लालू प्रसाद की बीमारी लगातार गंभीर होती जा रही है। लालू की बीमारी का प्रभाव अब पार्टी राष्ट्रीय जनता दल पर पड़ रहा है। एक ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने शेष रह गए हैं। लालू प्रसाद का बीमार होना पार्टी को कमजोर कर रहा है। कोढ़ पर खाज, यह कि उनके बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव का बगावती तेवर ने मुश्किलें और बढ़ा दी है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के दाहिने पैर में फोड़े की वजह से तबियत ज्यादा बिगड़ गई है। इस कारण वह खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं। वे रिम्स में भर्ती हैं। दूसरे राजनीतिक-पारिवारिक तनाव भी आन पड़ा है जिसने प्रतिकूल प्रभाव छोड़ा है। उनका इलाज कर रहे डॉ उमेश प्रसाद के अनुसार लालू प्रसाद का शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर भी काफी बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि बीवी से तलाक पर अड़े तेजप्रताप की जिद के कारण लालू प्रसाद गहरे अवसाद में चले गए हैं। लालू प्रसाद 2017 में चारा घोटाले के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में हैं। इसके बाद उन्हें दो और मामलों में दोषी ठहराया गया और 14 साल की सजा सुनाई गई थी। उनके 2013 में पहले चारा घोटाले मामले में दोषी पाया गया था और उन्हें पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
इससे साफ है कि अदालत सजा और जेल से राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को राहत नहीं मिलने वाली वह चमत्कारी रूप से ही जेल से बाहर फिलहाल आ पाएंगे। उनकी गैरमौजूदगी में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने अच्छा पॉलीटिक्स स्टार लिया था। बिहार की जनता को उनमें एक संभावना भी दिखाई देती है और उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव की तरह बिहार के लोग भी माननले लगे हैं कि तेजस्वी बिहार की राजनीति में बहुत आगे जा सकते हैं। लेकिन एक तो तेजस्वी यादव के पास अभी अनुभव की कमी है, उन्हें अभी पिता लालू प्रसाद के संरक्षण और सलाह की जरूरत है। दूसरे उनके ही अनुज तेजप्रताप उनके लिए बड़ी बाधा बनते नजर आ रह हैं। तेजप्रताप स्वभाव से गैरराजनीतिक व्यक्ति मालूम होते हैं। अपने ही भाई से निपटना तेजस्वी को मुश्किल हो रहा है।
बिहार की राजनीति इन दिनों परवान चढ़ रही है। उपेंद्र कुशवाहा की स्थिति जटिल हो गई है। वह राजद में भी जा सकते हैं। यह वक्त था कि लालू प्रसाद एक बार फिर से नीतीश कुमार की बेवफाई का हिसाब चुकता करते। मगर राजद अध्यक्ष बीमारी और पारिवारिक परेशानी और जेल में बंद हैं। देखने वाली बात है कि उनके पुत्र तेजस्वी यादव क्या कुछ कर पाते हैं?