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महज तीन महीने पहले जो शख्स उत्तराखण्ड के सिलक्यारा सुरंग हादसे में नायक बनकर सामने आया था दिल्ली में उसके घर पर बुलडोजर चलवा दिया गया। उनका परिवार आज मलबे में तब्दील हो चुके अपने सपनों के घरौंदे को देखकर गमगीन है। पूरा परिवार फिलहाल फुटपाथ पर एक पॉलिथीन की छत के नीचे ठंड और बरसात में जीवन जीने को मजबूर है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके की श्रीराम कॉलोनी में डीडीए द्वारा जिस घर को अवैध बताकर ढहाया गया है वह उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 41 मजदूरों के लिए मसीहा साबित हुए वकील हसन का है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा रेस्क्यू को सफल बनाने वाली रैट माइनर्स टीम के मुखिया वकील हसन को ससम्मान गले लगाया, माला पहनाई और पचास हजार का इनाम दिया, लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली में डीडीए की सूची में वही शख्स अतिक्रमणकारी हो गया। डीडीए ने बिना नोटिस दिए ही हसन के घर को ध्वस्त कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस रैट माइनर्स टीम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू को सफल बनाने का धन्यवाद देते हुए फोटो लगे होर्डिंग दिल्ली के बस अड्डों, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर लगे हैं, उन्हें टीवी पर दुनिया ने सिलक्यारा रेस्क्यू करते देखा, उनके बारे में डीडीए अनभिज्ञता जाहिर कर रहा है। डीडीए की दलील है कि वकील हसन ने जमीन पर कब्जा करके घर बनाया था
‘मैं 2013 में श्री राम कॉलोनी में रहने आया था। पत्नी के जेवर बेचकर, कर्ज लेकर 33 लाख रुपए में भगवती नामक महिला से प्लॉट खरीदा था। लेकिन उस प्लॉट पर घर बनाने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण के अफसरों ने मुझसे 8 लाख रुपए लिए थे। फिर वे बार-बार पैसे मांगने लगे। नहीं दिए तो बिजली काट दी। अब घर ही तोड़ दिया। यह घर मेरा था। वो लोग मुझसे पैसे मांग रहे थे। मेरे साथ में कुछ लोगों ने डर की वजह से पैसे दिए हैं, पर मैंने नहीं दिए। हमेशा से ही मुझसे पैसे की डिमांड की जा रही थी। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम रिश्वत में दें। मैंने अपनी जिंदगीभर की कमाई, पत्नी के जेवर और गांव का प्लॉट बेचकर यहां 2014 में 80 गज का मकान बनाया था। मुझे अभी भी होम लोन के 12 लाख का भुगतान करना है। मेरे बच्चों की किताबें, उनके स्कूल का सारा सामान मलबे में दबा है। बच्चों के एग्जाम हैं, मेरे जरूरी दस्तावेज दबे हैं। ऐसा क्यों हुआ, क्या मैं कोई अपराधी था? मेरे अब्बू और भाई सेना में थे। वे देश सेवा करते रहे। मैं उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने वाली टीम में था। हमारी देशभक्ति का ये सिला मिला है।’
यह व्यथा है वकील हसन की।


12 नवंबर 2023 को उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जनपद की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए जब एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कोई तकनीक काम नहीं कर पाई और अमेरिकन आगर मशीन भी फेल हो गई थी ऐसे में 26 नवंबर 2023 को सिलक्यारा साइट पर रैट माइनर्स की टीम के 12 सदस्यों ने काम शुरू किया था। जिनके प्रमुख वकील हसन थे। इन रैट माइनर्स की दिलेरी ने उम्मीदों को पंख लगा दिए। रेस्क्यू साईट पर इनकी एंट्री कुछ वैसे ही हुई जैसे फिल्म में हीरो की होती है। जब मामला फंस जाता है तो हीरो आता है और सब ठीक कर देता है। उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकलने में इन रैट माइनर्स की भूमिका भी किसी नायक सरीखी ऐसे ही रही। चट्टानों का गुरुर चूर करके 41 मजदूरों को जब इन रैट माइनर्स द्वारा 17वें दिन बाहर लाया गया तो देश में खुशी की लहर चल पड़ी। हर किसी ने रैट माइनर्स की सराहना की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको सफल रेस्क्यू के लिए धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजदूरों के लिए मसीहा बने रैट माइनर्स को न केवल सम्मानित किया, बल्कि सभी को 50 -50 हजार का इनाम भी दिया। उत्तराखण्ड में