कांग्रेस भले ही भाजपा के हाथों पूरी तरह, बुरी तरह परास्त हो चुकी पार्टी बन कर रह गई हो, उसके नेताओं की अक्ल पर लगे ताले अभी तक टूटे नहीं हैं। मात्र तीन राज्यों में उसकी अपने दम पर सरकारें हैं और दो राज्यों में वह गठबंधन सरकारों का हिस्सा है। इसके बावजूद पार्टी के बड़े नेताओं की आपसी रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही। पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्दू के बीच पार्टी आलाकमान भरकस प्रयास करने के बावजूद सुलह कराने में पूरी तरह विफल रही है। खबर जोरों पर है कि सिद्दू को प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने से कैप्टन अमरिंदर खासे खफा हैं और कांग्रेस के इतर अपनी पार्टी बनाए जाने का विकल्प तलाश रहे हैं तो छत्तीसगढ़ में जबरदस्त बहुमत वाली भूपेश बघेल सरकार भी अस्थिरता की कगार पर पहुंच चुकी है।
मुख्यमंत्री बघेल को बदले जाने की मांग यहां जोर पकड़ने लगी है। प्रदेश कांग्रेस में भूपेश बघेल की जगह सीएम बनने की चाह रखने वालों में टीएस सिंह देव, चरणदास महतो और ताम्रध्वज साहू का नाम शामिल है। पार्टी सूत्रों की माने तो बघेल को सीएम बनाते समय कांग्रेस आलाकमान ने सिंह देव से वायदा किया था कि सरकार के ढ़ाई बरस पूरे होने पर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। सिंह देव अब पार्टी आलाकमान को उसका वायदा याद दिलाने लगे हैं तो दूसरी तरफ भूपेश बघेल ऐसे किसी भी वायदे की बात से स्पष्ट इंकार कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों का दावा है कि राज्य में 67 कांग्रेसी विधायकों में से 44 विधायक सिंह देव को सीएम बनाने के पक्ष में हैं। हालांकि पंजाब की तरह छत्तीसगढ़ में पार्टी नेताओं की रार अभी तक सार्वजनिक तकरार में नहीं बदली है लेकिन प्रदेश कांग्रेस नेताओं की माने तो ऐसा होने में अब ज्यादा देर नहीं।