बिहार विधानसभा चुनाव में अभी काफी समय शेष है। लेकिन प्रदेश में अभी से तैयारी शुरू हो गई है। इसी के मद्देनजर मनीष वर्मा को नीतीश कुमार ने बड़ी जिम्मेदारी देते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार ने मनीष वर्मा को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना दिया है और नीतीश के बाद पार्टी संभालेंगे मनीष वर्मा? राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बिहार में नीतीश कुमार का नौकरशाह प्रेम जगजाहिर है और इसका एक नहीं कई उदाहरण हैं। इस सूची में पवन कुमार वर्मा, आरसीपी सिंह का नाम शामिल है और अब इसमें एक और नया नाम जुड़ गया है। मनीष वर्मा का नाम राजनीति में पहली बार तब आया जब हालिया आम चुनावी नतीजों से पहले नीतीश कुमार पीएम मोदी से मिलने पहुंचे थे। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद छोड़ सकते हैं। बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि नीतीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है और उनका नाम मनीष कुमार वर्मा है। हालांकि बाद में यह सारी चीजें अटकलों में ही रह गई थी जो अब पूरी होती दिख रही हैं। गौरतलब है कि मनीष कुमार वर्मा बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने दूसरी बार में आईएएस का एग्जाम पास कर लिया और साल 2000 में उन्हें उड़ीसा कैडर मिला। साल 2012 में वे पांच साल के लिए बिहार आए। कहा जाता है कि मनीष कुमार पटना के डीएम रहते हुए नीतीश कुमार के करीब आए और फिर उन्हें सीएमओ बुला लिया गया। इस बीच जब उन्हें उड़ीसा से बुलावा आया तो उन्होंने वीआरएस ले लिया और नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे। मनीष कुमार वर्मा 9 जुलाई को जदयू के दफ्तर पहुंचे और मीडिया के जमावड़े के बीच उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया। इस दौरान पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने ही उनको पार्टी की सदस्यता दिलाई। इससे पहले 29 जून को जब दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी उस समय भी मनीष कुमार वर्मा का नाम सुर्खियों में आया था और उनका नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के संभावितों में चलने लगा था लेकिन तब नीतीश कुमार ने संजय कुमार झा को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था।
नीतीश के बाद पार्टी संभालेंगे वर्मा?