जिस वकील हसन को 41 लोगों की जिंदगी बचाने के लिए सम्मान दिया गया तो वहीं दिल्ली में डीडीए द्वारा वकील हसन के घर पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से लोगों में रोष व्याप्त है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उत्तराखण्ड के सिलक्यारा में वकील हसन की उल्लेखनीय भूमिका का पता चलने पर डीडीए से उनको मुफ्त में वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने दिलशाद गार्डन में इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के स्वामित्व वाला डीडीए के दो बीएचके फ्लैट को वकील को देने का आदेश भी दिया है। इसके अलावा डीडीए की तरफ से उन्हें नरेला में मकान की पेशकश की गई है, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को भी अस्वीकार कर दिया। इस पर वकील हसन का कहना है कि अधिकारी चाहते हैं कि वह अपने परिवार के साथ उस मकान में अस्थायी रूप से रहने लगे। मुझे सिर्फ मौखिक आश्वासन मिल रहे हैं। मैं अपना घर और यादें पीछे नहीं छोड़ूंगा। मेरे बच्चे यहां स्कूल जाते हैं, मेरी बहनें और भाई यहां रहते हैं, और मेरा व्यवसाय इस क्षेत्र में है। डीडीए या कोई और मुझसे कैसे उम्मीद कर सकता है कि मैं अपना सामान उठाऊंगा और शहर के बाहरी इलाके में चला जाऊंगा? मकान गिराने से पहले डीडीए के अफसरों ने उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया। अगर मुझे मेरा घर वापस नहीं मिला तो मै आमरण-अनशन करने को मजबूर हो जाऊंगा।

हसन कहते हैं ‘जिस हथियार का इस्तेमाल कर हमने 41 मजदूरों की जान बचाई थी उसी हथियार का इस्तेमाल कर डीडीए ने उनके मकान के खिड़की दरवाजों को उखाड़ दिया। जब वह और उनकी पत्नी घर पर नहीं थे, तभी डीडीए की टीम पहुंची और बच्चों के सामने घर को गिरा दिया। उनके घर को इस तरह गिराया गया है जैसे वह कोई आतंकवादी का घर हो। इस दौरान उनके बच्चों के साथ मारपीट और खींचतान भी की गई। जब उनकी टीम ने सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाला था तब उन्हें इनाम देने की बात की गई थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने आशियाने को बचाने की गुहार लगाई थी। स्थानीय सांसद मनोज तिवारी ने भी आश्वासन दिया था कि उनके मकान को कुछ नहीं होगा, लेकिन डीडीए ने उनके मकान को गिराकर जमींदोज कर दिया।
घटना वाले दिन का जिक्र करते हुए वकील हसन कहते हैं कि उस दिन मेरी बेटी अकेले घर पर थी। उसने मुझे फोन किया और बताया कि कुछ लोग घर के बाहर आए हुए हैं। वह काफी डरी हुई थी। मैंने कहा कि दरवाजा नहीं खोलना। वे लोग बड़ी जोर से दरवाजे को धक्का दे रहे थे। बहुत बदतमीजी से बात कर रहे थे। जैसे ही मैं वहां पहुंचा, मैंने कार्रवाई को लेकर सवाल किए, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। यहां तक कि मुझे मेरा घर गिराने का नोटिस भी नहीं दिखाया गया। मैंने विरोध किया तो पुलिस वाले हमें पकड़ कर थाने ले गए। मेरे दोस्त भी साथ थे। हमें रात तक अपराधियों की तरह थाने में बैठा कर रखा गया। जब हम लोग 8 बजे रात को वहां से आए तो वापस आकर देखा की मेरा घर पूरी तरह से तोड़ दिया गया था। घर के आगे रास्ते की तरफ एक दीवार खड़ी कर दी गई है। हम लोग तब से अपने घर के मलबे के पास बाहर ही बैठे हुए हैं। हमें कई दिन हो गए हैं। हम तब तक यहां बैठे रहेंगे, जब तक मुझे और मेरे परिवार को घर नहीं मिलेगा।

वकील हसन आगे बताते हैं कि इतना सब होने के बाद किसी ने हमारा साथ नहीं दिया। सब मिलने आते हैं, दिलासा भी देते हैं लेकिन सही से कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है। मेरे पास अधिकारियों का भी फोन आया था, हम आपकी मदद करेंगे। बस बोला ही जा रहा है कुछ हो नहीं रहा है। इसके बाद डीडीए वाले भी मेरे पास आए थे। बोले हमको पता नहीं था कि आप रैट माइनर हो, हम आपको फ्लैट दे देंगे। वो इस घर से बहुत दूर भी है। मेरे छोटे बच्चे हैं। ऐसे में मैं कहीं नहीं जा सकता। मुझे अपने परिवार की सुरक्षा भी देखनी है। हसन की मांग है कि डीडीए या तो उनके घर का पुनर्निर्माण करे या इसी इलाके में एक घर बनाकर दे।
डीडीए की सफाई
