entertainment

फाल्के अवार्ड से नवाजी जाएंगी वहीदा

फिल्म इंडस्ट्री में अपनी उम्दा अदाकारी से लाखों दिलों को जीतने वाली वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के आजीवन अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी घोषणा की है

हिंदी सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक वहीदा रहमान को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े दादा साहेब फाल्के अवार्ड के लिए चुना गया है। इस वर्ष के दादा साहेब फाल्के अवार्ड के निर्णायक मंडल में आशा पारेख, चिरंजीवी, परेश रावल, प्रसन्न जीत और शेखर कपूर शामिल रहे। वहीदा रहमान ने अपने अभिनय सफर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘रोजुल माराई’ से की थी। उन्हें यह अवार्ड भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने ट्विटर पर इसकी घोषणा की है। वहीदा रहमान ने ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘साहेब बीबी और गुलाम’, ‘गाइड’ समेत कई फिल्मों में काम किया है। उनका फिल्मी करियर 6 दशक का रहा है।

इस अवार्ड के लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उनके कई प्रशंसक सोशल मीडिया पर बधाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा ‘‘मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि दादा साहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए इस बार वहीदा रहमान का चयन किया गया है। हिंदी सिनेमा में उनके अद्भुत योगदान ने खास छाप छोड़ी है। प्रतिभा, समर्पण और विनम्रता की प्रतीक सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री को मेरी ओर से बधाई, वहीं सोशल मीडिया और प्रशंसकों से मिल रही बधाई पर वहीदा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ‘‘यह दिन मेरे लिए खुशियों की दोहरी सौगात लाया है, देव आनंद जी की 100वीं जयंती पर मुझे दादा साहेब फाल्के के लिए चुना गया है, इससे बड़ा दिन मेरे लिए और क्या होगा।’’ उन्होंने आगे कहा कि वह पूरी फिल्मी बिरादरी और अपने फैंस की शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने उन्हें उनके पूरे करियर में सपोर्ट किया और आज भी उन्हें इज्जत देते हैं।

इससे पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने घोषणा करते हुए कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी और सम्मान की अनुभूति हो रही है कि वहीदा रहमान को भारतीय सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए इस वर्ष प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। वहीदा ने हिंदी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय की छाप छोड़ी है। इनमें ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘साहिब बीवी और गुलाम’, ‘खामोशी’ जैसी कई अन्य फिल्में हैं। उन्होंने अपने किरदारों को बखूबी निभाया जिसकी वजह से उन्हें फिल्म ‘रेशमा’ और ‘शेरा’ के लिए नेशनल अवार्ड भी मिला है। पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित वहीद जी ने भारतीय नारी के समर्पण, प्रतिबद्धता और ताकत का ऐसा उदाहरण पेश किया जो कड़ी मेहनत की बदौलत अपने पेशेवर उत्कृष्ट को उच्चतम स्तर को प्राप्त कर सकती है।
वहीदा ने छह दशकों के करियर में 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। उनके द्वारा अभिनीत आखिरी फिल्म स्पोर्ट्स ड्रामा स्केटर गर्ल थी।

डांसर से बॉलीवुड तक का सफर वहीदा रहमान का जन्म तमिलनाडु के चेंगलपट्टू कस्बे में 3 फरवरी 1938 को एक परंपरागत मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने चेन्नई से भरत नाट्यम नत्य सीखा था। जिसके बाद
उन्होंने फिल्मों में नृत्य करना शुरू कर दिया था। वहीदा रहमान ने 1955 में फिल्म रोजुलु मारायी और जयसिम्हा के जरिए तेलुगु इंडस्ट्री में कदम रखा था। जिसके बाद उनकी फिल्मी करियर की शुरुआत हुई पहली हिंदी फिल्म ‘सीआईडी’ से। इस फिल्म में अभिनेता देव आनंद लीड रोल में थे। भले ही इस फिल्म में वहीदा रहमान ने नेगेटिव किरदार निभाया था, लेकिन उनके रोल को बहुत पसंद किया गया। फिल्म सुपरहिट रही थी दर्शकों ने इस फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री को खूब पसंद किया था।

इसके बाद वहीदा की वर्ष 1957 में आई फिल्म ‘प्यासा’ में उनके अभिनय की तारीफ की गई। इस फिल्म के बाद वहीदा और गुरु दत्त की जोड़ी भी फैंस को बहुत पसंद आई। दोनों ने साथ मिलकर फिल्म ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘साहित बीवी’ और ‘गुलाम’ जैसी फिल्मों में काम किया। वहीदा ने अपने फिल्मी करियर में 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। साल 2021 में आई मराठी फिल्म सेक्टर गर्ल उनकी लास्ट फिल्म थी। गौरतलब है कि दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सिनेमा में भारत का सर्वाच्च पुरस्कार है और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित संगठन, फिल्म महोत्सव निदेशालय द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की पहली प्राप्तकर्ता देविका रानी थीं, जिन्होंने वर्ष 1969 में 17वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के अवसर पर प्राप्त किया था।

दादा साहेब फाल्के को ‘भारतीय सिनेमा का पितामह’ कहा जाता है। उन्होंने वर्ष 1913 में भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई थी। इसलिए, दादा साहेब फाल्के की स्मृति में, भारत सरकार ने 1969 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शुरू किया था। जब से प्रत्येक वर्ष यह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है।

दादा साहेब फाल्के की पुरस्कार राशि

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित एक संगठन, फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है। प्राप्तकर्ता को ‘‘भारतीय सिनेमा की वृद्धि और विकास में उत्कृष्ट योगदान’’ के लिए सम्मानित किया जाता है और भारतीय फिल्म उद्योग की प्रतिष्ठित हस्तियों की एक समिति द्वारा चुना जाता है। पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस) पदक, एक शॉल और 10 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD