह भी सामने आया कि इस युद्ध के दौरान हमास ने 240 इजराइली नागरिकों को गाजा में बंधक बना लिया था। इन्ही बंधकों में से तीन की मौत इजरायली सेना द्वारा हो गई। इजरायल ने गाजा में जारी अभियान के दौरान बंधक बनाए गए अपने ही तीन नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। सेना के अनुसार हमास द्वारा बंधक बनाए गए 28 साल के योतम हैम, 22 साल के समीर तलाल्का और 26 साल के एलोन शमरिज को गलती से ‘खतरे’ के रूप में पहचाने जाने के बाद मार दिया गया। जिसके बाद से ही इसराइली सरकार का विरोध वहां की जनता करने लगी है। प्रदर्शनकारी हम्मास से जल्द से जल्द बात करके बंधकों को वापस लाए जाने की मांग कर रहे हैं।

सूडान में मानवीय संकट
सूडान में सेना और अर्द्धसेना बल के बीच चल रहे गृह युद्ध से मानवता पर संकट बना हुआ है। हताहतों की बढ़ती संख्या के साथ मानवीय हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की आपदा मानवीय राहत एजेंसी दृ(ओसीएचए) के मुखिया मार्टिन ग्रिफिथ्स के अनुसार सूडान में छह महीने से जारी युद्ध ने, देश को इतिहास में सबसे भीषण मानवीय संकट में धकेल दिया है। इस युद्ध के दौरान लगभग 9 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और लाखों लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा है। इसके अलावा करीब ढाई करोड़ लोग, अप्रैल 2023 से हो रहे युद्ध के कारण मानवीय सहायता के लिए जरूरतमंद बन गए हैं। इस अवधि के दौरान विशेष रूप में खारतूम, दारफूर और कोरदोफान में आम लोगों को, रक्तस्राव और आतंक से कोई राहत नहीं मिल सकी। बलात्कार और यौन हिंसा की खबरें भी लगातार मिल रही हैं। सूडान में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की हालत बेहद जर्जर है। देश के युद्धग्रस्त इलाकों में 70 प्रतिशत से अधिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं ठप हो गई हैं। हैजा ने सूडान को अपनी चपेट में ले रखा है और उसके लगभग 1000 मामले सामने आए हैं।

रूस यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न हुआ मानवीय संकट
रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी मानवीय संकट को उत्पन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस युद्ध में दोनों देश बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। युद्ध को 22 महीने हो गए हैं। इससे दोनों मुल्कों के बुनियादी ढांचे पर जबरदस्त असर पड़ा है। रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हवाई हमलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं, शरणार्थी आवास और बिजली संयत्रों को प्रभावित किया है। सर्दियों के दौरान लाखों लोग बिना बिजली के अपना गुजारा कर रहे हैं। वहीं रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले से खेरसॉन क्षेत्र में स्थित नोवा कखोवका बांध नष्ट हो गया था। उस दौरान अस्सी के अस्सी गांव बांध टूटने की वजह से बह गए जिसका प्रभाव अब तक बना हुआ है। हजारों सैकड़ों लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। यह बांध एक पनबिजली संयंत्र का हिस्सा भी था। लाखों लोगों की पहुंच साफ पानी और अन्य बुनियादी आपूर्ति तक नहीं हो पा रही। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के स्वास्थ्य अधिकारी स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचें में लगातार हो रही गिरावट को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। रूस द्वारा कब्जा हुए मारियुपोल शहर में, अधिकारियों ने हैजा और पेचिश की आशंका जताई है जबकि यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मिशन ने उन रिपोर्टों के बारे में चिंता व्यक्त की कि युद्ध के यूक्रेनी कैदी तो इस बीमारी से संक्रमित भी हो गए हैं। यह संकट और भी तेजी से बढ़ सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध रुकने के कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यूक्रेन के साथ जंग तब तक नहीं थमेगी जब तक रूस अपने मकसद को पूरा नहीं कर लेता है। उन्होंने कहा, ‘हम लड़ रहे हैं ताकि देश की संप्रभुता बरकरार रहे, बगैर इसके हमारे देश का अस्तित्व ही नहीं रहेगा। युद्ध खत्म न करने की जिद में आम लोगों को निम्न कारणों से अपनी जान गवानी पड़ रही है। यूक्रेन को दाने-दाने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ रहा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अनुसार आज यूक्रेन में कोई उत्पादन नहीं हो रहा है, लेकिन वहां सब कुछ मुफ्त का आ रहा है, एक समय ऐसा आएगा जब ये मुफ्त की चीजें मिलना बंद हो जाएंगी और ऐसा लग रहा है कि धीरे-धीरे ये खत्म हो रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में मानव संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने लगभग दस अरब डॉलर की सहायता दी है, लेकिन संघर्ष बढ़ता चला जा रहा है। इसलिए ये सहायता भी निष्फल साबित हुई है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूक्रेन युद्ध में अब तक 3 लाख 15 हजार रूसी सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हुए हैं। ये आक्रमण के समय शुरुआती रूसी सेना का 90 प्रतिशत है। रूसी सैनिक जंग में यूक्रेनी सैनिकों के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। रूसी सैनिकों पर आरोप है कि वह यूक्रेनी सैनिकों के माथे पर ‘स्वास्तिक’ के चिÐ को उकेर रहे हैं। पुतिन ने भी दावा किया है कि युद्धक्षेत्रों में रूस की सेना मजबूत स्थिति में हैं। सालों-महीनों से विश्वभर में चल रहे इन युद्धों के कारण मानवता पर आए संकट के बादल छटेंगे या नहीं इसका अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है।

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