उत्तराखण्ड में हो रहे निकाय चुनावों से सियासी माहौल पूरे जोश पर है। पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। लेकिन उनके जोश को उन्हीं के बागी ठंडा करते दिख रहे हैं। कई जगह बागियों ने पार्टी उम्मीदवारों की हालत पतली कर दी है। वे अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। साथ ही वे पार्टी पर गम्भीर आरोप भी लगा रहे हैं। ऐसे बागियों को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया है। फिलहाल बागी नेताओं पर हुई कार्रवाई ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। चुनाव परिणाम यह तय करेंगे कि दोनों दलों की यह कार्रवाई कितनी प्रभावी रही
निकाय चुनाव में फतह हासिल करने के लिए उत्तराखण्ड के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस जी जान से जुटे हुए हैं। लेकिन इस दौरान दोनों ही दलों के बागियों ने परेशानी पैदा कर दी है। हालांकि बागियों पर कार्यवाई कर दी गई है। दोनों ही दलों ने सख्त अनुशासन नीति अपनाते हुए साफ संदेश दिया है कि अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके कई बागी नेता निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ते नजर आ रहे हैं।
भाजपा ने अपने 100 से भी अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी बागियों पर डंडा चलातें हुए 20 से अधिक कार्यकर्ता और नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। भाजपा हाईकमान इन चुनावों में फतह पाने के लिए कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता है। पार्टी ने संगठन के स्तर से मजबूत प्रबंधन और कुशल रणनीति बनाई है तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दूरगामी फैसलों और कल्याणकारी योजनाओं को आम जनता के सामने रखते हुए पार्टी के लिए जनसमर्थन जुटा रहे हैं। साथ ही धामी यह भी दावा कर रहे हैं कि उनके शासनकाल में निकायों की माली हालत सुधारने के साथ ही निकायों की ओर से आम जनता को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं को बढ़ाया गया है।
कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती अपने वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता कहने को तो एक हैं लेकिन पार्टी में जिस तरह से गुटबाजी हावी है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसका खामियाजा उन्हें निकाय चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
उत्तराखण्ड में मेयर और पालिकाध्यक्ष का टिकट कटने से भाजपा- कांग्रेस के नेताओं में घमासान मचा हुआ है। देखा जाए तो राज्य के गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल के निकाय चुनाव भाजपा के जहां छोटे तो वहीं कांग्रेस में बड़े ने बगावत की है। मेयर पद के उम्मीदवार चयन को लेकर पिथौरागढ़ विधायक मयूख महर ने सवाल उठाए हैं कि कांग्रेस ने गलत उम्मीदवार चुना है। इधर, नगर निगम अल्मोड़ा का पहला मेयर बनने के लिए भाजपा-कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है।
कांग्रेस में कई जगह बगावती तेवर देखने को मिल रहें हैं। कांग्रेस के कई नेता खुलकर बगावत पर उतर आए हैं। इनमें पहले नंबर पर पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर हैं। पिथौरागढ़ में मेयर का टिकट घोषित होते ही मयूख महर ने पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी अंजू लूंठी के खिलाफ शुरू से ही मोर्चा खोला हुआ है। उन्होंने नामांकन करने वाली पार्टी उम्मीदवार के नामांकन में न पहुंचकर अपने तेवर साफ कर दिए हैं। अपनी पत्नी के लिए मेयर का टिकट मांगते हुए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले वरिष्ठ नेता मथुरादत्त जोशी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा को बागी विधायक पर कार्रवाई के लिए ललकार चुके हैं। जबकि इसके अलावा कर्णप्रयाग नगर पालिका सीट पर थराली में भाजपा विधायक भूपाल राम टम्टा के पुत्र जयप्रकाश ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामाकंन कराकर पार्टी को पशोपेश में डाल दिया है। रुड़की में मेयर का टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व महापौर यशपाल राणा ने अपनी पत्नी को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारकर पार्टी प्रत्याशी को कड़ी चुनौती दे डाली है। हरिद्वार में तो पूर्व दर्जाधारी कांग्रेस नेता नईम कुरैशी द्वारा बागी तेवर अपनाते हुए जुलूस निकाला जा चुका है।
उत्तराखण्ड निकाय चुनावों में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत करने वालों पर देर से ही सही लेकिन चाबुक चल गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल दो दर्जन नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष माहरा के सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह ने बताया कि जिला एवं महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों के अनुरोध पर यह कार्रवाई की गई है।
इसके तहत रुड़की में मेयर पद के खिलाफ अपनी पत्नी को बागी के रूप में चुनाव लड़ा रहे पूर्व मेयर और यशपाल राणा, रूद्रप्रयाग से बागी उम्मीदवार संतोष रावत, ऊखीमठ से बागी उम्मीदवार कुब्जा धर्मवाण, नगर पालिका बागेश्वर से बागी कवि जोशी, कोटद्वार में बागी हुए हरीश उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे कांग्रेस पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष महेन्द्र पाल सिंह रावत, ऋषिकेश नगर निगम में बागी उम्मीदवार दिनेशचन्द मास्टर एवं महेन्द्र सिंह, चमोली जनपद के गौचर से बागी उम्मीदवार सुनील पंवार, कर्णप्रयाग से गजपाल लाल सैनी, अनिल कुमार एवं अनीता देवी, गैरसैण से पुष्कर सिंह रावत, पीपलकोटी से आरती नवानी, टिहरी के नगर पालिका चम्बा से बागी प्रीति पंवार, घनसाली से विनोद लाल शाह एवं नगर पालिका टिहरी से भगत सिह नेगी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
