दिल्ली के मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हिरासत से केजरीवाल छूटने की कोशिश कर ही कर रहे थे कि इसी बीच सीबीआई द्वारा हिरासत ,में ले लिए गए। आप प्रमुख को दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के दौरान दिल्ली मुख्यमंत्री राउज एवेन्यू स्थित निचली अदालत में थे। दरअसल सीबीआई द्वारा दिल्ली मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की अर्जी अदालत में दी गई थी। जिसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था। उसी दौरान सीबीआई ने उन्हें हिरासत में ले लिया। एजेंसी ने अदालत से अरविन्द केजरीवाल को हिरासत में रखने के लिए पांच दिन की अनुमति मांगी।
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी सुनीता ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा कि अभी तक हमेशा यही प्रार्थना रही है कि ईश्वर सबको सदबुद्धि दे, लेकिन अब प्रार्थना रहेगी कि तानाशाह का विनाश हो। वहीं सीबीआई द्वारा अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल झुकेगा नही जितना मर्जी अत्याचार कर लो,. ईडी कोर्ट से जमानत के बाद सीबीआई की गिरफ़्तारी बीजेपी के इशारे पर जांच एजेंसी का खुला दुरुपयोग है। नई आबाकारी नीति को साल 2021 में लाया गया था। इसके बाद जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराजयपाल वीके सक्सेना को नई आबकारी नीति पर एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में नई आबाकारी नीति में अनियमितताओं का दावा किया गया । उपराज्यपाल ने सीबीआई से पूरे मामले की जांच करने का अनुरोध किया। इसके बाद सीबीआई ने अगस्त 2022 में उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया।
प्रवर्तन निदेशालय आबकारी नीति में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं इस मामले में भ्रष्टाचार आरोपों की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2022 में ही भ्रष्टाचार का मामला सीबीआई ने दर्ज कर लिया था। हालांकि उसने केजरीवाल को उस दौरान आरोपी नहीं बनाया था। गौरतलब है आबकारी नीति मामले में जांच की शुरुआत तो सीबीआई ने की लेकिन दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल को हिरासत में पहले ईडी ने लिया। साल 2022 में इस मामले में गवाह के तौर पर केजरीवाल सीबीआई के सामने पेश हुए थे और उनसे नौ घंटों तक पूछताछ की गई थी। गवाह के तौर पर अरविंद केजरीवाल को पहले और अब आरोपी के तौर पेश करने पर सवाल उठ रहे हैं। जिसका जवाब देते हुए सीबीआई ने कहा कि उसे किसी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले उसे बताने की जरूरत नहीं है, उसे सिर्फ हिरासत के लिए अदालत की अनुमति की जरूरत है।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था। तब से वे तिहाड़ जेल में हैं। बीच में लोकसभा चुनावों के दौरान उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। लेकिन चुनाव के बाद उन्हें जेल लौटना पड़ा। कुछ ही दिनों पहले निचली अदालत ने ईडी को पक्षपाती बताते हुए केजरीवाल को जमानत दी थी। लेकिन ईडी ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायलय में अपील कर दी और न्यायालय ने जमानत के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। इसके बाद अरविन्द केजरीवाल ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, लेकिन तब तक सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अब उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से हाई कोर्ट की रोक के खिलाफ अपनी अर्जी वापस ले ली है।