डीडीए के अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि 2016 में कार्रवाई के दौरान खजूरी खास गांव में खसरा नंबर 247/1 से अतिक्रमण को हटाया था। इसके बाद वर्ष 2017 में निरीक्षण के दौरान पता चला कि वकील और गोयल नाम के व्यक्ति अतिक्रमण कर रहे हैं। इसकी पुलिस को सूचना दी गई थी। जून 2018 के लिए निर्धारित अतिक्रमण हटाओ कार्यक्रम शुरू कर दिया गया था। तब अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम को विरोध का सामना करना पड़ा। अतिक्रमण की अनुमति देने के लिए दोषी अधिकारियों से इस मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा गया था। वर्ष 2022 के सितंबर व दिसंबर में फिर से अतिक्रमण हटाने की योजना बनाई गई लेकिन महिलाओं ने फिर अतिक्रमण हटाने के अभियान को विफल कर दिया था। डीडीए का कहना है कि 28 फरवरी 2024 को फिर अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया। इसके लिए पुलिस से सहायता भी मांगी गई। इस कार्रवाई के दौरान रैट माइनर वकील हसन के परिवार को सूचित किया गया था। साथ ही उनसे अतिक्रमित क्षेत्र को खाली करने का अनुरोध भी किया गया था। वकील को अपना सामान हटाने का पर्याप्त समय भी दिया गया। इसके बाद डीडीए द्वारा अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई की गई।
‘मेरे पति उत्तराखण्ड के हीरो हैं’
रैट माइनर वकील हसन के खजूरी खास स्थित मकान को गिराने के मामले में उनकी पत्नी शबाना हसन कहती हैं कि ‘मेरे पति उत्तराखण्ड के हीरो हैं। उन्होंने अपनी टीम के साथ 41 मजदूरों की जान बचाई थी। सब उस वक्त उनको सम्मान दे रहे थे, लेकिन आज सम्मान के बदले घर को ही ले लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं, लेकिन मेरा विकास कहां है? एक टूटा-फूटा घर था, वह भी खत्म हो गया। अब हम कहां जाएंगे, कहां रहेंगे, यह समझ में नहीं आ रहा है।
उन्होंने डीडीए दस्ते पर गंभीर आरोप लगाया और कहा कि डीडीए की टीम जब वहां पहुंची तो उस समय उनकी नाबालिग बेटी घर में थी। डीडीए की टीम ने बच्चों को मारपीट कर घर से निकाल दिया और फिर घर को जमींदोज कर दिया। पुलिस कर्मियों ने उनके पति वकील हसन और बेटा-बेटी को भी थाने ले जाकर बंद कर दिया। उनकी मदद के लिए पहुंचे मजदूरों को बाहर निकालने वाली टीम का हिस्सा रहे मुन्ना कुरैशी को भी पुलिस ने नहीं बख्शा, उन्हें भी थाने ले जाकर रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि डीडीए ने सामान को भी निकालने नहीं दिया। बच्चों के स्कूल के कागजात सहित उसकी किताबें, स्कूल ड्रेस, नोट्स – सब कुछ घर के टूटने पर मलबे में दब गए हैं। इससे उनकी बिटिया की परीक्षा भी नहीं दी जा सकी। वकील हसन की पत्नी शबाना ने बताया कि अपनी परीक्षा के दिन मेरी बेटी सड़क पर खड़ी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग जबरन उनके घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस आए और जब तोड़-फोड़ की गई तो घर पर केवल उनकी बेटी और बेटा ही थे। शबाना ने कहा कि जब डीडीए अधिकारी पुलिस के साथ आए तो घर पर कोई नहीं था। अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही अलीजा और मेरा बेटा अजीम घर पर थे। यह सूचना मिलने पर कि मेरे घर को ध्वस्त किया जा रहा है, मेरे पति और हम अपने घर पहुंचे। लेकिन तब तक उनके सपनों के घर पर डीडीए के बुलडोजर द्वारा पानी फेरा जा चुका था।
घर के मलबे में दबी बेटी अलीजा की हसरत
उनकी बेटी अलीजा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की कक्षा 10 की छात्रा है। उसने बताया कि घर ध्वस्त करने के बाद व्याप्त अराजकता के कारण उसकी गृह विज्ञान की परीक्षा भी नहीं हो सकी। अलीजा ने कहा कि परीक्षा छूटने के बाद उसने अपने शिक्षक से बात की, जिन्होंने उसे आश्वासन दिया कि कुछ किया जाएगा। उसके बड़े भाई अजीम ने कहा कि कोविड-19 के दौरान मेरी शिक्षा बाधित हो गई थी, लेकिन मेरी बहन पढ़ाई को लेकर बहुत उत्साहित थी। वह हमारे छोटे भाई और आस-पास के घरों के बच्चों को पढ़ाती थी। गौरतलब है कि अलीजा अपने आस-पास की करीब 50 बच्चियों को निशुल्क शिक्षा देती थी। जब ‘दि संडे पोस्ट’ टीम घटनास्थल पर पहुंची तब भी वह पड़ोसी के घर में बच्चों को पढ़ा रही थी।
वादा तेरा वादा!
