आम चुनाव 2024 में पीएम मोदी और भाजपा ने खुद के लिए 370 और एनडीए 400 पार का टारगेट सेट किया था लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत के करीब नहीं पहुंच सकी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी में जीत का अंतर भी मात्र 1 लाख 52 हजार 513 रहा। यही नहीं भाजपा को उन राज्यों में ज्यादा नुकसान हुआ जहां उसे बड़ी जीत की उम्मीद थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि चुनाव से पहले पूरे आत्मविश्वास के साथ दिख रही बीजेपी का कमल क्यों मुरझाने लगा? राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा ने केंद्र सरकार की स्कीम के लाभार्थियों पर फोकस किया था। फ्री राशन स्कीम का बीजेपी को फायदा भी मिला लेकिन महंगाई की मार ने इस फायदे को कम करने का काम किया। महंगाई से लोग परेशान थे और लगातार इसकी चर्चा भी कर रहे थे लेकिन चुनाव में बीजेपी इस मुद्दे से कन्नी काटती रही जिससे लोगों में निराशा पैदा हुई। मंहगाई को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता ही शिकायत करते रहे लेकिन इसकी अनदेखी हुई। पूरे चुनाव भर लगभग हर राज्य में युवा बेरोजगारी की बात करते रहे और सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर बेरोजगारी को गिनाते रहे। बेरोजगारी तो पहले से थी लेकिन कोरोनाकाल के बाद स्थिति और खराब हुई। जो प्राइवेट रोजगार पहले था वह कोरोना में चला गया। कई छोटी दुकानों से लेकर छोटे व्यापार तक बंद हो गए। शॉपिंग मॉल से लेकर फैक्ट्री तक में यह स्थिति स्पष्ट थी। लेकिन बीजेपी कोरोना के बेहतर मैनेजमेंट का गुणगान करती रही और रोजगार को लेकर बात नहीं की। विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया। लगातार अलग-अलग परीक्षा देकर उसके रिजल्ट का इंतजार करना और फिर परीक्षा ही रद्द होने से भी युवा परेशान थे। जब से सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ लागू हुई तबसे युवाओं के बीच इसका विरोध हुआ। चुनाव में भी यह अहम मुद्दा बना। युवाओं में इसे लेकर नाराजगी थी और कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वायदा किया कि वह सरकार में आएंगे तो इस स्कीम को खत्म कर पुरानी भर्ती प्रक्रिया लागू करेंगे। एक तरह से कहा जाए तो अग्निवीर योजना ने भी भाजपा के कमल को झुलसाने में आग में घी डालने का काम किया। दूसरी तरफ पार्टी में कई जगह उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठे। हर राज्य में अलग मुद्दों पर मतदान हुआ और कहीं राष्ट्रीय मुद्दा हावी नहीं रहा। राम मंदिर को लेकर लगातार बयानबाजी से बीजेपी को फायदा नहीं हुआ। कुछ बीजेपी नेताओं के संविधन बदलने की बात कहने के बाद विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया और कहा कि ये आरक्षण खत्म करना चाहते हैं जिससे लोगों के मन में भी शक पैदा हुआ।
क्यों मुरझाने लगा कमल?
