केंद्र सरकार चुनावी आचार संहिता लगने से पूर्व एक के बाद एक जन कल्याणकारी योजनाओं का पिटारा खोलने में जुटी नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के भीतर इस समय भारी घबराहट का माहौल है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के औपचारिक ऐलान ने इस घबराहट को तेज कर दिया है। स्वर्णो को दस प्रतिशत आरक्षण की लॉलीपोप इसी घबराहट का नतीजा कही जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन चुनावों को मोदी सरकार की उपलब्धियों के सहारे नहीं लड़ा जा सकता। इसलिए भाजपा का थिंक टैंक लगातार चिंतन-मंथन कर रहा है कि कैसे इन चुनावों को जीता जा सके। संकट लेकिन यह है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं भाजपा के सहयोगी दलों का बिखरना शुरू हो चला है और पार्टी के भीतर भी शीर्ष नेतृत्व को लेकर असंतोष गहरा रहा है।

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