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी 2 मार्च के दिन वकील हसन और उनके परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि जो हुआ वह दुखद है। उन्होंने उपराज्यपाल से भी पूरे मामले में हस्तक्षेप करने का निवेदन किया है ताकि हसन के परिवार को न्याय मिल सके। इसके साथ ही उन्होंने वकील हसन को डीडीए द्वारा मकान तोड़े जाने पर उन्हें मुआवजा के तौर पर नए घर दिए जाने का भरोसा दिलाया। इस दौरान टनल में मजदूरों को निकालने वाली टीम के हिस्सा रहे दिल्ली के सभी छह रैट माइनर वहां मौजूद रहे। तिवारी ने यह भी कहा कि घनी आबादी में सिर्फ एक घर तोड़े जाना ये न्याय संगत नहीं है। ये लोग हीरो हैं। एलजी वीके सक्सेना भी इससे दुखी और आश्चर्यचकित हैं। एलजी ने कहा कि वकील हसन के परिवार को घर दिया जाएगा। इस पूरी घटना को प्रधानमंत्री मोदी तक भी पहुंचा दिया गया है। यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि मनोज तिवारी ने दिसंबर 2023 में वकील हसन को सिलक्यारा सुरंग हादसे में सफल रेस्क्यू के लिए सम्मानित भी किया था। इसी के साथ तिवारी ने उन्हें तब यह भी आश्वासन दिया था कि उनके घर को नहीं तोड़ा जाएगा।
घनी आबादी में डीडीए का निशाना अकेला हसन का घर क्यों?
श्रीराम कॉलोनी में हजारों की आबादी रहती है। जहां वकील हसन का घर बना है उसके आस-पास घनी आबादी है। यही नहीं बल्कि हसन के घर के पीछे डीडीए ने दीवार बंदी और तारबंदी की हुई है। यह अकेले हसन के घर के पीछे की तरफ ही नहीं था, बल्कि दर्जनों घर ऐसी ही स्थिति में हैं। ऐसे में सवाल यह है कि जब डीडीए ने पीछे पड़े खाली एरिया की दीवार बंदी और तारबंदी की हुई है तो अकेले हसन के घर पर ही अतिक्रमण की कार्यवाई क्यों की गई? हसन के घर के दोनों तरफ बसे पड़ोसियों से भी ‘दि संडे पोस्ट’ ने बात की। इनमे ंसे एक प्रदीप जैन हैं जिनकी हार्डवेयर की दुकान है। प्रदीप जैन ने बताया कि उन्होंने यह जमीन एक महिला से ली थी। इसके अलावा दूसरे पड़ोसी राकेश कुमार ने बताया कि पूरी श्रीराम कॉलोनी कच्ची बनी है। यहां पक्का कुछ भी नहीं है। यहां की रजिस्ट्री भी हुई तो सभी पावर ऑफ अटार्नी के जरिए ही की गई थी। राकेश बताते हैं कि करीब 10 साल पहले कॉलोनी में पूरी जमीन को अपनी बताते हुए डीडीए ने एक बोर्ड लगाया था जिस पर लिखा था कि यह डीडीए लैंड है।
पांच साल पहले श्रीराम कॉलोनी को किया गया था पक्का
20 नवंबर 2019 को राजधानी दिल्ली की करीब 1,800 अनधिकृत कॉलोनियों को पक्का करने का रास्ता साफ करते हुए उपराज्यपाल ने कई अहम कदमों को मंजूरी दे दी थी। साथ ही इन सभी कॉलोनियों में पीएम- उदय योजना लागू करने की बात कही गई। इसके अलावा दिल्ली रिफॉर्म एक्ट के सेक्शन 81 के तहत दर्ज केसों को भी वापस लेने के वायदे के साथ उपराज्यपाल ने राजधानी के 79 गांवों के शहरीकरण को भी मंजूरी दे दी थी। तब उपराज्यपाल के ट्वीट के जरिए बताया था कि इससे अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग अपने घर के मालिकाना हक के दस्तावेज बनवा सकेंगे। इससे उन्हें नागरिक सुविधाएं हासिल करने और लोन आदि लेने में भी सुविधा होगी। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की ओर से दिल्ली की 1,797 कॉलोनियों को नियमित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। 13 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने से संबंधित कानून को मंजूरी दे दी थी।
