बिहार में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के बीच मतभेद बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले एक आईएएस अधिकारी के ठिकानों पर ईडी के छापे ने राज्य के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। इस छापेमारी के बाद एक वरिष्ठ मंत्री ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को फोन किया और चेतावनी दी कि इस तरह के छापे अच्छे नहीं हैं और इससे सहयोगियों के बीच मतभेद पैदा हो सकते हैं। हालांकि गठबंधन के सभी दल आधिकारिक तौर पर यही कह रहे हैं कि एनडीए एकजुट है और रहेगा। लेकिन हालिया घटनाक्रम कुछ और ही बयां कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ मार्ग पर स्थित होटलों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश का भी बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने कड़ा विरोध किया है।

दूसरी तरफ हाल ही में पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर तंज कसा। मांझी ने कहा कि 2015 में जब उन्होंने कुमार की जेडीयू से नाता तोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी, तब कुमार ने उनका मजाक उड़ाया था। आज मेरी पार्टी न केवल काम कर रही है, बल्कि बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। मांझी ने यह भी याद दिलाया कि कैसे 2023 में कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करने या एनडीए छोड़ने के लिए कहा था। ‘मैं बीजेपी और नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। मैं न केवल एनडीए में शामिल हुआ, बल्कि मेरा बेटा संतोष कुमार सुमन तीन विभागों के साथ एमएलसी और मंत्री बना जो जेडीयू ने मुझे पहले पेशकश की थी उससे कहीं अधिक है।’ हालांकि मांझी ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि वह नीतीश कुमार के आभारी हैं और भविष्य में उनके खिलाफ कभी एक शब्द भी नहीं कहेंगे।

दूसरी तरफ बिहार को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर जेडीयू न केवल अपने पुराने रुख पर कायम है, बल्कि केंद्र सरकार के सामने लगातार यह मांग उठा रही है। इस बीच जेडीयू ने सीधे-सीधे लोकसभा में अपनी ही सरकार से पूछ दिया कि क्या वह बिहार और शेष ऐसे राज्यों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देना चाहती है? अगर सरकार ऐसा विचार रखती है तो बताए और नहीं रखती है तो इसका कारण स्पष्ट करे। जदयू के रामप्रीत मंडल के इस सीधे सवाल का सीधा जवाब भी बजट सत्र के पहले दिन आ गया। मंडल ने वित्त मंत्री के लिए यह सवाल रखा था। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने इसपर प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए नकारात्मक और सीधा जवाब दिया। मतलब अब जैसा जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सर्वदलीय बैठक में अपनी बात रखी थी कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते हैं तो विशेष पैकेज दें। अब संभवतः एनडीए सरकार के अहम किरदार जदयू की बात रखने के लिए केंद्र सरकार इस राह का विकल्प देखे।

वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने रामप्रीत मंडल के सवाल के जवाब में बताया- ‘राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने पहले कुछ राज्यों को योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया था। उन राज्यों में कुछ विशेष परिस्थितियां थीं, जिनके आधार पर यह किया गया था। यह निर्णय उन सभी कारकों और राज्य की विशिष्ट स्थिति के एकीकृत विचार के आधार पर लिया गया था। विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने पहले भी विचार किया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। आईएमजी ने निष्कर्ष निकाला था कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।’ 2012 में देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। उस समय भी यही रिपोर्ट आई थी, केंद्र की मौजूदा सरकार ने उसी का हवाला दिया है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या दरकने लगा है। एनडीए गठबंधन है। बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा बिहार को ज्यादा दिया है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा ‘बिहार के विकास के लिए जो भी जरूरी होगा प्रधानमंत्री मोदी राज्य को देंगे। उन्होंने अतीत में बिहार को विशेष पैकेज दिया है और बिहार उनकी प्राथमिकता में है।

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