अगले साल की शुरुआत में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल अभी से गरमाने लगा है। यहां तक कि आम आदमी पार्टी ने अपने कई सीटिंग विधायकों के टिकट काटकर उम्मीदवारों की दूसरी सूची भी जारी कर दी है, वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शोएब जामई ने अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय स्वयं सेवक का ‘छोटा रिचार्ज’ कहते हुए निशाना साधा है और उनकी नीतियों को मुस्लिम-विरोधी बताया है। शोएब जामई ने आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में दिल्ली के मुसलमानों ने अरविंद केजरीवाल को भारी समर्थन दिया, लेकिन उन्हें बदले में केवल ‘धोखा’ मिला। उन्होंने दिल्ली दंगों और मरकज मामले में केजरीवाल पर निष्क्रियता का आरोप लगाया। उनका कहना है कि दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में कोई खास विकास का काम नहीं हुआ है। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष के बयान और उनकी रणनीति मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की ओर इशारा कर रहे हैं। एआईएमआईएम की रणनीति दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में जमीनी स्तर पर काम करने और आप पार्टी के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की है। पार्टी का लक्ष्य इन इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर केजरीवाल को चुनौती देना है। एआईएमआईएम ने दिल्ली में अपने प्रचार अभियान तेज कर दिया है जिसमें स्थानीय मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। पार्टी की योजना मुस्लिम युवाओं को जोड़ने और उनकी मांगों को प्राथमिकता देने की है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि एआईएमआईएम की सक्रियता से आप पार्टी के लिए मुस्लिम वोटों में विभाजन का खतरा बढ़ गया है। मुस्लिम वोटों के बंटने से भाजपा को इसका सीधा लाभ मिल सकता है, क्योंकि इससे आप का वोट प्रतिशत घट सकता है। साथ ही एआईएमआईएम की भागीदारी से दिल्ली चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है जिसमें भाजपा, आप और एआईएमआईएम शामिल होंगे। हालांकि एआईएमआईएम का फोकस मुस्लिम बहुल इलाकों पर रहेगा जहां वे आप और कांग्रेस के वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश करेंगे।
ओवैसी बढ़ाएंगे ‘आप’ की मुश्किलें
