सैलानियों और तीर्थ यात्रियों के बड़ी संख्या में आने से धर्म नगरी की सड़कें वैसे ही जाम रहती हैं। इन दिनों यहां चल रहे निर्माण कार्यों ने लोगों की दिक्कतें और बढ़ा दी हैं। एक जगह से दूसरी जगह जाने में उन्हें द्घंटों लग जाते हैं

हरिद्वार। अप्रैल से अगस्त तक पूरी धर्मनगरी में देश-विदेश से आए यात्रियों की भरमार रहती है। हाईवे से लेकर शहर के अंदरूनी मार्ग तक सब यात्री वाहनों से लबालब रहते हैं जिस कारण जाम भी यहां हर रोज की कहानी बन गया है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से तो धर्मनगरी की सड़कों पर लगने वाले जाम ने विकराल रूप धारण कर लिया है जिससे निजात दिलाने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं, जाम है कि कम होने का नाम ही नहीं लेता। शनिवार और रविवार को तो ये समस्या दस गुना ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि छुट्टी का आनंद लेने के लिए दिल्ली और आस-पास से लाखों लोग धर्मनगरी पहुंचते हैं। वे हिल स्टेशन भी जाते हैं, पर उसके लिए भी उन्हें धर्मनगरी की सड़कों से होकर ही गुजरना पड़ता है।

हालांकि हरिद्वार पुलिस हर सप्ताह नया प्लान बनाकर सड़कों पर लागू करती है ताकि जाम कम से कम लगे, पर लाखों की संख्या में आने वाला यात्री वाहनों का रेला और खस्ता हाल हाइवे उनका हर प्लान फेल कर देता है। यातायात पुलिस को सबसे बड़ा फायदा शहर की अंदरूनी सड़कों से मिलता था जिससे वो रूट डायवर्ट करके हाइवे के जाम को काफी हद तक कम कर सकते थे, पर इन दिनों शहर की लगभग हर सड़क गहरे गड्ढे में तब्दील है जो शहर के ट्रैफिक को झेल पाने में ही पूरी तरह से नाकाफी साबित हो रही है। इन दिनों गंगा प्रदूषण नियंत्रण ईकाई तथा अमृत गंगा योजना दोनों विभाग शहर की सड़कों की खुदाई कर वहां पाईप लाइनें डाल रहे हैं। शहर की हर सड़क इन दिनों खुदाई की मार झेल रही है। शहर के व्यस्ततम इलाके रानीपुर मोड पर तो इन दिनों हालात अब तक के सबसे बदतर हैं क्योंकि अब रेलवे ने बीएचइल को जाने वाले एक मात्र मुख्य मार्ग पर निर्माण कार्य का बोर्ड लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया है। यहां रेलवे का पुल मरम्मत और निर्माण कार्य चालू किया गया है जिसकी वजह से सुबह शाम यहां स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि जो एक बार जाम में फंसा उसमें वो फंस कर ही रह जाता है। सिडकुल तथा जिला मुख्यालय तक जाने वाले लाखों लोग और हजारों वाहन इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं अब वैकल्पिक रास्ते के लिए उन्हें टिबडी फाटक पार कर पुराने रानीपुर मोड से आना पड़ता है, पर वहां भी जाम का झाम हर समय फैला रहता है।हर रोज सुबह अपनी स्कूटी से सिडकुल की एक कंपनी में काम करने के लिए जाने वाली सोनम भारती बताती हैं कि रेलवे ने काम शुरू कर हम लोगों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। हर रोज ड्यूटी जाने में द्घंटों की देरी हो रही है। यही हाल लौटते हुऐ भी होता है। लगभग यही कहानी सब की है। बात अगर मुख्य हरिव्दार जाने की करें तो भी आपको ऐसी ही स्थिति से गुजरना पड़ेगा क्योंकि देवपुरा चौक से रानीपुर मोड़ तक अमृत गंगा योजना विभाग सीवरेज पाईप लाइनें डाल रहा है जिस कारण एक तरफ का ट्रैफिक पूरी तरह से बंद है। इससे शहर भर के वाहनों को रेंग-रेंग कर निकलना होता है। मायापुर, निरंजनी अखाड़ा, नगर निगम, भल्ला कॉलेज आदि शहर की सभी मुख्य जगहों पर सड़कों का यही हाल है। ऐसा लगता है कि पाईप लाइनें डालने का काम करने वाले विभागों को शहर की यातायात व्यवस्था की जरा सी भी चिंता नहीं। हर जगह सड़कों की खुदाई तो यही दिखाती है।

निर्माण कार्यों में जुटे विभागों का किया धरा बेचारी यातायात पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है। यातायात सुचारू करने के उनके भी पसीने छूट रहे हैं। पिछले दिनों यातायात पुलिस के एक निरीक्षक रविकांत सेमवाल ने खुद जेसीबी मंगवाकर खुदी पाईप लाइन को बंद कराया तब कहीं जाकर यातायात सुचारू हो पाया। ये सारे मामले बताते हैं कि हमारी निर्माण ईकाइयां कितनी लापरवाही से अपने काम करती हैं। यदि वो थोड़ा ध्यान भी शहर के ट्रैफिक की ओर देते तो एक साथ शहर भर की सडकें ना तोड़ डालते। वर्तमान में स्थिति यह है कि द्घर से बाहर निकलते हुए भी शहरवासियों को सोचना पड़ता है कि कहीं वो जाम में फंसकर अपना पूरा दिन ही ना गवां बैठें। यही हाल निर्माणाधीन हाइवे का भी है जहां से गुजरने वाले यात्री जाम में फंसकर पसीना-पसीना होने को विवश हैं। ऊपर से कभी-कभी तापमान भी ४४ डिग्री से ऊपर भागकर जाम मे फंसे लोगों की कड़ी परीक्षा लेता है। हो सकता है जो कार्य सड़कों को खोदकर किये जा रहे हों वो सही हों, पर उनके लिए समय बिलकुल सही नहीं है।

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