देश की सत्ता का केंद्र राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जरूर है लेकिन सौ बरस के होने जा रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शक्ति पीठ उसके गठनकाल से ही नागपुर रहती आई है। जब कभी भी भाजपा की सरकार केंद्र में रही, संघ परिवार की आंतरिक समस्याओं का समाधान तलाशने दिल्ली को नागपुर जाते देखा गया। मोदी-शाह युग में लेकिन बहुत कुछ बदला है जिसका एक नतीजा नागपुर का दिल्ली आना बतौर सामने आया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों का केंद्र अब दिल्ली बनने जा रहा है। संघ का नया आलीशान भवन दिल्ली के झंडेवालान में बनकर तैयार हो गया है। जानकारों की मानें तो सादगी पसंद संघ का नया भवन अत्याधुनिक तो है ही, पंच सितारा सुविधाओं से भी लैस है। 12 मंजिले तीन टावरों के परिसर में सुरक्षा जांच के लिए एक्सरे मशीनें लगी हैं, तेज रफ्तार वाली लिफ्ट हैं, भव्य सभागार बनाए गए हैं और अतिथियों के लिए भी आवासीय व्यवस्था है। संघ में दूसरे नम्बर पर आने वाले सह-सरसंघचालक दत्तात्रेय होसबोले और कई अन्य बड़े पदाधिकारी अब यहीं बैठा करेंगे। संघ परिवार में यह जानने की बड़ी बेचैनी बताई जा रही है कि क्या नागपुर में ही अभी भी संघ का मुख्यालय रहेगा या फिर दिल्ली स्थित इस नए परिसर को ही मुख्यालय घोषित कर दियाा जाएगा? सूत्रों का दावा है कि मोहन भागवत जब तक संघ प्रमुख हैं नागपुर को ही मुख्यालय कहा जाता रहेगा हालांकि संघ की गतिविधियां अब दिल्ली से ही संचालित हुआ करेंगी।

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