केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानून 2020 के विरोध में किसानों ने जन आंदोलन शुरू कर दिया है। पंजाब से लेकर दिल्ली तक इस बिल के विरोध की आवाज़ बुलंद हो चुकी है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों ने भी इस आंदोलन में अपनी भूमिका निभाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ का रास्ता अपना लिया है।
जिस कानून पर हमारे अन्नदाता राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर रहे हैं उसके बारे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आख़िर इस कानून में ऐसा क्या है जिसको लेकर किसान अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
जानें, क्या है कृषि कानून 2020 ?
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020
इस के अनुसार किसान अपनी फसलें अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है। यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं। फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं।
साथ ही अच्छा दाम मिलेगा।
मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान अनुबंध विधेयक 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि किसानों की आय बढ़ेगी।
आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है।
प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी।
उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
एपीएमसी क्या है ?
सन् 1970 में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट ( एपीएमसी ऐक्ट) के अंतर्गत कृषि विपणन समितियां बनी थीं। एपीएमसी कहा जाता है। इन समितियों का मकसद बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को बचाना था।
किसानों के अनुसार, विरोध के कारण क्या-क्या हैं?
इस कानून के कारण किसानों में इस बात का डर बैठ गया है कि एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा तो कोई मंडी नहीं आएगा।
साथ ही ये भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा ?
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर के इस मामले पर लिखा कि, ‘मैं एक बार फिर कहता हूं: MSP की व्यवस्था जारी रहेगी।’
I said it earlier and I say it once again:
System of MSP will remain.
Government procurement will continue.
We are here to serve our farmers. We will do everything possible to support them and ensure a better life for their coming generations.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2020
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर ने कहा कि,’केंद्र सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।मेरी सभी किसान भाइयों से अपील है कि अपने सभी जायज मुद्दों के लिए केंद्र से सीधे बातचीत करें। आन्दोलन इसका जरिया नहीं है- इसका हल बातचीत से ही निकलेगा ‘
केंद्र सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।
मेरी सभी किसान भाइयों से अपील है कि अपने सभी जायज मुद्दों के लिए केंद्र से सीधे बातचीत करें। आन्दोलन इसका जरिया नहीं है- इसका हल बातचीत से ही निकलेगा
— Manohar Lal (@mlkhattar) November 27, 2020
हरियाणा प्रदेश की कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि,’कांग्रेस पार्टी किसान-मजदूर-आढ़ती भाइयों के साथ खड़ी है।श्री @RahulGandhi जी ने ऐलान किया है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार आने पर इन कृषि विरोधी काले कानूनों को वापस लिया जाएगा। आज पानीपत पहुंचकर आंदोलनरत किसान भाइयों को अपना समर्थन दिया।
#FarmersProtest ‘
PM को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है।
सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती।
मोदी सरकार को किसानों की माँगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे।
ये तो बस शुरुआत है!#IamWithFarmers
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 27, 2020
कांग्रेस पार्टी किसान-मजदूर-आढ़ती भाइयों के साथ खड़ी है।
श्री @RahulGandhi जी ने ऐलान किया है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार आने पर इन कृषि विरोधी काले कानूनों को वापस लिया जाएगा।
आज पानीपत पहुंचकर आंदोलनरत किसान भाइयों को अपना समर्थन दिया।#FarmersProtest pic.twitter.com/VtIXneeAhw
— Kumari Selja (@kumari_selja) November 27, 2020