तमिलनाडु की राजनीति पिछले कई दशकों से द्रमुक और अन्नाद्रमुक के मध्य सिमटी रही है। राष्ट्रीय दलों की स्थिति यहां बदहाल है। कांग्रेस की अंतिम सरकार यहां 1967 तक रही थी। भाजपा का कमल यहां कभी खिल नहीं पाया। 2014 के बाद से ही भाजपा इस दक्षिणी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन उसे खास सफलता मिल नहीं पाई है। दूसरी तरफ लगातार गलत कारणों के चलते तमिलनाडु भाजपा प्रदेश इकाई के नेता मीडिया की सुर्खियों में छाए रहते हैं। राज्य विधानसभा चुनावों में द्रमुक के हाथों मिली करारी पराजय के बाद भाजपा ने तमिलनाडु का विभाजन कर एक नए राज्य कोंगूनाडू बनाने की बात छेड़ विवाद पैदा कर डाला था। अब अपने एक महासचिव का सेक्स वीडियो सामने आने से भाजपा बैकफुट पर आती नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो तमिलनाडु भाजपा के महासचिव के ़टी ़राधवन का वीडियो सामने आते ही प्रदेश इकाई में जबरदस्त घमासान मच गया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे राधवन की प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के ़अन्नामलाई संग गहरी अदावत रही है। कहा जा रहा है कि अन्नामलाई के उकसाने पर ही भाजपा की एक महिला नेत्री ने राधवन का वीडिया सोशल मीडिया में डाल सनसनी मचाने का काम किया है। दरअसल, राधवन को शर्मिंदा करने के पीछे भाजपा की तमिलनाडु इकाई में स्वर्ण बनाम दलित नेताओं की आपसी रार का होना है। संघ से जुड़े ब्राह्मण नेताओं का मानना है कि पार्टी नेतृत्व उनकी बनिस्पत दलित नेताओं को को तरजीह दे रहा है। एस ़मुरुगेशन को पहले प्रदेश अध्यक्ष और अब केंद्रीय मंत्री बनाने और अन्नामलाई को उनके स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष बनाने से यह ब्राह्मण लॉबी खासी नाराज है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा आलाकमान दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश में तोड़ फोड़ की राजनीति के जरिए पैठ बनाना चाहता है लेकिन प्रदेश के जातिय समीकरणों और भाषाई मसले को समझे बगैर उसका कमल यहां खिलने वाला नहीं।
भाजपा को नहीं रास आ रहा तमिलनाडु

