हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का पद तो बांट दिया लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि दोनों नेता तालमेल बना कर सरकार चला पाएंगे। पहले दिन से इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है, जिसका असर आगे की राजनीति और सरकार के कामकाज पर भी होगा। दरअसल दोनों के शपथ लेने से पहले ही टकराव शुरू हो गया था, जब 28 मंत्रियों की सूची रोक दी गई और सिर्फ आठ लोगों को शपथ दिलाई गई। वहीं अब लिंगायत समुदाय के बड़े नेता राज्य सरकार में मंत्री बनाए गए एमबी पाटिल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि आलाकमान ने ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनने का कोई फॉर्मूला तय नहीं किया है। इसलिए सिद्धारमैया ही पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने खुद इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा- वे जो कहते हैं कहने दीजिए, फैसला करने के लिए अध्यक्ष हैं, मुख्यमंत्री हैं और महासचिव हैं। जाहिर है कि ऐसे किसी फॉर्मूले पर बात हुई है, जिसके बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को जानकारी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कर्नाटक कांग्रेस में यह खींचतान और बढ़ सकती है।
कर्नाटक कांग्रेस में खींचतान
