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खतरे में दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य

लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा के कई दिग्गज नेताओं का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ता हुआ दिख रहा है। खासकर राजस्थान में पार्टी आलाकमान ने इन्हीं दिग्गज नेताओं के कहने पर टिकट बांटे थे, लेकिन उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आया। हालांकि इनमें से कुछ नेताओं को फिर भी उम्मीद थी कि पार्टी में इतने सालों की निष्ठा का प्रतिफल राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में इन्हें मिलेगा, लेकिन वो भी रही-सही कसर बाहरी उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्टू के नाम की घोषणा के साथ खत्म हो गई। अब सवाल उठ रहे हैं कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर सहित कई दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान बीजेपी के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर, राजनीतिक करियर को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। पार्टी में इनकी क्या भूमिका होगी, इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पूर्व सीएम वसुंट्टारा राजे की खामोशी ने बीजेपी नेताओं की मुश्किलें काफी समय से बढ़ाई हुई हैं। हालांकि बीच-बीच में राजे अपने बयानों के जरिए सुर्खियां बटोर कर यह अहसास कराती हैं कि अभी पिक्चर बाकी है। पहले यह माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे के बेटे और झालावाड़ से पांच बार जीत दर्ज कर चुके दुष्यंत सिंह को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे राजस्थान नहीं छोड़ना चाहती हैं, उन्होंने केंद्र में आने से इनकार कर दिया है। इसी प्रकार राजस्थान बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को भी विधानसभा चुनाव में हार सामना करना पड़ा था। पार्टी आलाकमान ने पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बनाया, लेकिन हरियाणा में बीजेपी ने खराब प्रदर्शन किया। हालांकि पार्टी ने उन्हें एक और मौका देकर विधानसभा चुनाव का भी जिम्मा दिया, ऐसे में सतीश पूनिया की असली परीक्षा अब होगी वहीं मौजूदा भाजपा की राजनीतिक परिस्थितियों के बीच जो वरिष्ठ नेता हैं, उनकी आने वाले समय में राजनीतिक भूमिका निश्चित रूप से संकट में दिख रही है।

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