देश के जाने-माने वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस ने अपने हिसाब से सबसे सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया था। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और 40 विधायकों का बहुमत है। लेकिन कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी, जिससे सिंघवी और भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले। अंत में लॉटरी से फैसला हुआ, जिसमें सिंघवी हार गए और वे राज्यसभा जाते-जाते रह गए। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सिंघवी दो साल और इंतजार करेंगे या फिर वे झारखंड से राज्यसभा में जाएंगे? असल में इसी महीने 21 मार्च को झारखंड की दो और केरल की तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। इसमें केरल की एक सीट कांग्रेस को मिलेगी और झारखंड की एक सीट पर भी कांग्रेस का दावा है। पिछले दो चुनावों से राज्यसभा की सीट जेएमएम को मिल रही है। पहले 2020 में शिबू सोरेन राज्यसभा गए और फिर 2022 में महुआ मांझी को हेमंत सोरेन ने राज्यसभा भेजा। इस बार कांग्रेस के धीरज साहू तीन मई को रिटायर हो रहे हैं। उनकी सीट पर कांग्रेस का दावा है लेकिन पिछले दिनों जब हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी के लिए सरफराज अहमद का इस्तीफा करा कर विधानसभा सीट खाली कराई तो उन्होंने सरफराज अहमद को राज्यसभा सीट का वादा किया था। कहा जा रहा था कि कांग्रेस के किसी नेता के लिए वे सीट नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अब चर्चा है कि अभिषेक सिंघवी के लिए वे सीट छोड़ सकते हैं। इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि सिंघवी उनके वकील हैं और जितने मुकदमों में हेमंत सोरेन फंसे हैं उनमें से निकलने के लिए उनको कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी दोनों की जरुरत है। ऐसे में अगर कांग्रेस अपने किसी दूसरे नेता की बजाय सिंघवी का नाम आगे करे तो हेमंत सोरेन उनके नाम पर सहमति दे सकते हैं।