सभी रैट माइनर्स में सिर्फ हसन का था अपना घर
घटनास्थल पर दिल्ली के वो सभी रैट माइनर्स मौजूद थे जिन्होंने सिलक्यारा रेस्क्यू को सफल बनाया था। ‘दि संडे पोस्ट’ को मुन्ना कुरैशी ने बताया कि वे सभी लोग किराए के घर में रहते हैं। सिर्फ अकेले वकील हसन का ही अपना घर था, जिसे तोड़ दिया गया। हसन के घर पर ही आकर सभी लोग मिशन पर जाने से पहले मीटिंग किया करते थे। जब सिलक्यारा सुरंग का रेस्क्यू करने का उनको प्रस्ताव मिला था तब भी इसी घर में उत्तराखण्ड जाने का निर्णय लिया गया था। कुरैशी ने कहा कि वे इस मामले को लेकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी बात करेंगे। सभी को उम्मीद है कि वे इस मामले में उनकी सहायता करेंगे।
राजनीतिक दलों का समर्थन
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने डीडीए के अतिक्रमण विरोधी अभियान में ‘रैट होल माइनर’ वकील हसन का मकान तोड़े जाने को लेकर भाजपा पर हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि गरीबों को प्रताड़ित एवं अपमानित करना बीजेपी के ‘अन्यायकाल’ की सच्चाई है। प्रियंका गांधी ने वकील हसन की पत्नी का वीडियो शेयर करते हुए सोशल मीडिया में अपनी बात रखी। जबकि दिल्ली के आप विधायक अखिलेश त्रिपाठी और राजेंद्र पाल गौतम ने इस मामले को दिल्ली विधानसभा में उठाया और उपराज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की। साथ ही गौतम ने कहा कि गरीब अपनी मेहनत की कमाई से अपना घर बनाते हैं। वर्षों तक ये अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं, फिर अचानक एक दिन वे बिना किसी नोटिस के घरों को नष्ट कर देते हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि जिन्होंने लोगों को बचाकर कई घरों को उजड़ने से रोका, उनका घर तोड़ना अच्छा नहीं। भाजपा सरकार क्या इसी तरह अच्छे काम का इनाम देती है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया में इससे जुड़ी फोटो भी शेयर की और लिखा ‘डीडीए ने रैट माइनर वकील हसन के मकान को बुलडोजर से गिरा दिया है। नोटिस तक नहीं दिया, बुलडोजर तब चलाया गया जब वकील के बच्चे उनके घर पर अकेले थे। वकील और उनके साथियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर उन 41 लोगों को बचाया था जो उत्तरकाशी में फंसे थे। किसी भी सभ्य समाज में उन्हें राष्ट्रीय नायक का दर्जा दिया जाता, लेकिन शायद उनका नाम वकील हसन है इसलिए मोदी राज में उनके लिए सिर्फ बुलडोजर, एनकाउंटर वगैरह मुमकिन है।’
दिल्ली कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि जिस वकील हसन ने अपनी जान जोखिम में डालकर उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों की जान बचाई थी। निर्दयी सरकार ने आज उसी को थाने में बंद कर दिया और उनके घर पर बुलडोजर चलाकर परिजनों को बेघर कर दिया। गरीबों का घर तोड़ना, उन्हें कुचलना, प्रताड़ित और अपमानित करना – यह अन्याय ही भाजपा के ‘अन्यायकाल’ की सच्चाई है। जनता इस अन्याय का जवाब जरूर देगी। पूर्व सांसद वृंदा करात के नेतृत्व में सीपीआई (एम) के एक प्रतिनिधिमंडल ने एक मार्च को हसन और उनके परिवार से मुलाकात की। बाद में पार्टी द्वारा जारी एक बयान में हसन के मकान के ध्वस्तीकरण को डीडीए की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार का एक उदाहरण बताया गया।