अमरजीत सिंह ने यह भी बताया कि इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा पिथौरागढ़ विधायक मयूख महर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व से आग्रह किया गया है। साथ ही युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव ऋशेन्द्र महर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने के लिए युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को संस्तुति की गई है। प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के कड़े अनुशासन के सारे के सारे दावे धरे रह गए। प्रदेश के लगभग हर चुनाव में चाहे वह नगर निगम का हो या नगर पालिका का हर जगह से बागियों ने खिलाफत कर पार्टी अधिकृत प्रत्याशियों की नाक में दम कर दिया है। ऐसे करीब 137 नेताओं पर पार्टी का चाबुक चल चुका है।
देहरादून महानगर भाजपा के अध्यक्ष सिद्धार्थ के अनुसार 47 कार्यकर्ताओं को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन नेताओं की पार्टी में जल्द वापसी नहीं होगी। कहा जा रहा है कि बागी नेताओं का निर्दलीय चुनाव लड़ना भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कई स्थानों पर बागी प्रत्याशी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भाजपा ने गत 11 जनवरी को ऐसे बागी नेताओं पर कार्रवाई की। अकेले गढ़वाल मंडल के 100 नेताओं पर एक्शन लिया गया। गढ़वाल मंडल में सबसे ज्यादा 73 नेता देहरादून महानगर से निष्कासित किए गए। जबकि ऋषिकेश से 23, श्रीनगर से 17, उत्तरकाशी से 4, चमोली से 12, रुद्रप्रयाग से 2 और पिथौरागढ़ से 8 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उधर पार्टी से निष्कासित किए गए नेताओं ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। देहरादून नगर निगम के पार्षद पद के प्रत्याशी प्रसाद भट्ट, जो 11 वर्षों से पार्टी में सक्रिय थे का कहना है कि मैंने पार्टी के लिए कई पदों पर काम किया लेकिन जब टिकट मांगा, तो मुझे अनदेखा कर दिया गया। भट्ट ने भाजपा को ‘कांग्रेस युक्त पार्टी’ करार देते हुए पार्टी पर कांग्रेस नेताओं को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। पार्टी के लिए बागेश्वर, अल्मोड़ा और रानीखेत जैसे इलाके राहत देने का काम कर रहे हैं। इन जगहों से भाजपा को बागियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है। यहां जो नेता पार्टी से नाराज थे, उन्होंने भी भाजपा उम्मीदवारों को समर्थन दे दिया है इस चलते इन जिलों में किसी नेता का कोई निष्कासन नहीं हुआ। 13 जनवरी को हरिद्वार के बागियों पर भाजपा ने कारवाई की। जहां पार्टी ने अपने 22 नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
हरिद्वार नगर निगम, शिवालिक और लक्सर नगर पालिका से 22 नेताओं और कार्यकर्ताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। हरिद्वार के पार्टी जिला अध्यक्ष संदीप गोयल की संस्तुति के बाद पार्टी ने अनुशासनहीनता के चलते 6 साल के लिए इनको बाहर किया है। इसी तरह नगर पालिका पौड़ी में अध्यक्ष और वार्ड मेंबर के पदों पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव मैदान में डटे 9 पदाधिकारियों को भाजपा ने 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया है। जिनमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केसर सिंह नेगी और उनकी पत्नी हिमानी नेगी की सबसे ज्यादा चर्चा है। इसी के साथ बीरा भंडारी, प्रियंका भंडारी थपलियाल, कुसुम चमोली, शुभम रावत, दिनेश बिष्ट, राकेश गौरशाली, रंजना और प्रियंका बहुगुणा भी कार्यवाही में शामिल हैं। श्रीनगर नगर निगम चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बागियों में पहला नाम लखपत भंडारी का है। भंडारी भाजपा के जिला उपाध्यक्ष हैं। इसके अलावा आरती भंडारी, विजय चमोली, सुरजीत अग्रवाल, दीपक उनियाल, संदीप रावत, सूरज सिमलिया सहित 7 को भाजपा ने 6 साल के लिए से निष्काषित कर दिया है।
कांग्रेस पार्टी एक अनुशासित संगठन है। इसमें यदि अनुशासनहीनता होती है तो उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी पार्टी अनुशासन की लाईन पार करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ रहे नेताओं से संगठन द्वारा बातचीत की गई थी उनसे यह अनुरोध किया गया था कि वह अपना नामांकन वापस ले लंे लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया इसके बाद सभी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।
करण माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस उत्तराखण्ड
बागियों को अधिकृत प्रत्याशियों के समर्थन में नाम वापस लेने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। इसके बाद भी कई बागी मैदान में डटे हुए हैं। ऐसे में अगर कोई पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार में लगा रहता है तो उसे निकालना पार्टी की बायध्यता है। सभी जिलाध्यक्षों को 11 जनवरी को ही ऐसे सभी बागियों को छह साल के लिए निष्कासित करने के निर्देश दे दिए गए थे। सभी को पार्टी से निकाला जा चुका है।
महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा उत्तराखण्ड