पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे और राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी अजित सिंह का कोरोना महामारी की चपेट में आने से निधन हो गया। गुडगाँव के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली। बागपत से सात बार सांसद और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके चौधरी अजीत सिंह ( 86 ) के निधन के बाद बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शोक की लहर है। चौधरी अजित सिंह की गिनती बड़े जाट नेताओं में होती थी। किसान आंदोलन में रालोद की सराहनीय भूमिका के चलते पिछले दिनों हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिर से अपना जनाधार स्थापित किया है।
चौधरी अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने इस संबंध में एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि चौधरी अजित सिंह 20 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। उन्होंने आखिर तक इस महामारी से मुकाबला किया और आज सुबह, छह मई 2021 को आखिरी सांस ली। अपने पूरे जीवनकाल में चौधरी साहब को आपका भरपूर प्यार और सम्मान मिला। आप सभी के साथ यह संबंध उनके लिए प्रिय थे और उन्होंने आपके कल्याण के बारे में हमेशा सोचा और कोशिश की।
जयंत चौधरी ने कहा कि हमारा देश भयावह महामारी से गुजर रहा है। इसलिए मेरा उन सभी से अनुरोध है जो उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने को इच्छुक हैं, कृपया अपने घरों में रहें। हम सभी सुरक्षा नियमों का अनुपालन करें ताकि हम खुद और आसपास के सभी लोग स्वस्थ और सुरक्षित रहें। यह चौधरी साहब के प्रति बेहतरीन सम्मान होगा और साथ-साथ कोरोना योद्धाओं के लिए भी, जो दिन रात हमारी रक्षा के लिए काम कर रहे हैं।
चौधरी अजीत सिंह ने 1997 में राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की थी। 1997 के उपचुनाव में बागपत से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1998 के चुनाव में वह हार गए। इसके बाद 1999 के चुनाव में उन्होंने फिर जीत हासिल की। 2001 से 2003 तक अटल बिहारी सरकार में चौधरी अजित सिंह मंत्री रहे। 2011 में वह यूपीए सरकार का हिस्सा बने।2011 से 2014 तक मनमोहन सरकार में मंत्री रहे। 2014 में वह बागपत सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद वह 2019 का लोकसभा चुनाव भी हार गए। इस बार वह मुजफ्फरनगर लोकसभा से लडे थे, जहां उनका मुकाबला भाजपा के संजीव बलियान से हुआ था।
चौधरी की राजनीति की शुरुआत 1986 में हुई थी। तब एक तरह से कहा जाए तो उन्होंने अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता के रूप में चर्चित रहे चौधरी चरण सिंह की विरासत को संभाला था।1989 में अजित सिंहने पहली बार बागपत से लोकसभा का चुनाव लडा था। जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। इसके बाद अजीत सिंह तत्कालीन वीपी सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। इसके बाद वह 1991 में फिर बागपत से ही लोकसभा पहुंचे। इस बार नरसिम्हाराव की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन फिर उन्होंने कांग्रेस और सीट से इस्तीफा दे दिया था।